भक्तिकाल पंक्तियाँ MCQ Quiz - Objective Question with Answer for भक्तिकाल पंक्तियाँ - Download Free PDF

Last updated on Jul 2, 2025

Latest भक्तिकाल पंक्तियाँ MCQ Objective Questions

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 1:

‘मेरे साथी दुइ जना इक वैष्णव इक राम,

वो है दाता मुकुति का वो सुमिरावै राम।'

उक्त पद किस संत कवि का है ?

  1. नामदेव
  2. कबीर
  3. दादू
  4. रैदास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : कबीर

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution

सही उत्तर है- कबीर 

Key Points

  • दोहे का अर्थ है कि मेरे दो साथी हैं, एक वैष्णव (जो विष्णु के भक्त हैं) और एक राम (जो स्वयं भगवान हैं)। 
  • राम मुक्ति के दाता हैं और उनका ही स्मरण करना चाहिए। 
  • कबीरदास जी ने अपने दोहों में राम नाम के महत्व को बार-बार दोहराया है और लोगों को भक्ति और मुक्ति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है। 

Important Pointsकबीरदास-

  • जन्म-1398-1518 ई. 
  • गुरु-रामानंद  
    • इनसे कबीर ने राम नाम ग्रहण किया था। 
  • ये सिकंदर लोदी के समकालीन थे। 
  • कबीर की वाणी का सनगढ़ उनके शिष्य धर्मदास ने 'बीजक'(1464 ई.) में किया। 
  • बीजक के 3 भाग हैं-
    • रमैनी,सबद और साखी। 
  • भाषा-सधुक्कड़ी,पंचमेल खिचड़ी। 
  • हजारीप्रसाद द्विवेदी में इन्हें 'वाणी का डिक्टैटर' कहा है।

Additional Informationनामदेव- 

  • जन्म- 1135 - 1215 ईo
  • संत कवि तथा भगवान विट्ठल के एकनिष्‍ठ उपासक थे।
  • इनके गुरु का नाम विसोबा खेचर था। 
  • इन्होंने मराठी मे अभंग और हिन्दी मे गुरुग्रंथ साहिब नामक ग्रंथ की रचना की।

रैदास- 

  • जन्म- 1377 - 1528 ईo
  • ये चमार जाति के थे। 
  • गुरु-
    • रामानन्द
  • इनके पद 'गुरु ग्रंथ साहिब' में संकलित हैं।

दादूदयाल-

  • जन्म-1544-1603 ई. 
  • भक्तिकाल की संत काव्यधारा के कवि है। 
  • इन्होंने दादू पंथ की शुरुआत की। 
  • रचनाएँ-
    • हरड़े बानी 
    • अंगवधू आदि। 

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 2:

"वृच्छ अनंत सुनीर वहंत सु सुंदर संत विराजै तहीं तें।

नित्य सुकाल पड़ै न दुकाल सु मालव देश भलो सबहीं तें।।"

मालवा क्षेत्र की प्रशंसा पर आधारित यह पंक्तियाँ किस कवि की हैं ?

  1. संत पीपा
  2. संत सिंगा जी
  3. संत सुंदरदास
  4. नरहरि पटेल

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : संत पीपा

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution

सही उत्तर है - संत पीपा 

Key Pointsपीपा-

  • जन्म-14-15वीं शती
  • इन्हें संत पीपा वैरागी के नाम से जाना जाता है।
  • भक्ति आन्दोलन के प्रमुख संतों में प्रमुख हैं।
  • प्रमुख रचनाएँ-
    • चितावनी जोग (नमक गुटका रचना)

Important Pointsसुंदरदास-

  • जन्म-1596-1689 ई 
  • गुरु-दादू दयाल 
  • मुख्य रचनाएँ-
    • ज्ञान समुद्र
    • सुंदर विलास आदि।

संत सिंगा जी-

  • सन्त सिंगाजी भारत में मध्य प्रदेश के निमाड़ के एक मशहूर संत थे।
  • उन्हे पशु रक्षक देव के रूप में पूजा जाता है।
  • संत सिंगाजी को 16वीं या 17वीं शताब्दी के काल का माना जाता है।
  • कहा जाता है कि सिंगाजी एक कवि व करामाती संत थे।
  • समूचे मध्य प्रदेश में अनेकों स्थानों पर सिंगाजी के डेरे व समाधियाँ बनी हुयी हैं जहां पर मेलों का आयोजन भी किया जाता है।
  • कवि संत सिंगाजी के आध्यात्मिक गीत आज तक गए जाते हैं।

