प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन MCQ Quiz - Objective Question with Answer for प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन - Download Free PDF

Last updated on Jun 30, 2025

Latest प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन MCQ Objective Questions

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 1:

"'सुख-दुख की भावावेशमयी अवस्था विशेष का गिने-चुने शब्दों में स्वर साधना का उपयुक्त चित्रण कर देना ही गीत है'" - यह उक्ति किस रचनाकार की है? 

  1. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
  2. धर्मवीर भारती
  3. अज्ञेय 
  4. महादेवी वर्मा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : महादेवी वर्मा

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 1 Detailed Solution

"'सुख-दुख की भावावेशमयी अवस्था विशेष का गिने-चुने शब्दों में स्वर साधना का उपयुक्त चित्रण कर देना ही गीत है'" - यह उक्ति महादेवी वर्मा रचनाकार की है

  • यह यामा काव्य संग्रह से ली गयी पंक्तियाँ हैं।

Key Pointsगीतिकाव्य-

  • गीतिकाव्य ऐसा काव्य जो गीति प्रधान अथवा गेय हो और आत्मपरक हो
  • गीतिकाव्य के प्रमुख तत्व -
    • संगीतात्मकता 
    • आत्माभिव्यक्ति 
    • कोमलकांत पदावली 
    • संक्षिप्तता 
    • एकरसता 

Important Pointsमहादेवी वर्मा -

  • समयकाल -26 मार्च 1907 -11 सितम्बर 1987
  • जन्म स्थान- फ़र्रुख़ाबाद 
  • माता- पिता- हेमरानी देवी,  श्री गोविंद प्रसाद वर्मा
  • ​कविता संग्रह-
    • नीहार (1930)
    • रश्मि (1932)
    • नीरजा (1934)
    • सांध्यगीत (1936)
    • दीपशिखा (1942)
    • सप्तपर्णा (1959)
    • प्रथम आयाम (1974)
    • अग्निरेखा (1990 )
Additional Information

धर्मवीर भारती-

  • जन्म-1926-1997 ई.
  • इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में इनका जन्म हुआ था। 
  • आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे।
  • वे साप्ताहिक पत्रिका 'धर्मयुग' के प्रधान संपादक भी रहे।
  • डॉ. धर्मवीर भारती को 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 
  • दूसरा सप्तक के प्रमुख कवि है। 
  • काव्य रचनाएँ-
    • ठंडा लोहा (1952 ई.)
    • कनुप्रिया (1959 ई.)
    • सात गीत वर्ष (1959 ई.)
    • देशान्तर (1960 ई.) आदि। 

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'-

  • जन्म-1896-1961 ई. 
  • छायावाद के चार स्तंभों में से एक है। 
  • प्रमुख काव्य रचनाएं: 
    • जूही की कली (1916)
    • अनामिका(1923)
    • परिमल(1929)
    • गीतिका(1936)
    • राम की शक्ति पूजा(1936)
    • सरोज स्मृति(1935)
    • कुकुरमुत्ता(1942)
    • अणिमा(1942)
    • संध्या काकली (1969)

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 2:

“यूरोप में जन्मी हुई विचारधारा में धीरे-धीरे भारत के विचारशील लोगों को भी प्रभावित करना शुरु किया । राष्ट्रीयता भारतवर्ष के लिए नवीन विश्वास थी, इसके पहले इस देश में यह बात अपरिचित थी । राष्ट्रीयता का अर्थ यह है कि प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्र का अंश है और इस राष्ट्र की सेवा के लिए, इसको धन-धान्य से समृद्ध बनाने के लिए, इसके प्रत्येक नागरिक को सुखी और सम्पन्न बनाने के लिए, प्रत्येक व्यक्ति को सब प्रकार से त्याग और कष्ट स्वीकार करने चाहिए।” 

उपर्युक्त कथन किसका है?

