Question
Download Solution PDFराम को रूप निहारति जानकी कंगन के नग की परछाही।
याते सबे सुधि भूलि गइ, करटेकि रही पल टारत नाही।। पंक्ति में कौन-सा रस है?Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर 'श्रृंगार रस' है।
दिए गए विकल्पों में तुलसीदास द्वारा रचित “राम का रूप निहारती जानकी , कंगन के नग के नग कि परिछाही ll” पंक्ति में वियोग 'श्रृंगार रस' है।
Key Points
विवरण:-
श्रृंगार रस (इसका स्थाई भाव रति (प्रेम) है) |
जिस रस में नायक नायिका के प्रेम, मिलने, बिछुड़ने जैसी क्रियायों का वर्णन हो। |
शांत रस (इसका स्थाई भाव निर्वेद है) |
अनित्य और असार तथा परमात्मा के वास्तविक ज्ञान से विषयों के वैराग्य से उत्पन्न रस परिपक्व होकर शांति में परिणत हो। |
करुण रस (स्थाई भाव शोक है) |
किसी प्रिय व्यक्ति के विरह से उत्पन्न होने वाली शोकावस्था। |
Last updated on May 12, 2025
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