नरहरि पटेल-

  • मध्य प्रदेश के रतलाम के एक थियेटर कलाकार हैं।

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 3:

घन घमंड नभ गरजत घोरा,

प्रिया हीन डरपत मन मोरा।

ये पंक्तियाँ रामचरित मानस के किस काण्ड में हैं ?

  1. किष्किन्धा काण्ड
  2. उत्तर काण्ड
  3. लंका काण्ड
  4. अयोध्या काण्ड

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : किष्किन्धा काण्ड

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution

सही उत्तर है- किष्किन्धा काण्ड

Key Pointsरामचरितमानस-

  • रचनाकार-गोस्वामी तुलसीदास 
  • रचनाकाल-संवत् 1631
  • भाषा-अवधी 
  • प्रयुक्त छंद-दोहा चौपाई 
  • काव्य रूप-प्रबंध 
  • मुख्य-
    • यह ग्रंथ 2 वर्ष 7 माह व 26 दिन में पूर्ण हुआ था। 
    • इसमें सात कांड हैं। 
    • इसमें 1074 कड़वक हैं। 
    • 'अयोध्याकांड' को मानस का हृदयस्थल कहा जाता है। 

Important Pointsतुलसीदास-

  • जन्म-1532-1623 ई. 
  • शिक्षा गुरु-शेष सनातन 
  • दीक्षा गुरु-नरहर्यानंद 
  • तुलसी पर श्री संप्रदाय का प्रभाव देखा जाता है। 
  • मुख्य रचनाएँ-
    • वैराग्य संदीपनी 
    • जानकी मंगल  
    • पार्वती मंगल 
    • कृष्ण गीतवाली 
    • विनय पत्रिका आदि। 
  • नाभादास ने इन्हें-
    • "कलिकाल का वाल्मीकि" कहा। 
  • हजारीप्रसाद द्विवेदी-
    • "भारतवर्ष का लोक नायक वही हो सकता है जो समन्वय करने का अपार धैर्य लेकर आया हो।"

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 4:

इनके कहे कौन डहकावै ऐसी कौन अजानी ? पंक्ति में ‘डहकावै' शब्द का क्या आशय है ?

  1. समझकर
  2. कहने पर
  3. ठगाए 
  4. चतुराई

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : ठगाए 

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution

सही उत्तर है- ठगाए 

Key Pointsपूर्ण पद है-

  • आयो घोष बड़ो व्योपारी।
    लादि खेप गुन ज्ञान-जोग की ब्रज में आन उतारी॥
    फाटक दै कर हाटक माँगत भोरै निपट सुधारी।
    धुर ही तें खोटी खायो है लये फिरत सिर भारी॥
    इनके कहे कौन डहकावै ऐसी कौन अजानी?
    अपनो दूध छाँड़ि को पीवै खार कूप को पानी॥
    ऊधो जाहु सबार यहाँ तें बेगि गहरु जनि लावौ।
    मुँह माँग्यो पैहो सूरज प्रभु साहुहि आनि दिखावौ॥

