Question
Download Solution PDFकेशिकागुच्छ निस्यंद का लगभग 80% भाग ______________ में पुन:अवशोषित होता है।
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UP TGT Biology 2016 Official Paper
Answer (Detailed Solution Below)
Option 1 : समीपस्थ संवलित नलिका
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UP TGT Hindi FT 1
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Detailed Solution
Download Solution PDF- स्तनधारी वृक्क में कई नलिका संरचनाएं होती हैं जिन्हें नेफ्रॉन कहा जाता है।
- प्रत्येक नेफ्रॉन में 2 भाग होते हैं:
- गुच्छ - केशिकाओं का एक गुच्छा है जो मूत्र निर्माण के पहले चरण में भाग लेता है, अर्थात गुच्छीय निस्पंदन।
- वृक्क नलिका - बोमेन संपुट से शुरू होती है, समीपस्थ संवलित नलिका (PCT), हेनले लूप और दूरस्थ संवलित नलिका (DCT) के रूप में जारी रहती है।
- बोमेन संपुट के साथ गुच्छ को मैलपीगीकाय या वृक्क कॉर्पसल कहा जाता है।
- गुच्छ:
- यह कोशिकाओं की 3 परतों के माध्यम से रक्त के निस्पंदन में मदद करता है - गुच्छ रक्त वाहिकाओं के अंतःस्तर, बोमेन संपुट के उपकला और दो परतों के बीच आधार झिल्ली।
- बोमेन संपुट की उपकला कोशिकाओं को पोडोसाइट (पदाणु) कहा जाता है।
- पोडोसाइट जटिल रूप से इस तरह व्यवस्थित होते हैं कि बीच में छोटे छिद्र होते हैं, जिन्हें निस्पंदन खांच या खांच छिद्र कहा जाता है।
- समीपस्थ संवलित नलिका:
- यह शरीर के तरल पदार्थों के pH और आयनिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
- हेनले लूप:
- हेनले लूप में दो भुजा होती हैं - अवरोही भुजा और आरोही भुजा
- चूंकि हेनले लूप की दोनों भुजाओं में केशिकागुच्छ निस्यंद का विपरीत दिशाओं में प्रवाह होता है, जिससे प्रतिधारा क्रियाविधि उत्पन्न होती है, जो मूत्र को केंद्रित करने के लिए जिम्मेदार होता है।
- न्यूनतम पुनर्अवशोषण होता है।
- यह मंध्यांश में उच्च अंतराकाशी तरल की परासणता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह मूत्र के सांद्रण करने में मदद करता है जिससे शरीर में जल का संरक्षण होता है।
- दूरस्थ संवलित नलिका:
- जल और Na+ का कुछ पुन:र्अवशोषण होता है।
- यह रक्त में pH और सोडियम-पोटेशियम संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
Important Points
मूत्र निर्माण में 3 प्रमुख प्रक्रियाएं शामिल हैं:
- केशिकागुच्छ निस्यंदन - गुच्छीय केशिका रक्तदाब 3 परतों के माध्यम से रक्त के निस्पंदन का कारण बनता है। इसे अतिसूक्ष्म निस्यंदन भी कहा जाता है क्योंकि रक्त को पोडोसाइट के माध्यम से इस तरह से निस्यंद किया जाता है कि प्रोटीन को छोड़कर सभी प्लाज्मा का शेषभाग बोमेन संपुट की गुहा में चला जाता है।
- पुन: अवशोषण - GFR मूत्र उत्पादन का लगभग 4.5 गुना है, यह सुझाव देता है कि लगभग 99% निस्यंद सक्रिय या निष्क्रिय तंत्र द्वारा वृक्क नलिकाओं द्वारा पुन: अवशोषित हो जाता है।
- समीपस्थ संवलित नलिका - सक्रिय रूप से सभी ग्लूकोज, 75% एमीनो अम्ल और विटामिन C, 90% बाइकार्बोनेट (HCO3-), 70% Na+, 75% K+ और बड़ी मात्रा में Ca2+ को केशिकागुच्छ निस्यंद से पुन: अवशोषित करता है। यह कुल केशिकागुच्छ निस्यंद के लगभग 80% के पुन: र्अवशोषण को बनाता है।
- हेनले लूप की आरोही भुजा- सक्रिय रूप से लगभग 25% K+ और कुछ Cl- को पुन: अवशोषित करता है, जबकि कुछ Na+ विसरण द्वारा पुन: अवशोषित होता है।
- दूरस्थ संवलित नलिका और संग्रह नलिका - कुछ Na+ को निस्यंद से K+ के बदले अंतराकाशी तरल से पुनः अवशोषित करते हैं।
- स्राव - नलिका कोशिकाएं निस्यंद में H+, K+ और अमोनिया जैसे पदार्थों का स्राव करती हैं। यह एक महत्वपूर्ण चरण है क्योंकि यह शरीर के तरल पदार्थों के आयनिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
Additional Information
- वृक्क प्लाज्मा प्रवाह - यह प्लाज्मा (रक्त) की मात्रा है जो प्रति मिनट दोनों वृक्क में सभी नेफ्रॉन के गुच्छ से गुजरती है।
- हृद निकास - हृद द्वारा एक मिनट में पंप किए गए रक्त की मात्रा है।
हृद निकास = स्ट्रोक वॉल्यूम (प्रति मिनट प्रत्येक निलय द्वारा पंप किया गया रक्त) × हृदय दर
- लगभग 1000-1200 मिलीलीटर रक्त या 650 मिलीलीटर रक्त प्लाज्मा वृक्क प्लाज्मा प्रवाह है, जो हृद निकास का पांचवां हिस्सा है।
- केशिकागुच्छ निस्यंदन दर (GFR) - गुच्छ से निस्यंद किए गए रक्त की मात्रा है और चिकित्सकीय रूप से वृक्क रोग के निदान के लिए उपयोग की जाती है।
- एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए केशिकागुच्छ निस्यंदन दर लगभग 125मिलीलीटर/मिनट या 180लीटर प्रति दिन है।
- मूत्र उत्पादन - प्रति दिन शरीर से उत्सर्जित मूत्र की मात्रा है और औसतन लगभग 1.5लीटर है।
Last updated on May 6, 2025
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