प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन - मोफत PDF डाउनलोड करा

Last updated on Apr 13, 2025

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Latest प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन MCQ Objective Questions

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प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 1:

"मैं हिन्दी के प्रचार, राष्ट्रभाषा के प्रचार को राष्ट्रीयता का मुख्य अंग मानता हूँ ।" यह कथन किसका है ?

  1. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
  2. पुरुषोत्तमदास टंडन
  3. लाला लाजपत राय
  4. सी. राजगोपालाचारी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 1 Detailed Solution

"मैं हिन्दी के प्रचार, राष्ट्रभाषा के प्रचार को राष्ट्रीयता का मुख्य अंग मानता हूँ ।" यह कथन है- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

Key Points

  • यह कथन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का है। वे भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे।
  • उन्होंने हिन्दी के प्रचार और राष्ट्रभाषा के प्रसार को राष्ट्रीयता का मुख्य अंग माना

अन्य विकल्प -

  • पुरुषोत्तमदास टंडन का कथन -  "यदि हिन्दी भारतीय स्वतंत्रता के आड़े आयेगी तो मैं स्वयं उसका गला घोंट दूँगा।" 

Additional Informationडॉ. राजेन्द्र प्रसाद-

  • जन्म - 3 दिसंबर 1884 - 28 फरवरी 1963
  • भारत गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे।
  • वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे;
  • और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। 
  • रचनाएँ- बापू के कदमों में बाबू (1954), इण्डिया डिवाइडेड (1946),
    • सत्याग्रह ऐट चम्पारण (1922), गान्धीजी की देन, भारतीय संस्कृति व खादी का अर्थशास्त्र इत्यादि।

पुरुषोत्तमदास टंडन-

  • जन्म - 1 अगस्त 1882 - 1 जुलाई 1962
  • भारत के स्वतन्त्रता सेनानी एवं राजनेता थे।
  • वे भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के अग्रणी पंक्ति के नेता तो थे
  • वे 'राजर्षि' के नाम से भी विख्यात थे।
  • वर्ष 1950 में वे 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष नियुक्त हुए थे। 

लाला लाजपत राय-

  • जन्म - 28 जनवरी 1865 -17 नवम्बर 1928
  • भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है।
  • इन्होंने पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी
  • ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे। 

सी. राजगोपालाचारी-

  • जन्म - 10 दिसम्बर 1878 - 25 दिसम्बर 1972
  • जिन्हें राजाजी या सीआर के नाम से जाना जाता है ,
  • जिन्हें मूथरिगनार राजाजी के नाम से भी जाना जाता है,
  • एक भारतीय राजनेता, लेखक, वकील और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे।
  • राजगोपालाचारी भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल थे

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 2:

“योरप का यह अभिव्यंजनावाद हमारे यहाँ के पुराने वक्रोक्तिवाद वक्रोक्ति: काव्य - जीवितम् का ही नया रूप या विलायती उत्थान है।” - यह किस आलोचक का कथन है?

  1. नन्ददुलारे वाजपेयी
  2. शिवदान सिंह चौहान
  3. रामचंद्र शुक्ल
  4. रामविलास शर्मा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : रामचंद्र शुक्ल

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 2 Detailed Solution

“योरप का यह अभिव्यंजनावाद हमारे यहाँ के पुराने वक्रोक्तिवाद वक्रोक्ति: काव्य - जीवितम् का ही नया रूप या विलायती उत्थान है।” - यह रामचंद्र शुक्ल आलोचक का कथन है?

Key Points

  • अभिव्यंजनावाद के प्रवर्तक बेनेदेत्तो क्रोचे थे, 
  • वे एक आत्मवादी दार्शनिक थे और उनका मकसद साहित्य में आत्मा की आंतरिक सत्ता स्थापित करना था। 
  • क्रोचे के मुताबिक, "अंतःप्रज्ञा के क्षणों में आत्मा की सहजानुभूति ही अभिव्यंजना है। 

Important Points रामचंद्र शुक्ल -

  • (4 अक्टूबर 1884 - 2 फरवरी 1941 ई.)
  • हिन्दी आलोचक, कहानीकार, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे। 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ -
    • सूर, तुलसी, जायसी पर की गई आलोचनाएँ,
    • काव्य में रहस्यवाद,
    • काव्य में अभिव्यंजनावाद,
    • रसमीमांसा आदि शुक्ल की आलोचनात्मक रचनाएँ हैं।
  • निबन्धात्मक ग्रन्थ -
    • उनके निबन्ध चिंतामणि नामक ग्रंथ के दो भागों में संग्रहीत हैं। 