व्याख्या है-

  • गोपियाँ उद्धव के संबंध में परस्पर कह रही हैं−देखो सखियो, अहीरों की इस बस्ती में एक बहुत बड़ा व्यापारी आया है।
  • इस व्यापारी ने अपने ज्ञान और योग के माल का भारी बोझ सीधे ब्रज में आकर उतारा। यह हम ब्रजवासियों को सर्वथा भोला-भाला जान कर फटकन (निस्सार निर्गुण) देकर हम से महार्थ स्वर्ण (कृष्ण की भक्ति और प्रेम) को माँग रहा है।
  • इसके माल को किसी ने ख़रीदा नहीं और आरंभ से ही इसे घाटा उठाना पड़ा है।
  • अब ऐसे माल (ज्ञान) के भारी बोझ को अपने सिर पर लिए घूम रहा है।
  • भला ऐसे खोटे माल को इसके कहने पर ख़रीदकर कौन अज्ञानी अपने को ठगवाए?
  • ऐसा भी क्या कोई मूर्ख होगा जो अपने घर का मधुर दुग्ध छोड़ कर खारे कुएँ का जल पिएगा!
  • अर्थात् कौन भगवान कृष्ण की मधुर उपासना को त्याग कर निर्गुण ब्रह्म की उपासना की ओर उन्मुख होगा?
  • हे उद्धव, यदि तुम अपना माल बेचना चाहते हो तो यहाँ से शीघ्र ही चले जाओ और देरी मत करो, और उस महाजन (श्रीकृष्ण) को लेकर हमें दिखाओ, जिसने यह माल देकर तुम्हें भेजा है।
  • तुम्हे इसके बदले मुँह माँगा दाम मिलेगा।
  • तात्पर्य यह है कि यदि तुम निर्गुण ब्रह्म की उपासना की ओर हमें लगाना चाहते हो तो पहले हम लोगों को श्रीकृष्ण के दर्शन कराओ जो बहुत समय से हमसे बिछुड़े हैं, उसके पश्चात् हम तुम्हारे ज्ञान को स्वीकार करेंगी।

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 5:

'झरि लागै महलिया गगन गहराय

खन गरजै, खन बिजुली चमकै,

लहरि उठे शोभा बरनि न जाय।'

उक्त पंक्तियाँ किस संत की हैं ?

  1. कबीर
  2. दादू
  3. रैदास
  4. धर्मदास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : धर्मदास

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution

सही उत्तर है- धर्मदास

Key Pointsधर्मदास-

  • जन्म-1405 ई.
  • कबीर के शिष्य है। 
  • भक्तिकाल की संत काव्यधारा के कवि है।
  • कबीर की वाणी को इन्होंने बीजक ग्रंथ में संग्रहीत किया है। 

Important Pointsकबीरदास-

  • जन्म-1398-1518 ई. 
  • गुरु-रामानंद  
    • इनसे कबीर ने राम नाम ग्रहण किया था। 
  • ये सिकंदर लोदी के समकालीन थे। 
  • कबीर की वाणी का सनगढ़ उनके शिष्य धर्मदास ने 'बीजक'(1464 ई.) में किया। 
  • बीजक के 3 भाग हैं-
    • रमैनी,सबद और साखी। 
  • भाषा-सधुक्कड़ी,पंचमेल खिचड़ी। 
  • हजारीप्रसाद द्विवेदी में इन्हें 'वाणी का डिक्टैटर' कहा है। 

रैदास-

  • जन्म-1388-1518 ई.
  • भक्तिकाल की संत काव्यधारा के कवि है।
  • इनके 40 पद गुरुग्रंथ साहिब के संग्रहीत हैं।
  • रचना-
    • रैदास की बानी।

दादूदयाल-

  • जन्म-1544-1603 ई. 
  • भक्तिकाल की संत काव्यधारा के कवि है। 
  • इन्होंने दादू पंथ की शुरुआत की। 
  • रचनाएँ-
    • हरड़े बानी 
    • अंगवधू आदि।

Top भक्तिकाल पंक्तियाँ MCQ Objective Questions

साखी सबदी दोहरा, कहि किहनी उपखान ।

भगति निरूपहिं भगत कलि, निन्‍दहिंहिं बेद पुरान ।।

उपर्युक्त पंक्तियों के रचनाकार हैं

  1. तुलसीदास
  2. कबीर
  3. मलिक मुहम्‍मद जायसी
  4. कुतुबन

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : तुलसीदास

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution

Download Solution PDF
  • प्रस्तुत पंक्तियाँ तुलसीदास द्वारा लिखित हैं।
  • शुक्ल जी तुलसीदास को स्मार्त वैष्णव कहते हैं।
  • तुलसी को हिंदी का जातीय कवि कहा जाता है।
  • Key Points

    •  कबीर संत काव्य धारा के प्रमुख कवि हैं।
    • कबीर की वाणी का संग्रह उनके शिष्य धर्मदास ने बीजक नाम से किया।
    • जायसी और कुतुबन प्रेममार्गी धारा के प्रमुख कवि हैं।

    Important Points

    •  तुलसीदास ने नवधा भक्ति में दास्य भक्ति को प्रमुखता से स्थान दिया।
    • शुक्ल जी ने तुलसी की भक्ति को स्वदेशी भक्ति माना है।

"निर्गु कौन देस को बासी। मधुकर ! हँसि समुझाय, सौंह दे बूझति साँच, न हाँसी।।" उक्त पंक्तियाँ किस कवि की हैं?  