  1. रामकुमार वर्मा 
  2. रामविलास शर्मा 
  3. रामचन्द्र शुक्ल 
  4. हजारीप्रसाद द्विवेदी 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : हजारीप्रसाद द्विवेदी 

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 2 Detailed Solution

सही उत्तर है- हजारी प्रसाद द्विवेदी

  • यह कथन हिन्दी साहित्य: उद्भव और विकास पुस्तक से लिया गया है। 

Key Pointsआचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी- 

  • जन्म- 1907 - 1979 ईo
  • हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे। 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ- 
    • सूर साहित्‍य (1936)
    • हिन्‍दी साहित्‍य की भूमिका (1940)
    • प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद (1952)
    • कबीर (1942)
    • हिन्‍दी साहित्‍य का आदिकाल (1952)
    • लालित्‍य तत्त्व (1962)
    • साहित्‍य सहचर (1965)
    • कालिदास की लालित्‍य योजना (1965)
    • मध्‍यकालीन बोध का स्‍वरूप (1970)
    • सहज साधना (1963) आदि। 

Important Pointsरामकुमार वर्मा-

  • जन्म-1905-1990 ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • साहित्य समालोचना(1938 ई.) 
    • साहित्य शास्त्र(1955 ई.) आदि।

रामविलास शर्मा-

  • जन्म- 1912-2000 ई.
  • मुख्य रचनाएँ-
    • प्रेमचन्द(1941)
    • भारतेन्दु युग(1943)
    • निराला(1946)
    • प्रेमचन्द और उनका युग(1952)
    • भारतेन्दु हरिश्चन्द्र(1953)
    • प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ (1954)
    • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना(1955) आदि। 

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल-

  • जन्म - 1884-1941 ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रन्थ-
    • गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
    • जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
    • भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
    • हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
    • काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि। 

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 3:

"डिंगल कवियों की वीर-गाथाएँ, निर्गुणिया संतों की वाणियाँ, कृष्ण भक्त या रागानुगा भक्तिमार्ग के साधकों के पद, राम-भक्त या वैधी भक्तिमार्ग के उपासकों की कविताएँ, सूफी साधना से पुष्ट मुसलमान कवियों के तथा ऐतिहासिक हिंदी कवियों के रोमांस और रीति काव्य- ये छहों धाराएँ अपभ्रंश कविता का स्वाभाविक विकास है।"
उपर्युक्त कथन किस विद्वान का है?

  1. रामचन्द्र शुक्ल 
  2. डॉ. नगेन्द्र 
  3. हजारीप्रसाद द्विवेदी 
  4. रामकुमार वर्मा 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : हजारीप्रसाद द्विवेदी 

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 3 Detailed Solution

सही उत्तर है- हजारीप्रसाद द्विवेदी 

Key Pointsहजारी प्रसाद द्विवेदी-

  • जन्म- 1907 - 1979 ई.
  • आलोचना ग्रंथ - 
    • सूर साहित्य (1930)
    • हिंदी साहित्य की भूमिका (1940)
    • कबीर (1942)
    • हिंदी साहित्य का आदिकाल(1952)
    • सहज साधना (1963)
    • कालिदास की लालित्य योजना (1965)
    • मध्यकालीन बोध का स्वरूप (1970) आदि।

Important Pointsरामकुमार वर्मा-

  • जन्म-1905-1990 ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • साहित्य समालोचना(1938 ई.) 
    • साहित्य शास्त्र(1955 ई.) आदि। 

नगेंद्र-

  • जन्म-1915-1999 ई.
  • आलोचनात्मक ग्रन्थ-
    • सुमित्रानंदन पंत(1938 ई.)
    • साकेत:एक अध्ययन(1939 ई.)
    • रीतिकाव्य की भूमिका(1949 ई.) आदि।

रामचन्द्र शुक्ल-

  • जन्म-1884-1941 ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • गोस्वामी तुलसीदास(1923 ई.)
    • जायसी ग्रंथावली(1924 ई.)
    • भ्रमरगीत सार(1925 ई.)
    • हिन्दी साहित्य का इतिहास(1929 ई.) आदि।

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 4:

"ज्ञान राशि के संचित कोश का नाम साहित्य है। यह किसकी प्रसिद्ध उक्ति है? 