Additional Informationनन्ददुलारे वाजपेयी -

  • (4 सितम्बर 1906 - 21 अगस्त, 1967 ई.)
  • हिन्दी के साहित्यकार, पत्रकार, सम्पादक, आलोचक और अंत में प्रशासक भी रहे।
  • आलोचनात्मक ग्रंथ- 
    • ‘हिंदी साहित्य बीसवीं शताब्दी'(1942 ई.),
    • ‘आधुनिक साहित्य'(1950 ई.),
    • ‘सूरदास’ (1953 ई.),
    • ‘नया साहित्य :नए प्रश्न' (1955 ई.), 
    • ‘कवि निराला'(1965 ई.
    • रस सिद्धांत नए संदर्भ (1997 ई.),
    • नयी कविता (1997 ई.) प्रमुख हैं। 

शिवदान सिंह चौहान -

  •  (1918 ई.-2000 ई.)
  • हिन्दी साहित्य के प्रथम मार्क्सवादी आलोचक के रूप में ख्यात हैं। 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ -
    • प्रगतिवाद (1946 ई.),
    • साहित्य की परख (1946 ई.),
    • हिंदी साहित्य के अस्सी वर्ष (1954 ई.),
    • साहित्यानुशीलन (1955 ई.),
    • आलोचला के मान (1958 ई.),
    • साहित्य की समस्याएँ (1958 ई.),
    • परिप्रेक्ष्य को सही करते हुए (1999 ई.) ।

रामविलास शर्मा -

  •  (10 अक्टूबर 1912 ई.- 30 मई 2000  ई.)
  • आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे।
  • आलोचनात्मक ग्रंथ -
    • 'प्रेमचन्द और उनका युग' (1953 ई.)
    • 'निराला' (1946 ई.)
    • 'भारतेन्दु हरिश्चन्द्र' (1954 ई.)
    • 'प्रगति और परम्परा' (1954 ई.)
    • 'भाषा साहित्य और संस्कृति' (1954 ई.)
    • 'भाषा और समाज' (1961 ई.)
    • 'निराला की साहित्य साधना' (1969 ई.)

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 3:

"जब तक भाषा बोलचाल में थी तब तक वह भाषा या देशभाषा ही कहलाती रही, जब वह भी साहित्य की भाषा हो गई तब उसके लिए 'अपभ्रंश' शब्द का व्यवहार होने लगा।" यह कथन किसका है ?

  1. शिव प्रसाद सिंह
  2. नामवर सिंह
  3. रामचंद्र शुक्ल 
  4. हजारी प्रसाद द्विवेदी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : रामचंद्र शुक्ल 

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 3 Detailed Solution

सही उत्तर है - रामचन्द्र शुक्ल 

Key Pointsरामचन्द्र शुक्ल-

  • जन्म-1884-1941 ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • गोस्वामी तुलसीदास(1923 ई.)
    • जायसी ग्रंथावली(1924 ई.)
    • भ्रमरगीत सार(1925 ई.)
    • हिन्दी साहित्य का इतिहास(1929 ई.) आदि।

Important Pointsनामवर सिंह-

  • जन्म-1926-2019ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • छायावाद(1955ई.)
    • इतिहास और आलोचना(1957ई.)
    • कहानी:नयी कहानी(1965ई.)
    • कविता के नये प्रतिमान(1968ई.)
    • दूसरी परंपरा की खोज(1982ई.) आदि।

शिवप्रसाद सिंह-

  • जन्म-1928-1998ई. 
  • हिन्दी के साहित्यकार थे।
  • मुख्य उपन्यास-
    • अलग-अलग वैतरणी(1967ई.)
    • गली आगे मुड़ती है(1974ई.)
    • नीला चाँद(1988ई.)
    • दिल्ली दूर है(1993ई.) आदि। 
  • वर्ष 1990 में 'नीला चाँद' उपन्यास के लिए डॉ. शिवप्रसाद सिंह को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी- 