  1. कबीर 
  2. रहीम 
  3. सूरदास 
  4. बिहारी 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : सूरदास 

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution

Download Solution PDF

निर्गुन कौन देस को बासी। मधुकर ! हँसि समुझाय, सौंह दे बूझति साँच, न हाँसी।।" उक्त पंक्तियाँ 'सूरदास' कवि की हैं 

Key Points

  • उपर्युक्त पंक्ति का अर्थः-
  • ( गोपियाँ कहती हैं कि हे उद्धव , भला हमें यह तो बताइए कि तुम्हारा वह निर्गुण ब्रह्म किस देश का निवासी है। हे भ्रमर, सच में, हम कसम खा कर पूछ रहीं हैं, मजाक तुमसे नही कर रही हैं। हमें तुम हँसकर समझा दो कि निर्गुण ब्रह्म का कौन पिता हैं। )
  • यह पंक्ति भ्रमरगीत सार से लिया गया है। 
  • जिसके संपादक आचार्य रामचंद्र शुक्ल हैं।
  • सूरदास की अन्य प्रमुख रचनाएँः-
  • सूरसागर, सूरसारावली, साहित्यलहरी, नल दमयंती, सूरसागरसार आदि।

Additional Information 

कवि

रचनाएँ 
कबीर (1398 - 1518 ) बीजक 1464 ई. ( तीन भाग में 1. रमैनी 2. सबद 3. साखी )
रहीम ( 1556 - 1627 ) रहीम सतसई , श्रृंगार सतसई , मदनाष्टक , रास पंचाध्यायी आदि।
बिहारी (1595 -1663 ) बिहारी सतसई (719 दोहा )

'केशव कहि न जाइ का कहए' यह पंक्ति किस कवि की है?

  1. केशवदास
  2. कबीरदास
  3. तुलसीदास
  4. नरहरिदास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : तुलसीदास

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution

Download Solution PDF

उपर्युक्त पंक्ति तुलसीदास की है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से  विकल्प तीन तुलसीदास सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

Key Points

  • केशव कहा ना जाए कहा कहिए पंक्तियां तुलसीदास ने विनय पत्रिका में कही हैं।
  • विनय पत्रिका का रचना वर्ष 1585 ईस्वी है।
  • काव्य रूप:-  गीतिकाव्य
  • भाषा:-  ब्रजभाषा
  • छंद संख्या:-  279
  • मुख्य रस:-  भक्ति रस

Important Points

  • गोस्वामी तुलसीदास (1511 - 1623) हिंदी साहित्य के महान कवि थे।
  • इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है।

अपने 126 वर्ष के दीर्घ जीवन-काल में तुलसीदास ने कालक्रमानुसार निम्नलिखित कालजयी ग्रन्थों की रचनाएँ कीं -

रचना

रचना वर्ष

रचना

रचना वर्ष

कृष्ण-गीतावली

1571

विनय-पत्रिका

1582

गीतावली

1571

दोहावली

1583

रामचरितमानस

1574

वैराग्यसंदीपनी

1612

रामललानहछू

1582

रामाज्ञाप्रश्न

1612

जानकी-मंगल

1582

बरवै रामायण

1612

पार्वती-मंगल

1582

कवितावली

1612

Additional Information

  • केशवदास रचित प्रामाणिक ग्रंथ नौ हैं : रसिकप्रिया, कविप्रिया, नखशिख, छंदमाला, रामचंद्रिका, वीरसिंहदेव चरित, रतनबावनी, विज्ञानगीता और जहाँगीर जसचंद्रिका।
  • धर्मदास ने कबीर की वाणियों का संग्रह "बीजक" नाम के ग्रंथ मे किया जिसके तीन मुख्य भाग हैं : साखी , सबद (पद ), रमैनी
  • नरहरि या नरहरिदास (जन्म : 1505, मत्यु : 1610) हिंदी साहित्य की भक्ति परंपरा में ब्रजभाषा के कवि थे। इनके नाम से तीन ग्रंथ - रुक्मिणी मंगल, छप्पय नीति और कवित्त संग्रह

'एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय' पंक्ति किस कवि द्वारा रचित है?

