दो पक्षों ने एक संविदा में प्रवेश किया। बाद में उन्हें एहसास हुआ कि जिस कानून को वे लागू समझते थे, वह भारत में लागू नहीं था। इससे उनका संविदा इस प्रकार हो जाता है:

  1. गैरकानूनी
  2. शून्य 
  3. शून्यकरणीय 
  4. इनमे से कोई भी नहीं।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : शून्य 

Detailed Solution

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सही उत्तर विकल्प 2 है। Key Points 

  • यदि दोनों पक्ष यह मानकर संविदा करते हैं कि भारत में अमुक कानून लागू है, और बाद में उन्हें पता चलता है कि उनकी समझ गलत थी, तो यह तथ्यात्मक भूल मानी जा सकती है।
  • यदि इस कानून का अस्तित्व करार के लिए आवश्यक था या संविदा के लिए एक मौलिक आधार बनाता था, तो संविदा को भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 की धारा 20 के तहत शून्य माना जाएगा।
  • भारतीय संविदा अधिनियम 1872 का अध्याय 2 संविदा, शून्यकरणीय संविदा, शून्य करार से संबंधित है।
  • भारतीय संविदा अधिनियम 1872 की धारा 20 उस करार को शून्य घोषित करती है, जहां दोनों पक्षों के बीच तथ्य के बारे में गलतफहमी हो।
  • जहां कि किसी करार के दोनों पक्षकार ऐसी तथ्य की बात के बारे में, जो करार के लिए मर्मभूत है, भूल में हों वहां करार शून्य है ।
    • स्पष्टीकरण—जो चीज करार की विषयवस्तु हो उसके मूल्य के बारे में गलत राय, तथ्य की बात के बारे में भूल नहीं समझी जाएगी।

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