DC Generator Construction MCQ Quiz in हिन्दी - Objective Question with Answer for DC Generator Construction - मुफ्त [PDF] डाउनलोड करें
Last updated on May 14, 2025
Latest DC Generator Construction MCQ Objective Questions
DC Generator Construction Question 1:
दिक्परिवर्तक के खंड एक दूसरे से कैसे पृथक होते हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
DC Generator Construction Question 1 Detailed Solution
DC मशीन में दिक्परिवर्तक का कार्य:
- एक दिक्परिवर्तक में तांबे के खंडों का एक समूह होता है, जो घूर्णन मशीन, या रोटर के परिधि के भाग के चारों ओर स्थिर होता है, और मशीन के स्थिर फ्रेम में लगे स्प्रिंग-लोडेड ब्रशों का एक समूह होता है।
- DC मशीन में दिक्परिवर्तक का मुख्य कार्य आर्मेचर चालक से धारा एकत्र करना और ब्रशों का उपयोग करके भार को धारा की आपूर्ति करना है। और DC मोटर के लिए एकदिशात्मक बलाघूर्ण भी प्रदान करता है।
- दिक्परिवर्तक को कठोर-खींचे गए तांबे के किनारे के रूप में बड़ी संख्या में खंडों के साथ बनाया जा सकता है।
- दिक्परिवर्तक में खंडों को पतली अभ्रक परत द्वारा संरक्षित किया जाता है।
DC Generator Construction Question 2:
DC मशीन में कार्बन ब्रश में किस प्रकार की आकृति का प्रयोग किया जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
DC Generator Construction Question 2 Detailed Solution
सही उत्तर विकल्प 2):(वर्गाकार) है।
संकल्पना:
DC मशीन में कार्बन ब्रश:
- ब्रशों का प्रयोग DC जनरेटर में आर्मेचर कुंडल से प्रेरित होने वाले emf के कारण धारा को एकत्रित करने के लिए किया जाता है।
- दिक्परिवर्तक में होने वाली टूट-फूट कम करने के लिए ब्रश कार्बन के बने होते हैं।
- जब ब्रश किसी विशिष्ट खंड पर होता है, तो यह उस विशिष्ट कुंडल को लघु परिपथित कर देता है और शेष कुण्डलों से धारा खींच लेता है।
- यदि उस कुंडल में emf प्रेरित होता है, तो उसके कारण इसमें अत्यधिक धारा प्रवाहित होती है।
- इसे रोकने के लिए ब्रशों को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है जिससे लघु-परिपथित किए जाने के कारण इसमें emf प्रवाहित नहीं होता है जिससे कुंडलो के ब्रशों में ताप हानि को और द्विकपरिवर्त्तकीय भागो में स्फुलिंग को रोका जा सकता है।
- इसलिए ब्रश को न्यूट्रल चुंबकीय अक्ष पर रखा जाता है।
- कार्बन ब्रश वर्गाकार आकर के होते हैं।
DC Generator Construction Question 3:
4-ध्रुव लैप में कुंडलित DC मशीन में,
\((\rm \frac{no. \ of \ poles}{no. \ of \ brushes})\) × समानांतर पथों की संख्या =?