  • जन्म- 1907 - 1979 ईo
  • हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे। 
  • निबंध संग्रह-
    • अशोक के फूल (1948)
    • कल्पलता (1951)
    • मध्यकालीन धर्म साधना (1952)
    • विचार और वितर्क (1957)
    • विचार प्रवाह (1959)
    • कुटज (1964)
    • साहित्य सहचर (1965)
    • आलोक पर्व (1972)
  • आलोचनात्मक ग्रंथ- 
    • सूर साहित्‍य (1936)
    • हिन्‍दी साहित्‍य की भूमिका (1940)
    • प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद (1952)
    • कबीर (1942)
    • हिन्‍दी साहित्‍य का आदिकाल (1952)
    • लालित्‍य तत्त्व (1962)
    • साहित्‍य सहचर (1965)
    • कालिदास की लालित्‍य योजना (1965)
    • मध्‍यकालीन बोध का स्‍वरूप (1970)
    • सहज साधना (1963)

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 4:

“विलक्षण बात यह है कि आधुनिक गद्य-साहित्य की परंपरा का प्रवर्तन नाटक से हुआ।" यह कथन किस इतिहासकार का है?

  1. रामचंद्र शुक्ल
  2. हजारी प्रसाद द्विवेदी
  3. गणपतिचंद्र गुप्त
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : रामचंद्र शुक्ल

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 4 Detailed Solution

"विलक्षण बात यह है कि आधुनिक गद्य - साहित्य की परंपरा का प्रवर्तन नाटक से हुआ।” यह कथन रामचंद्र शुक्ल का है।
Key Pointsआचार्य रामचंद्र शुक्ल -
  • जन्म - 4 अक्टूबर 1884 ई.
  • जन्म स्थान - उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले का अगोना गांव।
  • मृत्यु -1941 ई.
  • मुख्य - यह हिंदी के आलोचक, कहानीकार,निबंधकार और साहित्य इतिहासकार,कोशकार, अनुवादक,कथाकार और कवि थे।
    • 'हिंदी साहित्य का इतिहास' इनके द्वारा लिखी गई सर्वाधिक महत्वपूर्ण पुस्तक है।
    • हिंदी में वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात इन्हीं के द्वारा हुआ।
Important Pointsआचार्य रामचंद्र शुक्ल ने आलोचना के क्षेत्र में 'विरुधों का सामंजस्य सिद्धांत' का परिवर्तन किया।
  • प्रमुख आलोचनात्मक कृतियां -
    • गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
    • जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
    • भ्रमर गीतसार (1925 ई.)
    • काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.)
    • रस मीमांसा (1949 ई.)

Additional Informationहजारी प्रसाद द्विवेदी-

  • आलोचनात्मक रचनाएं -
    • सूर साहित्य (1930 ई.)
    • हिंदी साहित्य की भूमिका (1940 ई.)
    • कबीर (1941 ई.)
    • हिंदी साहित्य का आदिकाल (1952 ई.)
    • कालिदास की लालित्य योजना (1965 ई.)
    • मध्यकालीन बोध का स्वरूप (1970 ई.)

गणपति चन्द्र गुप्त-

  • डॉ. गणपतिचन्द्र गुप्त हिन्दी साहित्यकार थे। उन्होने आलोचक के रूप में ख्याति अर्जित की। 
  • जन्म- 15 जुलाई 1928 को राजस्थान के मंढा (सुरेरा) 
  • प्रमुख रचना-
    • शलिभ्रद सूरि कृत ‘भरतेश्वर बाहुबलिरास’(1184 ई.) को हिन्दी की प्रथम रचना।  

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 5:

"देवनागरी दुनिया की सबसे वैज्ञानिक लिपि है।" - यह कथन किसका है?