  1. मैथिलीशरण गुप्त
  2. महावीर प्रसाद द्विवेदी 
  3. हजारी प्रसाद द्विवेदी
  4. रामविलास शर्मा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : महावीर प्रसाद द्विवेदी 

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 4 Detailed Solution

"ज्ञान राशि के संचित कोश का नाम साहित्य है। यह प्रसिद्ध उक्ति है- महावीर प्रसाद द्विवेदी 

Key Pointsमहावीर प्रसाद द्विवेदी:

  • आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी हिन्दी के महान साहित्यकार, पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे।
  • उन्होंने हिंदी साहित्य की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की।
  • उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग 'द्विवेदी युग' के नाम से जाना जाता है।

Important Pointsरामविलास शर्मा:

  • डॉ॰ रामविलास शर्मा आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे।
  • पेशे से अंग्रेजी के प्रोफेसर, दिल से हिन्दी के प्रकांड पंडित और गहरे विचारक।
  • ऋग्वेद और मार्क्स के अध्येता, कवि, आलोचक, इतिहासवेत्ता, भाषाविद, राजनीति-विशारद ये सब विशेषण उन पर समान रूप से लागू होते हैं।

 

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 5:

'हिन्दी नई चाल में ढली, सन् 1873 ई.।' उक्त कथन भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने किसमें कहा ?

  1. कालचक्र
  2. कवि वचन सुधा
  3. हरिश्चन्द्र चंद्रिका
  4. बाला बोधिनी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : कालचक्र

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 5 Detailed Solution

'हिन्दी नई चाल में ढली, सन् 1873 ई.।' उक्त कथन भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने कहा - कालचक्र

Key Points

  • यह कथन भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का है।
  • उन्होंने यह बात 1873 ई. में कही थी जब हिंदी भाषा में बदलाव आया था।
  • उन्होंने इसे अपनी पुस्तक "कालचक्र" में लिखा था। 

Important Points

क्र.म.  पत्रिका  सन् स्थान  सम्पादक
1 कवि वचन सुधा- मासिक 1868 काशी भारतेंदु
2 हरिश्चन्द्र मैगजीन- मासिक 1873 बनारस भारतेंदु
3 बाल बोधनी- मासिक 1874 बनारस भारतेंदु

Additional Informationभारतेन्‍दु हर‍िश्‍चन्‍द्र - 

  • जन्म- 1850 - 1885 ई.
  • आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं।
  • भारतेन्दु हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। 
  • निबंध संग्रह -
    • कालचक्र (जर्नल)
    • लेवी प्राण लेवी
    • भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?
    • कश्मीर कुसुम
    • जातीय संगीत
    • स्वर्ग में विचार सभा

Top प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन MCQ Objective Questions

'दोहा अपभ्रंश का लाडला छन्द है।' यह किस विद्वान का कथन है ?

  1. आ. रामचन्द्र शुक्ल
  2. राहुल सांकृत्यायन
  3. पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी
  4. डॉ. नगेन्द्र

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 6 Detailed Solution

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'दोहा अपभ्रंश का लाडला छन्द है।' यह विद्वान का कथन है- पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी

Key Pointsहजारीप्रसाद द्विवेदी-

  • जन्म-1907-1979 ई.
  • आलोचनात्मक रचनाएँ-
    • अशोक के फूल (1948)
    • विचार और वितर्क (1957)
    • साहित्य सहचर (1965) आदि।

Important Pointsरामचन्द्र शुक्ल-

  • जन्म-1884-1941 ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • गोस्वामी तुलसीदास(1923 ई.)
    • जायसी ग्रंथावली(1924 ई.)
    • भ्रमरगीत सार(1925 ई.)
    • हिन्दी साहित्य का इतिहास(1929 ई.) आदि।

राहुल सांकृत्यायन-

  • जन्म-1893-1963 ई.
  • अन्य यात्रा-वृतांत-
    • मेरी तिब्बत यात्रा(1937 ई.)
    • मेरी लद्दाख यात्रा(1939 ई.)
    • किन्नर देश में(1948 ई.)
    • घुमक्कड़ शास्त्र(1948 ई.)
    • यात्रा के कुछ पन्ने(1952 ई.)
    • चीन में कम्यून(1959 ई.) आदि।

नगेंद्र-

  • जन्म-1915-1999 ई.
  • आलोचनात्मक ग्रन्थ-
    • सुमित्रानंदन पंत (1938 ई.)
    • साकेत:एक अध्ययन (1939 ई.)
    • रीतिकाव्य की भूमिका (1949 ई.) आदि। 

"चित्तवृत्तियों की परम्परा को परखते हुए साहित्य- परम्परा के साथ सामंजस्य दिखाना ही साहित्य का इतिहास कहलाता है।” यह विचार किस विद्वान् का है ?