  1. कबीरदास 
  2. सूरदास 
  3. रैदास
  4. रहीमदास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : रहीमदास

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution

Download Solution PDF

'एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय' पंक्ति "रहीमदास " द्वारा रचित है।

रहीमदास-

  • भक्तिकालीन प्रमुख कवि है। 

Key Points

  • कबीर दास
    • कबीर या भगत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। 
    • वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे।
    • कृतियां :-  साखी, सबद, रमैनी

Additional Information

  • कबीरदास के काव्य में विद्यमान भावात्मक रहस्यवाद की झलक का कारण है।
  • डॉ बच्चन सिंह ने लिखा है , 'हिंदी भक्ति काव्य का प्रथम क्रांतिकारी पुरस्कर्ता कबीर हैं।
  • कबीर की बानियों का सबसे पुराना नमूना 'गुरु ग्रन्थ साहिब' में मिलता है।
  •  कबीर की प्रमुख रचनाएं हैं - रमैनी , सबद , साखी। 
  • कबीर को भाषा का डिक्टेटर भी कहा जाता है। 

Important Points 

  •  आचार्य शुक्ल ने हिंदी साहित्य के इतिहास में लिखा है - "उन्होंने भारतीय ब्रह्मवाद के साथ सूफियों के भावात्मक रहस्यवाद , हठयोगियों के साधनात्मक रहस्यवाद और वैष्णवों के अहिंसावाद तथा प्रपत्तिवाद का मेल करके अपना पंथ खड़ा किया"।

खेती न किसान को भिखारी को न भीख भली। बनिक को बनिज न चाकर को चाकरी।। यह पंक्ति इनमें से किस कवि की है?

  1. रामानंद 
  2. विट्ठलनाथ 
  3. सूरदास 
  4. तुलसीदास 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : तुलसीदास 

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution

Download Solution PDF

सही उत्तर 'तुलसीदास' है।
पंक्ति का अर्थः-

  • कवि तुलसीदास ने इस पंक्ति में इस समय की वर्तमान में किसानों से खेती नहीं होती , भिखारी को भीख नही मिलती, 
  • बनियों का व्यापार नही चलता और नौकरी करने वालों को नौकरी नही मिलती। जीविका हीन होने के कारण सब लोग दुःख और शोक मे व्यस्त है।

Key Points

  • उपर्युक्त पंक्तियाँ कवितावली (1612 ई. ) से ली गई है।
  • कवितावली तुलसीदास का मुक्तक काव्य है, जो ब्रजभाषा मे लिखा गया है।
  • कवितावली में सात कांड है।
  • तुलसीदास ( 1532 - 1623 ) की प्रमुख रचनाएँः-
  • वैराग्य संदीपनी , रामाज्ञ प्रश्न , रामललानहछु , जानकी मंगल , रामचरित मानस , पार्वती मंगल आदि।

Additional Information 

कवि रचनाएँ
रामानंद वैष्णवमताब्जभास्कर
विट्ठलनाथ  अणुभाष्य, यमुनाष्टक, सुबोधिनी की टीका, शृंगार रस मंडन आदि।
सूरदास  सूरसागर, साहित्य लहरी, सूर सारावली आदि।

Important Points

  • तुलसीदास के अनुसार आर्थिक दरिद्रता संसार का सबसे बडा अभिशाप है।
  • विट्ठलनाथ ने 1565 ई. मे अष्टछाप की संस्थापना की थी।
  • तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँ-
  • वैराग्य संदीपनी, रामाज्ञा प्रश्न, जानकी मंगल, रामचरितमानस, पार्वती मंगल, गीतावली, विनय पत्रिका आदि।

"माई न होती, बाप न होते, कर्म्म न होता काया।

हम नहिं होते, तुम नहिं होते, कौंन कहॉं ते आया।।

चंद न होता, सूर न होता, पानी पवन मिलाया।

शास्त्रत न होता, वेद न होता, करम कहाॅँँ ते आया।। "

उपर्युक्त काव्य पंक्तियॉं किस कवि की हैं?