  1. आइजक पिटमेन
  2. ब्लूमफील्ड
  3. राहुल सांकृत्यायन 
  4. आचार्य विनोबा 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : राहुल सांकृत्यायन 

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 5 Detailed Solution

"देवनागरी दुनिया की सबसे वैज्ञानिक लिपि है।" - यह कथन राहुल सांकृत्यायन का है

Key Points देवनागरी लिपि-

  • लिखित ध्वनि संकेत को लिपि कहते हैं हिंदी जी लिपि में लिखी जाती है उसे नागरी या देवनागरी लिपि कहा जाता है
  • ब्राह्मी लिपि से ही देवनागरी लिपि का विकास हुआ
  • देवनागरी लिपि का प्रयोग हिंदी, मराठी, नेपाली भाषाओं को लिखने में होता है
  • इसके अतिरिक्त संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रशं भी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है
  • देवनागरी लिपि का समुचित विकास आठवीं शती में हुआ
  • गुजरात के राष्ट्रकूट नरेशों की यही लिपि थी
Important Points

 देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता -

  •  देवनागरी लिपि रोमन एवं फारसी लिपि की तुलना में अधिक वैज्ञानिक है इस लिपि में गुण अधिक है और दोष न्यूनतम है

 इसकी वैज्ञानिकता के प्रमुख बिंदु-

  • वर्ण विभाजन में वैज्ञानिकता
  • देवनागरी लिपि धन्यात्मक लिपि ने होकर अक्षरात्मक या वर्णनात्मक लिपि है
  • उच्चारण एवं लेखन में एकरूपता
  • देवनागरी लिपि में समग्र ध्वनियों को अंकित करने की क्षमता है
  • देवनागरी लिपि में प्रत्येक ध्वनि के लिए एक चिन्ह नियत है
  • देवनागरी लिपि में प्रत्येक वर्ण का निश्चित उच्चारण है 
  • वैज्ञानिक लिपि वही मानी जाती है जिसमें दो वर्णों में पारस्परिक साम्य के कारण अस्पष्टता न हो
  • मात्राओं के कारण देवनागरी लिपि रोमन लिपि की तुलना में कम स्थान घेरती है इसलिए बैक कम खर्चीली है
  • देवनागरी लिपि सरल, कलात्मक एवं सुंदर लिपि है
Additional Informationसर आइजक पिटमैन

-

  •  "संसार में यदि कोई सर्वांगपूर्ण अक्षर है तो देवनागरी के है!"
आचार्य विनोबा

-

  • " नागरी लिपि से बढ़कर वैज्ञानिक लिपि मैंने पायी नहीं!"

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 6:

"आधुनिक काल में गद्य का आविर्भाव सबसे प्रधान घटना है।" यह कथन किसका है?

  1. रामविलास शर्मा
  2. नंददुलारे वाजपेयी
  3. रामचंद्र शुक्ल
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : रामचंद्र शुक्ल

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 6 Detailed Solution

"आधुनिक काल में गद्य का आविर्भाव सबसे प्रधान घटना है।" यह कथन रामचंद्र शुक्ल का है

Key Pointsआचार्य रामचन्द्र शुक्ल-

  • जन्म - 1884-1941 ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रन्थ-
    • गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
    • जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
    • भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
    • हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
    • काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि।

Important Pointsनंददुलारे वाजपेयी-

  • जन्म- 1906-1967ई.
  • रचनाएँ-
    • हिंदी साहित्य:बीसवीं शताब्दी(1942)
    • जयशंकर प्रसाद(1940)
    • आधुनिक साहित्य(1950)
    • नया साहित्य:नये प्रश्न(1955) आदि।

रामविलास शर्मा-

  • जन्म- 1912-2000 ई.
  • मुख्य रचनाएँ-
    • प्रेमचन्द(1941)
    • भारतेन्दु युग(1943)
    • निराला(1946)
    • प्रेमचन्द और उनका युग(1952)
    • भारतेन्दु हरिश्चन्द्र(1953)
    • प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ (1954)
    • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना(1955) आदि। 

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 7:

"जिसे हम आधुनिकता कहते हैं, वह एक प्रक्रिया का नाम है। यह प्रक्रिया अंधविश्वास से बाहर निकलने की प्रक्रिया है।"- यह कथन किसका है?