Answer (Detailed Solution Below)
DC Generator Construction Question 3 Detailed Solution
सही उत्तर विकल्प 4):(4) है
संकल्पना:
लैप कुंडलन में
समानांतर पथों की संख्या = लैप कुंडलन मशीन में ध्रुवों की संख्या
समानांतर पथों की संख्या =ब्रशेस की संख्या
गणना:
ध्रुवों की संख्या = 4
समानांतर पथ की संख्या = 4
ब्रशेस की संख्या = 4
\(No \: of \: poles \over No\:of\:brushes \) × समानांतर पथों की संख्या = \(4 \over 4\)× 4
= 4
DC Generator Construction Question 4:
______ का कार्य आर्मेचर चालकों से धारा के संग्रह को सुगम बनाना है।
Answer (Detailed Solution Below)
DC Generator Construction Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर विकल्प 2 है। :(द्विकपरिवर्तक)
संकल्पना:
- द्विकपरिवर्तक का कार्य आर्मेचर चालकों द्वारा धारा संग्रह को सुगम बनाना है।
- DC जनित्र की मामले में, द्विकपरिवर्तक का उपयोग उत्पादित AC को आर्मेचर द्वारा DC में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है DC मोटर के मामले में, द्विकपरिवर्तक का उपयोग DC को AC में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है
- DC जनित्र की सीमा के कारण द्विकपरिवर्तक को सामान्यतः 650 V से अधिक की सीमा हेतु अभिकल्पित नहीं किया जाता है, आर्मेचर कुंडलन के भौतिक संयोजन को द्विकपरिवातकीय-ब्रश व्यवस्था के माध्यम से बनाया जाता है।
- DC जनित्र में द्विकपरिवर्तक का कार्य आर्मेचर चालकों में उतपन्न धारा को एकत्रित करना है।
- DC मोटर के मामले में, द्विकपरिवर्तक आर्मेचर चालकों को धारा प्रदान करने में सहायता करते है।
- द्विकपरिवर्तक में ताम्र खंडो का एक समूह होता है जो एक दूसरे से रोधित होते हैं।
- खंडो की संख्या आर्मेचर की कुंडलियों की संख्या के बराबर होती है।
- प्रत्येक खंड एक आर्मेचर कुंडली से जुड़ा हुआ होता है तथा द्विकपरिवर्तक शाफ्ट से जुड़ा होता है।
- ब्रश सामान्यतः कार्बन या ग्रेफाइट से बने होते हैं।
- ये द्विकपरिवर्तनीय खंडो में विरामवस्था पर होते हैं तथा द्विकपरिवर्तक द्वारा धारा को एकत्र किए जाने पर या आपूर्ति करने के लिए भौतिक संपर्क रखते घूर्णन करने पर खंडो के साथ सर्पण करते हैं।
Additional Informationयोक:
- DC मशीन के बाहरी खांचे को योक कहा जाता है।
- यह ढलवे लोहा या स्टील का बना होता है।
- यह न केवल पूरी असेंबली को यांत्रिक शक्ति प्रदान करता है बल्कि क्षेत्र कुंडलन द्वारा उत्पन्न चुंबकीय प्रवाह का भी वहन करता है।
पोल तथा पोल-शू:
- पोल योक से बोल्ट या वेल्डन की सहायता से संयोजित होते हैं।
- वे क्षेत्र कुंडलन करते हैं और पोल शू उन्हें गति प्रदान करने के लिए होते हैं। पोल शू दो उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं;
- (i) ये क्षेत्र कुंडलियों को समर्थित करते हैं (ii) ये अभिवाह को वायु अंतरालों में एकरूपता से विसरित करते हैं।
DC Generator Construction Question 5:
DC जनरेटर के क्षेत्र कुंडली आम तौर पर किसकी बनी होती हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
DC Generator Construction Question 5 Detailed Solution
DC जनरेटर