  1. रामचंद्र शुक्ल
  2. हजारी प्रसाद द्विवेदी
  3. रामकुमार वर्मा
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : रामचंद्र शुक्ल

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 7 Detailed Solution

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"चित्तवृत्तियों की परम्परा को परखते हुए साहित्य- परम्परा के साथ सामंजस्य दिखाना ही साहित्य का इतिहास कहलाता है।” यह विचार रामचंद्र शुक्ल विद्वान् का है

Key Pointsआचार्य रामचन्द्र शुक्ल-

  • जन्म - 1884-1941 ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रन्थ-
    • गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
    • जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
    • भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
    • हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
    • काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि। 

Important Pointsहजारी प्रसाद द्विवेदी-

  • जन्म- 1907 - 1979 ई.
  • आलोचना ग्रंथ - 
    • सूर साहित्य (1930)
    • हिंदी साहित्य की भूमिका (1940)
    • कबीर (1942)
    • हिंदी साहित्य का आदिकाल(1952)
    • सहज साधना (1963)
    • कालिदास की लालित्य योजना (1965)
    • मध्यकालीन बोध का स्वरूप (1970) आदि।

रामकुमार वर्मा-

  • जन्म-1905-1990 ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • साहित्य समालोचना(1938 ई.) 
    • साहित्य शास्त्र(1955 ई.) आदि। 

"मैं हिन्दी के प्रचार, राष्ट्रभाषा के प्रचार को राष्ट्रीयता का मुख्य अंग मानता हूँ ।" यह कथन किसका है ?

  1. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
  2. पुरुषोत्तमदास टंडन
  3. लाला लाजपत राय
  4. सी. राजगोपालाचारी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 8 Detailed Solution

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"मैं हिन्दी के प्रचार, राष्ट्रभाषा के प्रचार को राष्ट्रीयता का मुख्य अंग मानता हूँ ।" यह कथन है- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

Key Points

  • यह कथन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का है। वे भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे।
  • उन्होंने हिन्दी के प्रचार और राष्ट्रभाषा के प्रसार को राष्ट्रीयता का मुख्य अंग माना

अन्य विकल्प -

  • पुरुषोत्तमदास टंडन का कथन -  "यदि हिन्दी भारतीय स्वतंत्रता के आड़े आयेगी तो मैं स्वयं उसका गला घोंट दूँगा।" 

Additional Informationडॉ. राजेन्द्र प्रसाद-

  • जन्म - 3 दिसंबर 1884 - 28 फरवरी 1963
  • भारत गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे।
  • वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे;
  • और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। 
  • रचनाएँ- बापू के कदमों में बाबू (1954), इण्डिया डिवाइडेड (1946),
    • सत्याग्रह ऐट चम्पारण (1922), गान्धीजी की देन, भारतीय संस्कृति व खादी का अर्थशास्त्र इत्यादि।

पुरुषोत्तमदास टंडन-

  • जन्म - 1 अगस्त 1882 - 1 जुलाई 1962
  • भारत के स्वतन्त्रता सेनानी एवं राजनेता थे।
  • वे भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के अग्रणी पंक्ति के नेता तो थे
  • वे 'राजर्षि' के नाम से भी विख्यात थे।
  • वर्ष 1950 में वे 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष नियुक्त हुए थे। 

लाला लाजपत राय-

  • जन्म - 28 जनवरी 1865 -17 नवम्बर 1928
  • भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है।
  • इन्होंने पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी
  • ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे। 

सी. राजगोपालाचारी-

  • जन्म - 10 दिसम्बर 1878 - 25 दिसम्बर 1972
  • जिन्हें राजाजी या सीआर के नाम से जाना जाता है ,
  • जिन्हें मूथरिगनार राजाजी के नाम से भी जाना जाता है,
  • एक भारतीय राजनेता, लेखक, वकील और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे।
  • राजगोपालाचारी भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल थे

"आधुनिक काल में गद्य का आविर्भाव सबसे प्रधान घटना है।" यह कथन किसका है?

