आनुपातिकता का सिद्धांत (Doctrine of Proportionality in Hindi) को आमतौर पर प्रशासनिक कार्रवाई से जुड़े अधिकांश मामलों में न्यायिक समीक्षा के आधार के रूप में माना जाता है। ओम कुमार बनाम भारत संघ के मामले में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आनुपातिकता का सिद्धांत (Doctrine of Proportionality) अपनाया। आनुपातिकता इस तथ्य को संदर्भित करती है कि वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए प्रशासनिक कार्रवाई आवश्यकता से अधिक गंभीर नहीं होनी चाहिए।
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आइए हम आनुपातिकता का सिद्धांत (Doctrine of Proportionality in Hindi), इसकी अवधारणा को देखें, जो UPSC IAS परीक्षा का एक महत्वपूर्ण टॉपिक है और यूपीएससी सामान्य अध्ययन पेपर 2 सिलेबस का एक प्रमुख हिस्सा है।
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मामले | विवरण |
ओम कुमार बनाम भारत संघ |
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के एस पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ |
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प. राज्य सड़क परिवहन निगम बनाम सुभाष चंद्र शर्मा |
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देव सिंह बनाम पंजाब पर्यटन विकास निगम |
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अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ |
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आधार गोपनीयता और आनुपातिकता का सिद्धांत |
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प्रश्न: न्यायिक समीक्षा में आनुपातिकता के सिद्धांत से आप क्या समझते हैं? जांच करें कि आधार की संवैधानिक वैधता का समर्थन करने के लिए इसका उपयोग कैसे किया गया था।
हम आशा करते हैं कि आनुपातिकता का सिद्धांत (Doctrine of Proportionality in Hindi) से संबंधित आपके सभी संदेह अब दूर हो गए होंगे। टेस्टबुक विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अध्ययन सामग्री प्रदान करता है। टेस्टबुक ऐप डाउनलोड करके अपनी यूपीएससी की तैयारी में सफलता प्राप्त करें!
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