- एक DC जनरेटर एक घूर्णन मशीन है जो एकल दिशीय वोल्टेज और धारा के साथ विद्युत उत्पादन की आपूर्ति करता है।
- इसमें दो कुंडलियाँ अर्थात आर्मेचर और क्षेत्र कुंडली होते हैं
- क्षेत्र कुंडली को स्टेटर पर रखा जाता है जबकि आर्मेचर कुंडली को रोटर पर लगाया जाता है।
- DC जनरेटर का क्षेत्र कुंडली आमतौर पर तांबे से बना होता है क्योंकि इसमें अच्छी विद्युत चालकता, अच्छी तापीय चालकता और संक्षारण प्रतिरोध होता है।
- DC जनरेटर फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के नियमों के सिद्धांत पर काम करता है। फैराडे के नियम के अनुसार, जब भी किसी चालक को उतार-चढ़ाव वाले चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है (या जब किसी चालक को चुंबकीय क्षेत्र में ले जाया जाता है) तो चालक में एक EMF प्रेरित होता है।
Top DC Generator Construction MCQ Objective Questions
DC मशीन में कार्बन ब्रश में किस प्रकार की आकृति का प्रयोग किया जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
DC Generator Construction Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर विकल्प 2):(वर्गाकार) है।
संकल्पना:
DC मशीन में कार्बन ब्रश:
- ब्रशों का प्रयोग DC जनरेटर में आर्मेचर कुंडल से प्रेरित होने वाले emf के कारण धारा को एकत्रित करने के लिए किया जाता है।
- दिक्परिवर्तक में होने वाली टूट-फूट कम करने के लिए ब्रश कार्बन के बने होते हैं।
- जब ब्रश किसी विशिष्ट खंड पर होता है, तो यह उस विशिष्ट कुंडल को लघु परिपथित कर देता है और शेष कुण्डलों से धारा खींच लेता है।
- यदि उस कुंडल में emf प्रेरित होता है, तो उसके कारण इसमें अत्यधिक धारा प्रवाहित होती है।
- इसे रोकने के लिए ब्रशों को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है जिससे लघु-परिपथित किए जाने के कारण इसमें emf प्रवाहित नहीं होता है जिससे कुंडलो के ब्रशों में ताप हानि को और द्विकपरिवर्त्तकीय भागो में स्फुलिंग को रोका जा सकता है।
- इसलिए ब्रश को न्यूट्रल चुंबकीय अक्ष पर रखा जाता है।
- कार्बन ब्रश वर्गाकार आकर के होते हैं।
DC जनरेटर में ब्रश _______ से बना होता हैं।
Answer (Detailed Solution Below)
DC Generator Construction Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFDC मशीन में कार्बन ब्रश:
- ब्रशों का प्रयोग DC मशीन में आर्मेचर कुण्डल से प्रेरित होने वाले emf के कारण धारा को एकत्रित करने के लिए किया जाता है
- दिक्परिवर्तक के टूट-फूट को कम करने के लिए ब्रश कार्बन और ग्रेफाइट से बने होते हैं
- जब ब्रश किसी विशिष्ट खंड पर होता है, तो यह उस विशिष्ट कुण्डल को लघु परिपथित कर देता है और शेष कुण्डलों से धारा खींचता है
- यदि emf उस कुण्डल में प्रेरित होता है, तो अत्यधिक धारा प्रवाहित होती है
- इसे रोकने के लिए ब्रशों को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है जिससे लघु-परिपथित किए जाने वाले कुण्डल में ब्रशों में ताप हानि को रोकने के लिए कोई emf ना हो और दिक्परिवर्तक खंडों पर स्फुलिंग ना हो
- इसलिए ब्रशों को चुंबकीय उदासीन अक्ष के अनुदिश रखा जाता है
निम्नलिखित में से कौन-सी मशीन तुल्यकारक रिंग का उपयोग नहीं करती है?