  1. रामधारी सिंह 'दिनकर'
  2. बालकृष्ण भट्ट 
  3. अज्ञेय 
  4. नामवर सिंह 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : रामधारी सिंह 'दिनकर'

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 7 Detailed Solution

"जिसे हम आधुनिकता कहते हैं, वह एक प्रक्रिया का नाम है। यह प्रक्रिया अंधविश्वास से बाहर निकलने की प्रक्रिया है।"- यह कथन रामधारी सिंह 'दिनकर' का है।

Key Pointsरामधारी सिंह 'दिनकर'-

  • जन्म-1908-1974 ई.
  • राष्ट्रीय सांस्कृतिक धारा के मुख्य कवि रहे है। 
  • अन्य नाम-
    • अधैर्य का कवि,समय सूर्य,आवेश का कवि। 
  • अन्य रचनाएँ-
    • हुंकार(1938 ई.),रसवंती(1940 ई.),कुरुक्षेत्र(1946 ई.),परशुराम की प्रतीक्षा(1963 ई.),हारे को हरिनाम(1970 ई.) आदि। 

Important Pointsबालकृष्ण भट्ट-

  • जन्म-1844-1914 ई. 
  • हिन्दी के सफल पत्रकार, उपन्यासकार, नाटककार और निबंधकार थे। 
  • भट्ट जी ने हिन्दी प्रदीप नामक मासिक पत्र निकाला।
  • 1933 ई. में प्रयाग में हिन्दीवर्द्धिनी नामक सभा की स्थापना की।
  • निबंध-
    • चंद्रोदय
    • संसार महानाट्यशाला
    • कालचक्र का चक्कर
    • साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है
    • आत्मगौरव
    • मेला ठेला
    • बातचीत आदि।

अज्ञेय-

  • जन्म-1911-1987ई. 
  • तार सप्तक(1943ई.) के प्रवर्तक है। 
  • रचनाएँ-
    • भग्नदूत(1933ई.)
    • चिंता(1942ई.)
    • इत्यलम्(1946ई.)
    • इन्द्रधनुष रौंदे हुए ये(1957ई.)
    • अरी ओ करुणा प्रभामय(1959ई.) आदि। 
  • अज्ञेय-
    • "व्यक्ति समाज में स्वतंत्र है,समाज से नहीं।"
    • "काव्य सबसे पहले शब्द है और सबसे बाद में भी यही बात बच जाती है कि काव्य शब्द हैं।"

नामवर सिंह-

  • जन्म-1926-2019ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • छायावाद(1955ई.)
    • इतिहास और आलोचना(1957ई.)
    • कहानी:नयी कहानी(1965ई.)
    • कविता के नये प्रतिमान(1968ई.)
    • दूसरी परंपरा की खोज(1982ई.) आदि। 

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 8:

"ज्ञान राशि के संचित कोश का नाम साहित्य है। यह किसकी प्रसिद्ध उक्ति है? 

  1. मैथिलीशरण गुप्त
  2. महावीर प्रसाद द्विवेदी 
  3. हजारी प्रसाद द्विवेदी
  4. रामविलास शर्मा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : महावीर प्रसाद द्विवेदी 

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 8 Detailed Solution

"ज्ञान राशि के संचित कोश का नाम साहित्य है। यह प्रसिद्ध उक्ति है- महावीर प्रसाद द्विवेदी 

Key Pointsमहावीर प्रसाद द्विवेदी:

  • आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी हिन्दी के महान साहित्यकार, पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे।
  • उन्होंने हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की।
  • उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग 'द्विवेदी युग' के नाम से जाना जाता है।

Important Pointsरामविलास शर्मा:

  • डॉ॰ रामविलास शर्मा आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे।
  • पेशे से अंग्रेजी के प्रोफेसर, दिल से हिन्दी के प्रकांड पंडित और गहरे विचारक।
  • ऋग्वेद और मार्क्स के अध्येता, कवि, आलोचक, इतिहासवेत्ता, भाषाविद, राजनीति-विशारद ये सब विशेषण उन पर समान रूप से लागू होते हैं।

 

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 9:

'भारतेन्दु युगीन साहित्य केवल राजनीतिक स्वाधीनता का साहित्य न होकर मनुष्य की एकता, समानता और भाईचारे का भी साहित्य है ।' यह कथन किस आलोचक का है ?