  1. कबीर
  2. नामदेव
  3. रैदास 
  4. मलूकदास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : नामदेव

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 11 Detailed Solution

Download Solution PDF
  • सही उत्तर विकल्प 2 है।
  • यह पंक्तियां नामदेव की हैं।
  • Key Points
    • भक्तिकाल के निर्गुण कवि ( सगुण रचनाएं भी की हैं)
    • हिंदी में भक्ति साहित्य की परंपरा का प्रवर्तन नामदेव ने किया।
    Important Points
    • संप्रदाय - बारकरी
    • भाषा - सगुण भक्ति पदों की भाषा ब्रज है।
    • निर्गुण पदों की भाषा खड़ी बोली अथवा सधुक्कड़ी
    Additional Information
    • इनकी रचनाएं गुरु ग्रंथ साहिब में मिलती हैं।
    • महत्वपूर्ण पंक्तियां -
    1. पांडे तुम्हारी गायत्री लोधे का खेत खाती थी। लैकरी ठेंगा टंगरी तोरी लंगत लंगत लाती थी
    2. हिंदू पूजै देहरा, मुसलमान मसीद।​मा सेविया जहां देहरा न मसीद।

'तारो अब मोही' पंक्ति में रेखांकित शब्द का अर्थ है?

  1. तारना 
  2. तारे 
  3. उद्धार करना 
  4. उतार देना 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : उद्धार करना 

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 12 Detailed Solution

Download Solution PDF

'तारो अब मोही' पंक्ति में रेखांकित शब्द का अर्थ है- उद्धार करना

Key Points

  • मरे तो गिरिधर गोपाल......................................तारों अब मोही
  • प्रस्तुत पद पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित मीराबाई के पदों से लिया गया है।
  • इस पद में उन्होंने भगवान कृष्ण को पति के रूप में माना है तथा अपने उद्धार की प्रार्थना की है।
  • भावार्थ -
    • मीराबाई कहती हैं कि मेरे तो गिरधर गोपाल अर्थात् कृष्ण ही सब कुछ हैं। दूसरे से मेरा कोई संबंध नहीं है।
    • जिसके सिर पर मोर का मुकुट है, वही मेरा पति है। उनके लिए मैंने परिवार की मर्यादा भी छोड़ दी है।
    • अब मेरा कोई क्या कर सकता है? अर्थात् मुझे किसी की परवाह नहीं है।
    • मैं संतों के पास बैठकर ज्ञान प्राप्त करती हूँ और इस प्रकार लोक-लाज भी खो दी है।
    • मैंने अपने आँसुओं के जल से सींच-सींचकर प्रेम की बेल बोई है।
    • अब यह बेल फैल गई है और इस पर आनंद रूपी फल लगने लगे हैं।
    • वे कहती हैं कि मैंने कृष्ण के प्रेम रूप दूध को भक्ति रूपी मथानी में बड़े प्रेम से बिलोया है।
    • मैंने दही से सार तत्व अर्थात् घी को निकाल लिया और छाछ रूपी सारहीन अंशों को छोड़ दिया।
    • वे प्रभु के भक्त को देखकर बहुत प्रसन्न होती हैं और संसार के लोगों को मोह-माया में लिप्त देखकर रोती हैं।
    • वे स्वयं को गिरधर की दासी बताती हैं और अपने उद्धार के लिए प्रार्थना करती हैं।

Additional Informationमीराबाई

  • जन्म - 1498 ई०
  • मृत्यु-  1546 ई०
  • रचनाएँ -
    • नरसी जी रो माहेरो
    • गीत गोविन्द की टीका
    • राग गोविन्द
    • सोरठ के पद
    • मीराबाई की मलार
    • गर्वागीत
    • फुटकर पद

'प्रभु जी तुम चन्दन हम पानी ।

जाकी अंग-अंग बास समानी ।।'