Answer (Detailed Solution Below)
DC Generator Construction Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFतुल्यकारक रिंग:
तुल्यकारक रिंग में निम्न प्रतिरोध वाला चालक तार होता है, जो आर्मेचर कुंडली में समविभव बिंदुओं को एकसाथ जोड़ता है।
तुल्यकारक रिंग का कार्य प्रसारण धारा को ब्रशों के माध्यम से प्रवाहित होने की अनुमति प्रदान किये बिना स्वयं आर्मेचर कुंडली में उनके प्रवाहित होने का कारण बनना होता है।
चूँकि लैप कुंडली में समानांतर पथ की संख्या अधिक होती है, इसलिए विभिन्न समानांतर पथ में धारा में अंतर के कारण ब्रशों पर गंभीर चिंगारी होंगी।
लेकिन तरंग कुंडली में समानांतर पथ की संख्या 2 होती है और दिक्-परिवर्तन पर चिंगारी कम होती है। इसलिए, तुल्यकारक रिंग का प्रयोग किसी असमान वितरण को नजरअंदाज करने के लिए लैप कुंडली में किया जाता है।
समान स्थिति दोहरी कुंडली के साथ होती है, इसलिए जितने अधिक समानांतर पथ होते हैं, उतनी ही अधिक चिंगारी होती है, अतः तुल्यकारक रिंग की आवश्यकता होती है।
______ का कार्य आर्मेचर चालकों से धारा के संग्रह को सुगम बनाना है।
Answer (Detailed Solution Below)
DC Generator Construction Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर विकल्प 2 है। :(द्विकपरिवर्तक)
संकल्पना:
- द्विकपरिवर्तक का कार्य आर्मेचर चालकों द्वारा धारा संग्रह को सुगम बनाना है।
- DC जनित्र की मामले में, द्विकपरिवर्तक का उपयोग उत्पादित AC को आर्मेचर द्वारा DC में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है DC मोटर के मामले में, द्विकपरिवर्तक का उपयोग DC को AC में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है
- DC जनित्र की सीमा के कारण द्विकपरिवर्तक को सामान्यतः 650 V से अधिक की सीमा हेतु अभिकल्पित नहीं किया जाता है, आर्मेचर कुंडलन के भौतिक संयोजन को द्विकपरिवातकीय-ब्रश व्यवस्था के माध्यम से बनाया जाता है।
- DC जनित्र में द्विकपरिवर्तक का कार्य आर्मेचर चालकों में उतपन्न धारा को एकत्रित करना है।
- DC मोटर के मामले में, द्विकपरिवर्तक आर्मेचर चालकों को धारा प्रदान करने में सहायता करते है।
- द्विकपरिवर्तक में ताम्र खंडो का एक समूह होता है जो एक दूसरे से रोधित होते हैं।
- खंडो की संख्या आर्मेचर की कुंडलियों की संख्या के बराबर होती है।
- प्रत्येक खंड एक आर्मेचर कुंडली से जुड़ा हुआ होता है तथा द्विकपरिवर्तक शाफ्ट से जुड़ा होता है।
- ब्रश सामान्यतः कार्बन या ग्रेफाइट से बने होते हैं।
- ये द्विकपरिवर्तनीय खंडो में विरामवस्था पर होते हैं तथा द्विकपरिवर्तक द्वारा धारा को एकत्र किए जाने पर या आपूर्ति करने के लिए भौतिक संपर्क रखते घूर्णन करने पर खंडो के साथ सर्पण करते हैं।
Additional Informationयोक:
- DC मशीन के बाहरी खांचे को योक कहा जाता है।
- यह ढलवे लोहा या स्टील का बना होता है।
- यह न केवल पूरी असेंबली को यांत्रिक शक्ति प्रदान करता है बल्कि क्षेत्र कुंडलन द्वारा उत्पन्न चुंबकीय प्रवाह का भी वहन करता है।
पोल तथा पोल-शू:
- पोल योक से बोल्ट या वेल्डन की सहायता से संयोजित होते हैं।
- वे क्षेत्र कुंडलन करते हैं और पोल शू उन्हें गति प्रदान करने के लिए होते हैं। पोल शू दो उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं;