  1. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
  2. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
  3. डॉ. राम विलास शर्मा
  4. डॉ. नामवर सिंह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : डॉ. राम विलास शर्मा

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 9 Detailed Solution

'भारतेन्दु युगीन साहित्य केवल राजनीतिक स्वाधीनता का साहित्य न होकर मनुष्य की एकता, समानता और भाईचारे का भी साहित्य है ।' यह कथन आलोचक का है - डॉ. राम विलास शर्मा

Key Pointsडॉ. राम विलास शर्मा-

  • जन्म- 1912 2000 ई.
  • आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे।
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • प्रेमचन्द (1941)
    • भारतेन्दु युग (1943)
    • निराला (1946)
    • भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (1953) 
    • प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ (1954)
    • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना (1955)
    • निराला की साहित्य साधना-1 (जीवनी) (1969)
    • महावीरप्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण (1977)
    • नयी कविता और अस्तित्ववाद (1978) आदि।  

Additional Information आचार्य रामचन्द्र शुक्ल-

  • जन्म - 1884-1941 ई. 
  • हिन्दी आलोचक, कहानीकार, निबन्धकार,
    • साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
  • आलोचनात्मक ग्रन्थ-
    • गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
    • जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
    • भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
    • हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
    • काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि।

हजारी प्रसाद द्विवेदी-

  • जन्म-1907-1979ई.
  • हिन्दी निबन्धकारआलोचक और उपन्यासकार थे।
  • आलोचनात्मक ग्रन्थ-
    • सूर साहित्‍य (1936ई.)
    • हिन्‍दी साहित्‍य की भूमिका (1940ई.)
    • हिन्‍दी साहित्‍य का आदिकाल (1952ई.)
    • अशोक के फूल (1948ई.)
    • कल्‍पलता (1951ई.) आदि।

डॉ. नामवर सिंह-

  • जन्म - 1926 - 2019 ई. 
  • एक भारतीय साहित्यिक आलोचक, भाषाविद्, शिक्षाविद और सिद्धांतकार थे।
  • आलोचनात्मक ग्रन्थ- 
    • आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ (1954 ई.)
    • छायावाद (1955 ई.)
    • इतिहास और आलोचना (1957 ई.)
    • कहानी: नयी कहानी (1964 ई.)
    • कविता के नए प्रतिमान (1968 ई.)
    • दूसरी परंपरा की खोज (1982 ई.)
    • वाद विवाद संवाद (1989 ई.) 

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 10:

"कवि का काम यदि 'दुनिया में ईश्वर के कामों को न्यायोचित ठहराना है' तो साहित्य के इतिहासकार का काम है कवि के कामों को साहित्येतिहास की विकास-प्रक्रिया में न्यायोचित दिखा सकना।”- उपर्युक्त कथन किसका है?

  1. रामस्वरूप चतुर्वेदी 
  2. रामचन्द्र शुक्ल  
  3. रामविलास शर्मा 
  4. नामवर सिंह 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : रामस्वरूप चतुर्वेदी 

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 10 Detailed Solution

सही उत्तर है- रामस्वरूप चतुर्वेदी

Key Pointsरामस्वरूप चतुर्वेदी(1931 -2003 ई.) की रचनाएं -

  • भाषा और संवेदना (1964 ई.)
  • अज्ञेय और आधुनिक रचना की समस्या (1968 ई.)
  • हिंदी साहित्य की अधुनातन प्रवृत्तियां (1969 ई.)
  • कामायनी का पुनर्मूल्यांकन (1970 ई.)
  • कविता यात्रा (1976 ई.)
  • इतिहास और आलोचना दृष्टि (1982 ई.)

Important Pointsरामचन्द्र शुक्ल- 

  • जन्म- 1884 - 1941 ईo
  • आलोचना ग्रंथ-
    • हिन्दी साहित्य का इतिहास
    • जायसी ग्रंथावली (1924)
    • गोस्वामी तुलसीदास (1923)
    • रसमीमांसा (1949)
    • भ्रमर गीत सार (1925 )
    • काव्य मे रहस्यवाद (1929)
रामविलास शर्मा (1921 -2000 ई. ) की रचनाएं -
  • प्रेमचंद (1941 ई.)
  • भारतेंदु युग (1943 ई.)
  • निराला (1946 ई.)
  • प्रगति और परंपरा (1949 ई.)
  • साहित्य और संस्कृति (1949 ई.)
  • भाषा और समाज (1961 ई.)
नामवार सिंह (1926 - 2019 ई.) की रचनाएँ -
  • हिंदी के विकास में अपभ्रशं का योग (1952 ई.)
  • छायावाद (1955 ई.)
  • इतिहास और आलोचना (1957 ई.)
  • आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां (1962 ई.)
  • कविता के नए प्रतिमान (1968 ई.)
  • दूसरी परंपरा की खोज (1982 ई.)

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