Question
Download Solution PDF"मैं हिन्दी के प्रचार, राष्ट्रभाषा के प्रचार को राष्ट्रीयता का मुख्य अंग मानता हूँ ।" यह कथन किसका है ?
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDF"मैं हिन्दी के प्रचार, राष्ट्रभाषा के प्रचार को राष्ट्रीयता का मुख्य अंग मानता हूँ ।" यह कथन है- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
Key Points
- यह कथन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का है। वे भारत के प्रथम राष्ट्रपति थे।
- उन्होंने हिन्दी के प्रचार और राष्ट्रभाषा के प्रसार को राष्ट्रीयता का मुख्य अंग माना।
अन्य विकल्प -
- पुरुषोत्तमदास टंडन का कथन - "यदि हिन्दी भारतीय स्वतंत्रता के आड़े आयेगी तो मैं स्वयं उसका गला घोंट दूँगा।"
Additional Informationडॉ. राजेन्द्र प्रसाद-
- जन्म - 3 दिसंबर 1884 - 28 फरवरी 1963
- भारत गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति एवं महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे।
- वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से थे;
- और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई।
- रचनाएँ- बापू के कदमों में बाबू (1954), इण्डिया डिवाइडेड (1946),
- सत्याग्रह ऐट चम्पारण (1922), गान्धीजी की देन, भारतीय संस्कृति व खादी का अर्थशास्त्र इत्यादि।
पुरुषोत्तमदास टंडन-
- जन्म - 1 अगस्त 1882 - 1 जुलाई 1962
- भारत के स्वतन्त्रता सेनानी एवं राजनेता थे।
- वे भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के अग्रणी पंक्ति के नेता तो थे।
- वे 'राजर्षि' के नाम से भी विख्यात थे।
- वर्ष 1950 में वे 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष नियुक्त हुए थे।
लाला लाजपत राय-
- जन्म - 28 जनवरी 1865 -17 नवम्बर 1928
- भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है।
- इन्होंने पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी
- ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे।
सी. राजगोपालाचारी-
- जन्म - 10 दिसम्बर 1878 - 25 दिसम्बर 1972
- जिन्हें राजाजी या सीआर के नाम से जाना जाता है ,
- जिन्हें मूथरिगनार राजाजी के नाम से भी जाना जाता है,
- एक भारतीय राजनेता, लेखक, वकील और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे।
- राजगोपालाचारी भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल थे।
Last updated on Feb 10, 2025
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