- (i) ये क्षेत्र कुंडलियों को समर्थित करते हैं (ii) ये अभिवाह को वायु अंतरालों में एकरूपता से विसरित करते हैं।
एक DC मशीन में 4 ध्रुव होते हैं और सम्पूर्ण आर्मेचर कुंडली दिए गए तरीके से जुड़ी होती है। नियोजित कुंडली के प्रकार की पहचान करें।
Answer (Detailed Solution Below)
DC Generator Construction Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर (विकल्प 2) है अर्थात तरंग कुंडली।
व्याख्या:
आर्मेचर कुंडली मुख्यतः दो प्रकार की होती है:
तरंग कुंडली:
- यह आर्मेचर कुंडली है जिसमें दो कुंडली श्रेणी में जुड़ी होती हैं और आर्मेचर के पृष्ठ पर तरंगों के समान एक दूसरे का अनुसरण करते हैं ताकि परिपथ में ध्रुवों की संख्या के बावजूद धारा प्रवाह के लिए केवल दो पथ होते हैं।
- सिंप्लेक्स तरंग कुंडली के लिए, ब्रुशों के बीच समांतर पथों की संख्या हमेशा 2 होती है।
- बहुधा तरंग कुंडली के लिए, समांतर पथ की संख्या '2m' होती है, जहाँ m कुंडली की बहुकता है
m = 1 सिंप्लेक्स कुंडली के लिए
m = 2 द्विक कुंडली के लिए
m = 3 त्रिक कुंडली के लिए
Additional Information
लैप कुंडली:
- लैप कुंडली वह कुंडली है जिसमें लगातार कुंडली एक दूसरे को अतिव्यापित करते हैं। इसे "लैप" कुंडली नाम दिया जाता है क्योंकि यह अपने उत्तरवर्ती कुंडलियों के साथ दोगुना या लैप पीछे हो जाता है।
- इस कुंडली में, एक कुंडली का परिष्करण सिरा एक दिक्परिवर्तक खंड से जुड़ा होता है, और अगली कुंडली का प्रारम्भिक सिरा समान ध्रुव के नीचे स्थित होता है और समान दिक्परिवर्तक खंड से जुड़ा होता है।
लैप कुंडली के प्रकार:
सिंप्लेक्स लैप कुंडली: एक कुंडली जिसमें ब्रश के बीच समांतर पथों की संख्या ध्रुवों की संख्या के बराबर होती है, सिंप्लेक्स लैप कुंडली कहलाती है।
समांतर पथों की संख्या (A) = P
द्विक लैप कुंडली: एक कुंडली जिसमें ब्रश के बीच समांतर पथों की संख्या ध्रुवों की संख्या से दोगुनी होती है, द्विक लैप कुंडली कहलाती है।
समांतर पथों की संख्या (A) = 2P
त्रिक लैप कुंडली: एक कुंडली जिसमें ब्रश के बीच समांतर पथों की संख्या ध्रुवों की संख्या से तीन गुना होती है, त्रिक लैप कुंडली कहलाती है।
समांतर पथों की संख्या (A) = 3P
निम्नलिखित में से कौन सा DC जनित्र (जनरेटर) में चुंबकीय योजक का कार्य नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
DC Generator Construction Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFचुंबकीय फ्रेम या योक:
बाहरी फ्रेम या योक एक दोहरे उद्देश्य को पूरा करता है:
(i) यह ध्रुव के लिए यांत्रिक समर्थन प्रदान करता है और पूरी मशीन के लिए एक सुरक्षा आवरण के रूप में कार्य करता है और
(ii) यह ध्रुवों द्वारा उत्पन्न चुंबकीय प्रवाह को वहन करता है।
- छोटे जनित्र में जहां वजन के बजाय सस्तापन मुख्य विचार है, योक ढलवाँ लोहा से बने होते हैं
- बड़ी मशीनों के लिए आमतौर पर ढलवाँ इस्पात या वेल्लित इस्पात का इस्तेमाल किया जाता है।
- योक बनाने की आधुनिक प्रक्रिया में एक बेलनाकार खराद का धुरा के चारों ओर एक इस्पात स्लैब को रोल करना और फिर इसे तल पर वेल्डिंग करना शामिल है।
- पैरों और टर्मिनल बॉक्स आदि को बाद में फ्रेम में वेल्ड किया जाता है। इस तरह के योक में पर्याप्त यांत्रिक शक्ति होती है और उच्च पारगम्यता होती है
DC मशीन के घूर्णक पर आर्मेचर कुंडली क्यों बनाई जाती है?
