सीपीसी के आदेश 39, नियम 2क के तहत, अवज्ञा या भंग के दोषी व्यक्ति को दंडित किया जा सकता है ___________ से

  1. संपत्ति की कुर्की
  2. सिविल कारावास में निरोध
  3. या तो (1) या (2) या दोनों
  4. या तो (1) अथवा (2)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : या तो (1) या (2) या दोनों

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सही उत्तर विकल्प 3 है।Key Pointsआदेश 39, नियम 2क सीपीसी:

व्यादेश की अवज्ञा या भंग का परिणाम -
(1) नियम 1 या नियम 2 के अधीन दिए गए किसी व्यादेश या किए गए अन्य आदेश की अवज्ञा की दशा में या जिन निबन्धनों पर व्यादेश दिया गया था या आदेश किया गया था उनमें से किसी निबन्धन के भंग के दशा में व्यादेश देने वाला या आदेश करने वाला न्यायालय या ऐसा कोई न्यायालय, जिसे वाद या कार्यवाही अन्तरित की गई है, यह आदेश दे सकेगा कि ऐसी अवज्ञा या भंग करने के दोषी व्यक्ति की सम्पत्ति कुर्क की जाए और यह भी आदेश दे सकेगा कि वह व्यक्ति
तीन मास से अनधिक अवधि के लिए सिविल कारागार में तब तक निरुद्ध किया जाए जब तक कि इस बीच में न्यायालय उसकी निर्मुक्ति के लिए निदेश न दे दे।

(2) इस अधिनियम के अधीन की गई कोई कुर्की एक वर्ष से अधिक समय के लिए प्रवृत्त नहीं रहेगी, जिसके खत्म होने पर यदि अवज्ञा या भंग जारी रहे तो कुर्क की गई सम्पत्ति का विक्रय किया जा सकेगा और न्यायालय आगमों में से ऐसा प्रतिकर जो वह ठीक समझे उस पक्षकार को दिलवा सकेगा जिसकी क्षति हुई हो, और यदि कुछ बाकी रहे तो उसे उसके हकदार पक्षकार को देगा।
 

इस प्रकार, व्यादेश के भंग के परिणाम हैं:

  • विचाराधीन संपत्ति की कुर्की का आदेश,
  • व्यक्ति को सिविल जेल में निरुद्ध करना।
  • ऐसे मामले में जहां भंग एक वर्ष से अधिक समय तक जारी रहता है, विचाराधीन संपत्ति बेची जा सकती है।

अस्थायी व्यादेश का प्रभाव संपत्ति के बाद के हस्तांतरण को शून्य बनाना नहीं है। व्यादेश के भंग में किसी पक्ष द्वारा संपत्ति का कोई भी बंधक या बिक्री अवैध और शून्य नहीं है। व्यादेश के आदेश की अवहेलना करने वाले व्यक्ति को एकमात्र दंड नियम 2-ए द्वारा निर्धारित किया गया है।

संहिता में 1976 के संशोधन द्वारा नियम 2ए को संहिता में शामिल किया गया था; इससे पहले, अदालत की अवमानना का कानून इस उद्देश्य के लिए लागू किया गया था। कानून का यह सुस्थापित सिद्धांत है कि जहां एक विशेष कानून और सामान्य कानून होता है, वहां विशेष कानून के प्रावधान सामान्य कानून पर हावी होते हैं; इस प्रकार, नियम 2ए में निहित प्रावधान अदालत की अवमानना के सामान्य कानून पर हावी होंगे (समीर सरकार बनाम महाराज सिंह, 1983) व्यादेश की अवज्ञा एक नागरिक अवमानना है, आपराधिक अवमानना नहीं (डॉ. बिमल चंद्रा बनाम कमल माथुर, 1983)

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