  1. रामविलास शर्मा
  2. नंददुलारे वाजपेयी
  3. रामचंद्र शुक्ल
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : रामचंद्र शुक्ल

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 9 Detailed Solution

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"आधुनिक काल में गद्य का आविर्भाव सबसे प्रधान घटना है।" यह कथन रामचंद्र शुक्ल का है

Key Pointsआचार्य रामचन्द्र शुक्ल-

  • जन्म - 1884-1941 ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रन्थ-
    • गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
    • जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
    • भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
    • हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
    • काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि।

Important Pointsनंददुलारे वाजपेयी-

  • जन्म- 1906-1967ई.
  • रचनाएँ-
    • हिंदी साहित्य:बीसवीं शताब्दी(1942)
    • जयशंकर प्रसाद(1940)
    • आधुनिक साहित्य(1950)
    • नया साहित्य:नये प्रश्न(1955) आदि।

रामविलास शर्मा-

  • जन्म- 1912-2000 ई.
  • मुख्य रचनाएँ-
    • प्रेमचन्द(1941)
    • भारतेन्दु युग(1943)
    • निराला(1946)
    • प्रेमचन्द और उनका युग(1952)
    • भारतेन्दु हरिश्चन्द्र(1953)
    • प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ (1954)
    • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना(1955) आदि। 

"पद्माकर की भाषा में बुंदेलखंडी रंग और मैदानी नदी का प्रवाह है।"

उपरोक्त कथन इनमें से किसका है ?

  1. नगेन्द्र
  2. रामचन्द्र शुक्ल
  3. रामविलास शर्मा
  4. बच्चन सिंह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : बच्चन सिंह

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 10 Detailed Solution

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सही उत्तर है- बच्चन सिंह 

Key Pointsबच्चन सिंह-

  • जन्म- 1919 - 2008 ईo
  • एक हिन्दी साहित्यकार, आलोचक एवं इतिहासकार थे। 
  • रचना- 
    • कांतिकारी कवि निराला (1947-48 ई.)
    • रीतिकालीन कवियों की प्रेमव्यंजना (1958 ई.)
    • हिन्दी नाटक (1958 ई.)
    • बिहारी का नया मूल्यांकन' (1960 ई.)
    • आलोचक और आलोचना' (1970 ई.)
    • समकालीन साहित्य आलोचन को चुनौती
    • हिन्दी आलोचना के बीज-शब्द (1985) आदि। 

Important Pointsआचार्य शुक्ल-

  • जन्म - 1884-1941 ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रन्थ-
    • गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
    • जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
    • भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
    • हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
    • काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि। 

डॉ. नगेन्द्र -

  • जन्म -1915-1999 ई.
  • रचनाएँ -
    • सुमित्रानंदन पंत(1938 ई.)
    • साकेत: एक अध्ययन(1939 ई.)
    • आधुनिक हिंदी नाटक(1949 ई.)
    • रस-सिद्धांत(1964 ई.) आदि। 

रामविलास शर्मा-

  • जन्म- 1912-2000 ई.
  • मुख्य रचनाएँ-
    • प्रेमचन्द(1941)
    • भारतेन्दु युग(1943)
    • निराला(1946)
    • प्रेमचन्द और उनका युग(1952)
    • भारतेन्दु हरिश्चन्द्र(1953)
    • प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ (1954)
    • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना(1955) आदि।

“इनकी भाषा बहुत चलती सरल और शब्दाडंबर मुक्त होती थी। शुद्ध ब्रजभाषा का जो चलतापन और सफाई इनकी और घनानंद की रचनाओं में है वह अन्यत्र दुर्लभ है।” आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने यह किस रचनाकार के लिए कहा ?

  1. मलिक मोहम्मद जायसी
  2. रसखान
  3. सूरदास
  4. नंददास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : रसखान

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 11 Detailed Solution

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रसखान

Key Pointsरसखान-

  • जन्म - 1533-1618 ई.
  • मूल नाम - सैयद इब्राहिम
  • गोस्वामी विट्ठलनाथ से इन्होंने दीक्षा प्राप्त की।
  • तुलसीदास के समकालीन थे।
  • मुख्य रचनाएँ-
    • सुजान रसखान
    • प्रेमवाटिका
    • दानलीला
    • अष्टयाम आदि।
  • रसखान के काव्य में श्रृंगार रस की प्रधानता मिलती है।
  • इन्हें 'पीयूषवर्षी' अथवा 'अमृत की वर्षा करने वाला कवि' कहा जाता है।
  • भारतेंदु-
    • "इस मुसलमान हरिजनन पर कोटिन हिंदु वारिए"