Answer (Detailed Solution Below)
DC Generator Construction Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFआर्मेचर:
- DC मशीन के घूर्णित भाग को आर्मेचर कहा जाता है
- एक dc मशीन के आर्मेचर कुंडली को दिक्परिवर्तन की सुविधा प्रदान करने के लिए रोटर पर स्थापित किया जाता है
- दिक्परिवर्तन कुंडली में उत्पादित प्रत्यावर्ती वोल्टेज को ब्रशों पर दिष्ट वोल्टेज में परिवर्तित करने की प्रक्रिया है
Additional Information
दिक्परिवर्तन:
- दिक्परिवर्तन वह प्रक्रिया है जिसमें D.C मशीन के आर्मेचर कुंडलन में उत्पन्न प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में परिवर्तित किया जाता है।
- अच्छे दिक्परिवर्तन का अर्थ होता है कि ब्रश में स्फुलिंग न होना।
- अच्छे दिक्परिवर्तन के लिए, ब्रश द्वारा लघुपथ की गई कुंडलियों में शून्य emf प्रेरित होना चाहिए।
- दिक्परिवर्तन में, ब्रश के एक दिक्परिवर्तक खंड से अगले खंड में जाने से पहले दिक्परिवर्तन पूरा नहीं होता। इसलिए ब्रश के अनुगामी किनारे पर स्फुलिंग होती है।
दिक्परिवर्तन प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए निम्नलिखित विधियों का उपयोग किया जाता है।
प्रतिरोध विनिमय:
- प्रतिरोध विनिमय उच्च कार्बन वाला ब्रश प्रतिरोध प्रदान करके पूरा किया जाता है।
- ब्रश प्रतिरोध विनिमय प्रक्रिया के तहत कुण्डल के साथ श्रृंखला में होता है।
- यदि ब्रश का प्रतिरोध उच्च होता है, तो कुण्डल में धारा का समय स्थिरांक कम होता है अर्थात् धारा व्युत्क्रमण तीव्र हो जाता है।
- यह विधि छोटे आंशिक kW मशीनों में उपयुक्त होगा।
विभवान्तर दिक्परिवर्तन:
- इस विधि में दिक्परिवर्तन प्रक्रिया के अंतर्गत कुंडल में विभवान्तर को प्रेरित करने का प्रबंधन किया जाता है
- जिससे प्रतिघात विभवान्तर निष्प्रभावित हो जाता है।
अंतर ध्रुव:
- आंतरध्रुव मुख्य ध्रुवों के बीच में रखे जाते हैं और स्टेटर आंतरध्रुव से जोड़े जाते हैं।
- आंतरध्रुव कुण्डलियाँ आर्मेचर के साथ श्रृंखलाओं में जुड़ी होती हैं, क्योंकि आंतरध्रुवों को फ्लक्स उत्पन्न करना आवश्यक है जो आर्मेचर की धारा के समानुपाती हो।
- अंतर ध्रुव का प्रयोग आर्मेचर प्रतिक्रिया के पार चुंबकीयकरण प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता है।
- अंतर ध्रुव की ध्रुवीयता जनरेटर घूणर्न की दिशा में आगे मुख्य ध्रुव की ध्रुवीयता के समान होता है।
- अंतर ध्रुव की ध्रुवीयता मोटर घूर्णन की दिशा में पीछे मुख्य क्षेत्र ध्रुव की ध्रुवीयता के समान होती है।
- दिक्परिवर्तित क्षेत्र में आर्मेचर फ्लक्स, जो चुंबकीय निष्प्रभावित धूरी को विस्थापित करने की प्रवृत्ति रखता है, आंतरध्रुव फ्लक्स के नियोजित घटक द्वारा निष्प्रभावित होता है।
दिक्परिवर्तक खंडों के बीच प्रयुक्त अवरोधन सामग्री सामान्य रूप से ___________ होती है।
Answer (Detailed Solution Below)