उपर्युक्त पंक्तियों के रचयिता हैं

  1. कबीर
  2. नानक
  3. मलूकदास
  4. रैदास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : रैदास

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 13 Detailed Solution

Download Solution PDF

‘प्रभु जी तुम चंदन हम पानी’ 'रैदास' का वाक्य है। यह संत रैदास (रविदास) द्वारा रचित 'पद' है। अन्य विकल्प अनुपयुक्त हैं। अतः सही विकल्प 'रैदास' है।
Key Points
अन्य विकल्प:

  • दादू दयाल : दादूदयाल (1544-1603 ई.) हिन्दी के भक्तिकाल में ज्ञानाश्रयी शाखा के प्रमुख सन्त कवि थे। इनके 52 पट्टशिष्य थे, जिनमें गरीबदास, सुंदरदास, रज्जब और बखना मुख्य हैं।
  • कबीर - संत कबीरदास हिंदी साहित्य के भक्ति काल के इकलौते ऐसे कवि हैं, जो आजीवन समाज और लोगों के बीच व्याप्त आडंबरों पर कुठाराघात करते रहे। 
  • नानक - सिखों के प्रथम (आदि )गुरु हैं। इनके अनुयायी इन्हें नानकनानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से सम्बोधित करते हैं। 
  • नानक अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबन्धु - सभी के गुण समेटे हुए थे।

'जेहि पंखी के निअर होइ, कहै बिरह कै बात।

सोई पंखी जाइ जरि, तरिवर होहिं निपात।।'

ऊहात्मकता के अतिरिक्त उक्त पंक्तियों में व्यक्त भाव की क्या विशेषता है?

  1. इसमें प्रेम की विलक्षणता नहीं है
  2. कवि वेदना के स्वरूप विश्लेषण में नहीं, ताप की मात्रा नापने में प्रवृत्त है
  3. इसमें विरहताप के वेदनात्मक स्वरूप की अत्यन्त विशद् व्यंजना की गई है
  4. इसमें संत्रास युक्त शृंगार के कारण स्वाभाविक प्रेम की व्यंजना नहीं हुई है

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : इसमें विरहताप के वेदनात्मक स्वरूप की अत्यन्त विशद् व्यंजना की गई है

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 14 Detailed Solution

Download Solution PDF
  • सही उत्तर विकल्प 3 होगा।
  • इन पंक्तियों में विरहताप के वेदनात्मक स्वरूप की विशद व्यंजना की गई है।

  • Key Points
    • रचना - पद्मावत
    • खंड - नागमती वियोग
    • रचयिता - मलिक मोहम्मद जायसी
    • अर्थ - मैं अपनी विरह व्यथा किसी पंछी को सुनाती हूं तो वह भस्म हो जाता है। किसी पेड़ से कहती हूं तो उसके पत्ते जल उठते हैं।

    Important Points
    • जायसी भक्तिकाव्य के निर्गुण शाखा के प्रेम मार्गी कवि हैं।
    • महत्वपूर्ण ग्रंथ -
    1. पद्मावत - नागमती, पद्मावती, रतनसेन की प्रेम कहानी
    2. अखरावट - वर्णमाला से संबंधित ग्रंथ
    3. आखिरी कलाम - कयामत का वर्णन
    4. कहरानामा
    5. मसलानामा
    6. कन्हावत

    Additional Information
    •  पद्मावत में 57 खंड हैं।
    • जाय सी के गुरु - सूफी फकीर शेख मोहिदी

'प्रभु जी तुम चंदन हम पानी' इस पंक्ति के रचनाकार है?

  1. चंदनदास
  2. मलूकदास
  3. नानक
  4. संत रैदास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : संत रैदास

भक्तिकाल पंक्तियाँ Question 15 Detailed Solution

Download Solution PDF
  • "संत रैदास", यहाँ उचित विकल्प है, अन्य विकल्प असंगत है।
  • Additional Information

    • रैदास यहाँ दासीदासचकोर किसी की भक्ति नहीं करना चाहते है।
    • “प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै रैदासा”
    •  रैदास सिर्फ राम को स्वामी मानकर और स्वयं को दास मानकर भक्ति करना चाहता है।
Hot Links: teen patti noble teen patti jodi teen patti master 2025