Important Pointsजायसी-

  • जन्म-1446-1542 ई. 
  • पूरा नाम-मलिक मोहम्मद जायसी 
  • गुरु-सूफी फकीर शेख मोहिदी 
  • रचनाएँ-
    • अखरावट 
    • आखिरी कलाम 
    • कहरनामा 
    • कान्हावत 
    • चित्ररेखा आदि।

सूरदास-

  • जन्म- 1478-1583 ई.
  • भक्तिकाल की कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुखक कवि है। 
  • रचनाएँ-
    • सूरसागर 
    • सुरसरावली(1548 ई.)
    • साहित्य लहरी(1550 ई.) आदि।

नंददास-

  • जन्म- 1572 ई.
  • नन्ददास ब्रजभाषा के एक सन्त कवि थे। वे वल्लभ संप्रदाय के आठ कवियों में से एक प्रमुख कवि थे।
  • ये गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य थे।
  • प्रमुख रचनाएँ-
    • रास पंचाध्यायी
    • सिद्धान्त पंचाध्यायी
    • अनेकार्थ मंजरी
    • मान मंजरी आदि।

Additional Informationआचार्य रामचन्द्र शुक्ल-

  • जन्म - 1884-1941 ई. 
  • आलोचनात्मक ग्रन्थ-
    • गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
    • जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
    • भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
    • हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
    • काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि। 

'भारतेन्दु युगीन साहित्य केवल राजनीतिक स्वाधीनता का साहित्य न होकर मनुष्य की एकता, समानता और भाईचारे का भी साहित्य है ।' यह कथन किस आलोचक का है ?

  1. आचार्य रामचन्द्र शुक्ल
  2. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
  3. डॉ. राम विलास शर्मा
  4. डॉ. नामवर सिंह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : डॉ. राम विलास शर्मा

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 12 Detailed Solution

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'भारतेन्दु युगीन साहित्य केवल राजनीतिक स्वाधीनता का साहित्य न होकर मनुष्य की एकता, समानता और भाईचारे का भी साहित्य है ।' यह कथन आलोचक का है - डॉ. राम विलास शर्मा

Key Pointsडॉ. राम विलास शर्मा-

  • जन्म- 1912 2000 ई.
  • आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे।
  • आलोचनात्मक ग्रंथ-
    • प्रेमचन्द (1941)
    • भारतेन्दु युग (1943)
    • निराला (1946)
    • भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (1953) 
    • प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ (1954)
    • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल और हिन्दी आलोचना (1955)
    • निराला की साहित्य साधना-1 (जीवनी) (1969)
    • महावीरप्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण (1977)
    • नयी कविता और अस्तित्ववाद (1978) आदि।  

Additional Information आचार्य रामचन्द्र शुक्ल-

  • जन्म - 1884-1941 ई. 
  • हिन्दी आलोचक, कहानीकार, निबन्धकार,
    • साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
  • आलोचनात्मक ग्रन्थ-
    • गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
    • जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
    • भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
    • हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
    • काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि।

हजारी प्रसाद द्विवेदी-

  • जन्म-1907-1979ई.
  • हिन्दी निबन्धकारआलोचक और उपन्यासकार थे।
  • आलोचनात्मक ग्रन्थ-
    • सूर साहित्‍य (1936ई.)
    • हिन्‍दी साहित्‍य की भूमिका (1940ई.)
    • हिन्‍दी साहित्‍य का आदिकाल (1952ई.)
    • अशोक के फूल (1948ई.)
    • कल्‍पलता (1951ई.) आदि।

डॉ. नामवर सिंह-

  • जन्म - 1926 - 2019 ई. 
  • एक भारतीय साहित्यिक आलोचक, भाषाविद्, शिक्षाविद और सिद्धांतकार थे।
  • आलोचनात्मक ग्रन्थ- 
    • आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ (1954 ई.)
    • छायावाद (1955 ई.)
    • इतिहास और आलोचना (1957 ई.)
    • कहानी: नयी कहानी (1964 ई.)
    • कविता के नए प्रतिमान (1968 ई.)
    • दूसरी परंपरा की खोज (1982 ई.)
    • वाद विवाद संवाद (1989 ई.) 

"नयी कहानी आग्रहों की कहानी नहीं है, प्रवृत्तियों की हो सकती है और उसका मूल स्रोत है - जीवन का यथार्थबोध और इस यथार्थ को लेकर चलने वाला वह विराट मध्य और निम्न मध्य वर्ग है जो अपनी जीवन - शक्ति से आज के दुर्दात संकट को जाने - अनजाने झेल रहा है।" नयी कहानी के संदर्भ में उपर्युक्त कथन किस लेखक का है?

