“बिन घनस्याम धाम धाम ब्रज मंडल में,

ऊधो ! नित बसति बहार बरसा की है।"

इन पंक्तियों में कौन सा अलंकार है ?

This question was previously asked in
RPSC 2nd Grade Hindi (Held on 4th July 2019) Official Paper
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  1. श्लेष
  2. विभावना
  3. उत्प्रेक्षा
  4. असंगति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : विभावना
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RPSC Senior Grade II (Paper I): Full Test 1
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"बिन घनस्याम धाम धाम ब्रज मंडल में / ऊधो! नित बसति बहार बरसा की है।" में विभावना अलंकार है।

  • उपर्युक्त पंक्ति में वर्षा कार्य के लिए बादल कारण विद्यमान होना चाहिए परन्तु यहाँ कहा गया है कि श्याम घन के न होने पर भी वर्षा की बहार रहती है।
  • अतः बिना कारण के भी कार्य सम्पन्न हो रहा है।
  • इसलिए यहाँ पर विभावना अलंकार है।
Key Points

विभावना अलंकार

  • विभावना का अर्थ होता है- बिना कारण।
  • जहाँ कारण के न होने पर भी कार्य का होना वर्णित होता है अर्थात् कारण के नहीं होने पर भी कार्य होता है , वहाँ विभावना अलंकार होता है।
  • अन्य उदाहरण-
    • "कारे घन उमड़ि अंगारे बरसत हैं।"
    • घन से अंगारे नहीं ,पानी बरसता है, जो अंगारों का विरोधी है। परन्तु यहाँ कहा गया है कि घन अंगारे बरसाते हैं। यहाँ विपरीत कारण से कार्य की उत्पत्ति हुई है।
Additional Information

श्लेष अलंकार

  • यह अलंकार शब्द, अर्थ दोनो में प्रयुक्त होता हैं।
  • श्लेष अलंकार में एक शब्द के दो अर्थ निकलते हैं।
  • जैसे-
    • 'रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
    • पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।।"
    • यहाँ 'पानी' का प्रयोग तीन बार किया गया है, यहाँ प्रयुक्त 'पानी' शब्द के तीन अर्थ हैं - मोती के सन्दर्भ में पानी का अर्थ 'चमक' या कान्ति, मनुष्य के सन्दर्भ में पानी का अर्थ 'प्रतिष्ठा', चूने के सन्दर्भ में पानी का अर्थ 'जल' है।

उत्प्रेक्षा अलंकार

  • जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना हो।
  • जहां उपमेय और उपमान में समानता के कारण रूप में उपमान की संभावना की कल्पना की जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • उस काल मारे क्रोध के तन कांपने उसका लगा। मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।
    • सिर फट गया उसका वही मानो अरुण रंग का घड़ा।
  • पहचान- उत्प्रेक्षा अलंकार के कुछ वाचक शब्द इस प्रकार हैं - जाने, ज्यों, जनु, मनु, मानो, मनहु आदि।

असंगति अलंकार

  • 'असंगति’ का मतलब संगति का न होना होता है।
  • जहाँ कारण कहीं और कार्य कहीं और होने का वर्णन किया जाय तब वहाँ ‘असंगति’ अलंकार होता है।
  • जैसे-
    • "तुमने पैरों में लगाई मेंहदी 
    • मेरी आँखों में समाई मेंहदी।"
    • ऊपर दिए गए वाक्य में मेंहदी लगाने का काम पाँव में हुआ, किंतु उसका परिणाम आँखों में दिखाई पड़ रहा है। इसलिए यहाँ ‘असंगति’ अलंकार है।
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