बच्चों का द्वितीयक समाजीकरण ________ की अवस्था में प्रारंभ हो जाता है, जब वह स्कूल जैसे औपचारिक संस्थानों में जाना शुरु कर देते हैं।

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CTET Paper 2 Maths & Science 17th Jan 2022 (English-Hindi-Sanskrit)
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  1. शैशवावस्था
  2. प्रारम्भिक बाल्यावस्था
  3. माध्यमिक बाल्यावस्था
  4. किशोरावस्था

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Option 2 : प्रारम्भिक बाल्यावस्था
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समाजीकरण को उस प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसके द्वारा असहाय शिशु धीरे-धीरे एक आत्म-जागरूक, जानकार व्यक्ति बन जाता है, जिस संस्कृति में वह पैदा होता है, उसमें वह कुशल होता/होती है। वास्तव में समाजीकरण के बिना, कोई व्यक्ति मनुष्य की तरह व्यवहार नहीं करेगा। समाजीकरण एक जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है, हालांकि सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया प्राथमिक समाजीकरण की अवस्था प्रारंभिक वर्षों में होती है। द्वितीयक समाजीकरण जैसा कि हमने देखा, एक व्यक्ति के पूरे जीवन में व्यापक होता है।

Key Points

समाजीकरण की विशेषताएँ निम्न हैं -

  • बच्चे का समाजीकरण कई संस्थाओं और संस्थानों द्वारा, जैसे कि परिवार, स्कूल, सहयोगी समूह, पड़ोस, व्यावसायिक समूह एवं सामाजिक वर्ग/जाति, क्षेत्र तथा धर्म के अनुसार होता है, जिसमें वह शामिल होता/होती है।
  • प्रारंभिक बाल्यावस्था (2-6 वर्ष) में विकसित द्वितीयक समाजीकरण- अनुकरण, अनुमोदन, सहानुभूति, संवेदना, प्रतिद्वंद्विता, लगाव मित्रता आदि हैं।
  • उत्तर बाल्यावस्था (6-12 वर्ष) में विकसित सामाजिक व्यवहार- सामाजिक स्वीकृति, प्रतिस्पर्धा, उत्तरदायित्व आदि हैं।
  • किशोरावस्था (14-18 वर्ष) में विकसित सामाजिक व्यवहार- विरोधाभासी प्रवृत्तियाँ, नई सोच, नए सामाजिक समूह इत्यादि हैं।
  • अनुकूलन तथा समायोजन समाजीकरण के प्राथमिक उद्देश्य हैं।
  • समाजीकरण हमारे व्यक्तित्व और स्वतंत्रता की शुरुआत से संबद्ध होता है। समाजीकरण के दौरान, हम में से प्रत्येक मनुष्य आत्म-पहचान की भावना और स्वतंत्र विचार और कार्य की क्षमता विकसित करते हैं।

इस प्रकार इन सभी संदर्भों से, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि बच्चों का द्वितीयक सामाजीकरण प्रारम्भिक बाल्यावस्था की अवस्था में प्रारंभ हो जाता है, जब वह स्कूल जैसे औपचारिक संस्थानों में जाना शुरु कर देते हैं।

Hint

  • शैशवावस्था काल: कमरे के तापमान में समायोजन करना, स्वतंत्र रूप से सांस लेना, स्तनपान करना तथा निगलना, शरीर और अपशिष्ट का निपटान करना ऐसे प्रमुख क्षेत्र हैं जिनमें नवजात शिशु को कुशलता हासिल करने की आवश्यकता होती है।
  • प्रारम्भिक बाल्यावस्था ​काल: जन्म से छह वर्ष तक की अवधि तीव्र विकास का समय है। इस अवस्था में, अनुभव और अभाव की अनुपस्थिति विकास के लिए हानिकारक हो सकती है। प्रारम्भिक बाल्यावस्था या पहले तीन वर्षों के दौरान देखभाल और उद्दीपन महत्वपूर्ण है।
  • उत्तर बाल्यावस्था काल: इस अवस्था के दौरान बच्चों में नकारात्मकता का विकास होता है और स्वतंत्रता की इच्छा के कारण शायद ही कभी अपने माता-पिता की बात मानते हैं। बच्चे स्कूल जाना शुरू कर देते हैं और सफल वयस्क जीवन के लिए आवश्यक ज्ञान की मूल बातें सीखते हैं। सहयोगी समूह बहुत महत्व रखता है और इस आयु के बच्चे 'समूह में रहते है, और इसलिए इस अवस्था को गिरोह की आयु जैसे नामों से संबोधित किया जाता है'।
  • किशोरावस्था: किशोरावस्था का शाब्दिक अर्थ 'परिपक्वता की ओर बढ़ना' है। यह बाल्यावस्था और वयस्कता के बीच की एक मध्यवर्ती अवस्था है, जिसमें दोनों अवस्थाओं के गुण होते हैं, हालाँकि दोनों में से किसी के भी पूर्ण रूप से नहीं होते हैं। इसकी आयु सीमा 12-19 वर्ष है। यह वयस्कता की शुरुआत है। यौन परिपक्वता सहित तेजी से शारीरिक परिवर्तन होते हैं जो किशोरावस्था के दौरान प्राप्त होते हैं।

Important Pointsसमाजीकरण को दो व्यापक समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • प्राथमिक समाजीकरण
  • द्वितीयक समाजीकरण
  • प्राथमिक समाजीकरण- परिवार में आदर्शों और मूल्यों का समावेश प्राथमिक समाजीकरण कहलाता है। यहां बच्चे स्वयं को जानना चाहते हैं और अपनी पहचान तलाशने की कोशिश करते हैं और मनुष्यों के दैनिक दिनचर्या के कार्यों को सीखते हैं।
    • उदाहरण: परिवार। 
  • द्वितीयक समाजीकरण- विद्यालय के मानदण्डों, मूल्यों और व्यवहार प्रतिमानों को आत्मसात करने की प्रक्रिया को द्वितीयक समाजीकरण कहा जा सकता है।
    • उदहारण: चर्च, स्कूल, मीडिया, किताबें, पत्रिकाएँ, आदि।
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