  1. भीष्म साहनी
  2. शिवप्रसाद सिंह
  3. राजेन्द्र यादव
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 5 : उपर्युक्त में से कोई नहीं

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 13 Detailed Solution

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नयी कहानी के संदर्भ में उपर्युक्त कथन दिए गए विकल्पों में से किसी का भी नहीं है। अतः सही उत्तर होगा - उपर्युक्त में से कोई नहीं

  • यह कथन कमलेश्वर का है।
Key Pointsनई कहानी या समकालीन कहानी आंदोलन -
  • समय 1956 ई
  • प्रवर्तक - राजेंद्र यादव, मोहन राकेश और कमलेश्वर
  • नयी कहानी नाम का दुष्यंत कुमार ने सर्वप्रथम प्रयोग किया
Important Points कमलेश्वर (1932 - 2007 ई.)
  • यह नई कहानी के लेखक है
  •  2005 ई. में कमलेश्वर को पद्म भूषण से नवाजा गया
  • 2003 ई. में इन्हें कितने पाकिस्तान उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला
 कमलेश्वर के प्रमुख कहानी संग्रह-
  •  राजा निरबंसिया (1957 ई.)
  •  कस्बे का आदमी (1958 ई.)
  • खोई हुई दिशाएं (1963 ई.)
  • मांस का दरिया (1966 ई.)
  • बयान (1973 ई.)
  • आजादी मुबारक (2002 ई.)
Additional Informationभीष्म साहनी के कहानी संग्रह-
  •  भाग्य रेखा (1953 ई.)
  • पहला पाठ (1957 ई.)
  • भटकती राख (1966 ई.)
  • पटरिया  (1973 ई.)
 राजेंद्र यादव के कहानी संग्रह -
  • देवताओं की मूर्तियां (1952 ई.)
  • जहां लक्ष्मी कैद (1957 ई.)
  • अभिमन्यु की आत्महत्या (1959 ई.)
  • छोटे-छोटे ताजमहल (1962 ई.)
  • टूटना (1966 ई.)
 शिव प्रसाद सिंह के कहानी संग्रह  -
  • आर पार की माला (1955 ई.)
  • कर्मनाशा की हार (1958 ई.)
  • मुर्दा सारी (1966 ई.)
  • अंधेरा हंसता है (1975 ई.)
  • भेड़िया (1977 ई.)

"विलक्षण बात यह है कि आधुनिक गद्य - साहित्य की परंपरा का प्रवर्तन नाटक से हुआ।” उपर्युक्त कथन किस आलोचक का है?

  1. हजारी प्रसाद द्विवेदी
  2. रामचंद्र शुक्ल
  3. बच्चन सिंह
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : रामचंद्र शुक्ल

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 14 Detailed Solution

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"विलक्षण बात यह है कि आधुनिक गद्य - साहित्य की परंपरा का प्रवर्तन नाटक से हुआ।” यह कथन रामचंद्र शुक्ल का है।
 Key Pointsआचार्य रामचंद्र शुक्ल -
  • जन्म - 4 अक्टूबर 1884 ई.
  • जन्म स्थान - उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले का अगोना गांव।
  • मृत्यु -1941 ई.
  • मुख्य - यह हिंदी के आलोचक, कहानीकार,निबंधकार और साहित्य इतिहासकार,कोशकार, अनुवादक,कथाकार और कवि थे।
    • 'हिंदी साहित्य का इतिहास' इनके द्वारा लिखी गई सर्वाधिक महत्वपूर्ण पुस्तक है।
    • हिंदी में वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात इन्हीं के द्वारा हुआ।
Important Pointsआचार्य रामचंद्र शुक्ल ने आलोचना के क्षेत्र में 'विरुधों का सामंजस्य सिद्धांत' का परिवर्तन किया।
प्रमुख आलोचनात्मक कृतियां -
  • गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
  • जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
  • भ्रमर गीतसार (1925 ई.)
  • काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.)
  • रस मीमांसा (1949 ई.)
Additional Informationहजारी प्रसाद द्विवेदी की आलोचनात्मक रचनाएं -
  • सूर साहित्य (1930 ई.)
  • हिंदी साहित्य की भूमिका (1940 ई.)
  • कबीर (1941 ई.)
  • हिंदी साहित्य का आदिकाल (1952 ई.)
  • कालिदास की लालित्य योजना (1965 ई.)
  • मध्यकालीन बोध का स्वरूप (1970 ई.)
बच्चन सिंह की प्रमुख आलोचनात्मक रचनाएं -
  • क्रांतिकारी कवि निराला (1947 ई.)
  • आधुनिक हिंदी साहित्य का इतिहास (1978 ई.)
  • हिंदी साहित्य का दूसरा इतिहास (1996 ई.)
  • महाभारत की कथा (2007 ई.)

