'जनहित याचिका' के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?

This question was previously asked in
MPSC State Service Main Examination 2021 - General Studies II Official Paper
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  1. किसी भी अधिनियम में जनहित याचिका को परिभाषित नहीं किया गया है।
  2. जनहित याचिका सामाजिक परिवर्तन, कानून के शासन को बनाए रखने तथा कानून और न्याय के बीच संतुलन को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
  3. जनहित याचिका राज्य/केन्द्र सरकार, नगर निगम प्राधिकारियों तथा किसी भी निजी पक्ष के विरुद्ध दायर की जा सकती है।
  4. इनमे से कोई भी नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : जनहित याचिका राज्य/केन्द्र सरकार, नगर निगम प्राधिकारियों तथा किसी भी निजी पक्ष के विरुद्ध दायर की जा सकती है।
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MPSC Rajyaseva Prelims: General Studies Full Test 1
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सही उत्तर है कि जनहित याचिका राज्य/केंद्र सरकार, नगरपालिका प्राधिकरण और किसी भी निजी पार्टी के खिलाफ दायर की जा सकती है।

Key Points 

  • 'जनहित याचिका' शब्द अमेरिकी न्यायशास्त्र से लिया गया है, जहां इसे पहले से अप्रतिनिधित्व प्राप्त समूहों जैसे गरीबों, नस्लीय अल्पसंख्यकों, असंगठित उपभोक्ताओं, पर्यावरण संबंधी मुद्दों के प्रति संवेदनशील नागरिकों आदि को कानूनी प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए रूपांकित किया गया था।
  • जनहित याचिका (PIL) का अर्थ है प्रदूषण, आतंकवाद, सड़क सुरक्षा, निर्माण संबंधी खतरे आदि जैसे "सार्वजनिक हित" की सुरक्षा के लिए कानून की अदालत में दायर किया गया मुकदमा। कोई भी मामला जहाँ बड़े पैमाने पर जनता के हित प्रभावित होते हैं, कानून की अदालत में जनहित याचिका दायर करके उसका निवारण किया जा सकता है। इसलिए कथन 3 गलत है।
  • जनहित याचिका को किसी भी क़ानून या अधिनियम में परिभाषित नहीं किया गया है। न्यायाधीशों द्वारा इसकी व्याख्या आम जनता की मंशा को ध्यान में रखकर की गई है। इसलिए कथन 1 सही है।
  • जनहित याचिका न्यायिक सक्रियता के माध्यम से न्यायालयों द्वारा जनता को दी गई शक्ति है। हालाँकि, याचिका दायर करने वाले व्यक्ति को न्यायालय की संतुष्टि के लिए यह साबित करना होगा कि याचिका जनहित के लिए दायर की जा रही है, न कि किसी व्यस्त निकाय द्वारा एक तुच्छ मुकदमे के रूप में।
  • जनहित याचिका सामाजिक परिवर्तन, कानून के शासन को बनाए रखने तथा कानून और न्याय के बीच संतुलन को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
  • न्यायालय स्वयं मामले का संज्ञान ले सकता है और स्वप्रेरणा से आगे बढ़ सकता है या किसी भी जनहितैषी व्यक्ति की याचिका पर मामला शुरू हो सकता है। अतः कथन 2 सही है।
  • जनहित याचिका के अंतर्गत विचारणीय कुछ मामले इस प्रकार हैं:
    • बंधुआ मजदूरी के मामले
    • उपेक्षित बच्चे
    • श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान न करना तथा अनियमित श्रमिकों का शोषण
    • महिलाओं पर अत्याचार
    • पर्यावरण प्रदूषण और पारिस्थितिकी संतुलन में गड़बड़ी
    • खाद्य पदार्थों में मिलावट
    • विरासत और संस्कृति का रखरखाव
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Last updated on May 19, 2025

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