"निराशावाद के भीतर आशावाद का संदेश देना - संसार की क्षणिकता में उसके वैचित्य का इन्द्रधनुषी चित्र खींचना इन सिद्धों की कविता का गुण था ।" यह कथन किस विद्वान का है ?

  1. पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी
  2. डॉ. रामकुमार वर्मा
  3. डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त
  4. डॉ. नगेन्द्र

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : डॉ. रामकुमार वर्मा

प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Question 15 Detailed Solution

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"निराशावाद के भीतर आशावाद का संदेश देना - संसार की क्षणिकता में उसके वैचित्य का इन्द्रधनुषी चित्र खींचना इन सिद्धों की कविता का गुण था ।" यह कथन विद्वान का है - डॉ. रामकुमार वर्मा

Key Pointsडॉ. रामकुमार वर्मा-

  • (15 सितम्बर, 1905 - 1990)
  • हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, व्यंग्यकार और हास्य कवि के रूप में जाने जाते हैं।
  • उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६३ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
  • इनके काव्य में 'रहस्यवाद' और 'छायावाद' की झलक है।
  • कृतियाँ-
    • वीर हमीर (काव्य ; सन 1922 ई.)
    • चित्तौड़ की चिन्ता (काव्य सन् 1929 ई.)
    • साहित्य समालोचना (सन 1929 ई.)
    • अंजलि (काव्य ; सन 1930 ई.)
    • अभिशाप (कविता ; सन 1931 ई.)
    • हिन्दी गीतिकाव्य (संग्रह ; सन 1931 ई.)
    • निशीथ (कविता ; सन 1935 ई.)
    • चित्ररेखा (कविता ; सन 1936 ई.)

Additional Informationआचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी-

  • (19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979)
  • हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे।
  • वे हिंदी, अंग्रेज़ी, संस्कृत और बाङ्ला भाषाओं के विद्वान थे। 
  • आलोचनात्मक -
    • सूर साहित्‍य (1936)
    • हिन्‍दी साहित्‍य की भूमिका (1940)
    • प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद (1952)
    • नाथ संप्रदाय (1950)
    • हिन्‍दी साहित्‍य का आदिकाल (1952)
    • आधुनिक हिन्‍दी साहित्‍य पर विचार (1949)
    • साहित्‍य का मर्म (1949) आदि।

डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त-

  • (15 जुलाई, सन् 1928 ई.)
  • हिंदी के प्रखर आलोचक हैं। 
  • रचनाएँ :-
    • साहित्य-विज्ञान
    • हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास
    • रस-सिद्धान्त का पुनर्विवेचन
    • साहित्यिक निबन्ध
    • हिन्दी-काव्य में शृंगार-परम्परा
    • महाकवि बिहारी आदि।

डॉ. नगेन्द्र -

  • (9 मार्च 1915 - 27 अक्टूबर 1999)
  • हिन्दी के प्रमुख आधुनिक आलोचकों में थे।
  • वे एक सुलझे हुए विचारक और गहरे विश्लेषक थे।
  • आलोचनात्मक कृतियाँ -
    • 'सुमित्रानंदन पंत'(1938ई.),
    • 'साकेत- एक अध्ययन'(1939ई.)
    • 'आधुनिक हिंदी नाटक'(1940ई.)।
  • निबंध संग्रह -
    • विचार और अनुभूति (1949ई.),
    • आधुनिक हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियाँ(1951ई.),
    • विचार विश्लेषण (1955ई.),
    • विचार और विवेचन(1959ई०),
    • अनुसन्धान और आलोचना(1961ई.),
    • आस्था के चरण(1968ई.)
    • आलोचक की आस्था(1966ई.) ।
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