DC Generator Construction Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFदिक्परिवर्तक खंडों के बीच उपयोग की जाने वाली अवरोधन सामग्री आम तौर पर अभ्रक होती है क्योंकि इसमें लगभग 1180 kV/cm का उच्च पारद्युतिक प्रतिबल होता है।
दिक्परिवर्तक:
- दिक्परिवर्तक एक यांत्रिक परिवर्तक है जो आर्मेचर कुंडली में उत्पादित प्रत्यावर्ती वोल्टेज को ब्रश और इसके विपरित पर दिष्ट वोल्टेज में परिवर्तित करता है।
- दिक्परिवर्तक अभ्रक के शीट द्वारा एक-दूसरे से अवरोधित तांबे के भागों का बना होता है और मशीन के शाफ़्ट पर आलंबित होता है।
- आर्मेचर चालक आर्मेचर कुंडली में वृद्धि प्रदान करने के लिए एक उपयुक्त तरीके में दिक्परिवर्तक भागों के साथ जुड़ा होता है।
- आर्मेचर कुंडली (लैप या तरंग) के अभिविन्यास के आधार पर आर्मेचर चालक दिक्परिवर्तक अनुभागों के साथ जुड़े होते हैं।
दिक्परिवर्तक पर स्प्रिंग के कारण:
- दिक्परिवर्तक के भागों के बीच कमजोर अभ्रक या दिक्परिवर्तक अवरोधन के कारण होने वाला नुकसान।
- खराबी दिक्परिवर्तक भाग पर होती है।
- रुस्ख दिक्परिवर्तक सतह।
- दिक्परिवर्तक पूर्ण रूप से गोलाकार नहीं होता है।
- खंड कार्बन नत्थीकरण द्वारा लघु-परिपथित होते हैं।
- दिक्परिवर्तक सतह पर तेल और धूल।
दिक्परिवर्तक पर स्पार्किंग के प्रभाव:
- दि क्परिवर्तक को अतितापित और कार्बनीकृत करना।
- संवर्धित शक्ति खपत।
लैप और तरंग कुंडलियाँ दोनों के लिए उतने ही दिक्परिवर्तक बार हैं जितने की _________ हैं।
Answer (Detailed Solution Below)
DC Generator Construction Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFदिक्परिवर्तक खण्ड/बार:
- दिक्परिवर्तक का उद्देश्य AC तरंग को ठीक करना है।
- दिक्परिवर्तक के खण्ड एक दूसरे से और आर्मेचर शाफ्ट से अवरोधित रहते है
- आर्मेचर के तार आर्मेचर खण्डों से जुड़े होते हैं।
- आर्मेचर धारा को दिक्परिवर्तक से भार तक कार्बन ब्रश द्वारा प्रवाहित होती है।
- एक आसान DC निर्गम बनाने में सहायता के लिए, अधिक कुंडल और दिक्परिवर्तक खण्डों का उपयोग किया जाता है।
- कुंडल एक दूसरे से दूर रहती है, दिक्परिवर्तक खण्ड के समान है।
- दिक्परिवर्तक खण्ड की संख्या स्लॉट या कुंडलों की संख्या के बराबर होती है
डी सी जनरेटर में कम्यूटेटर का उपयोगिता क्या है?
1. बाहरी सर्किट को आर्मेचर से जोड़ना
2. DC को AC में बदलने के लिए
3. AC को DC में बदलने के लिए
4. आयरन लॉसेस को कम करना
Answer (Detailed Solution Below)
DC Generator Construction Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFदिक्परिवर्तक और ब्रश:
- DC जनरेटर की स्थिति में दिक्परिवर्तक का प्रयोग आर्मेचर में उत्पादित AC को DC में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है।
- DC मोटर की स्थिति में दिक्परिवर्तक का प्रयोग DC को A.C में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है।
- दिक्परिवर्तक के विपाटन की परिसीमा के कारण dc जनरेटर को विशेषरूप से 650 V से आगे के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है।
- आर्मेचर कुंडली के लिए भौतिक संयोजन एक दिक्परिवर्तक-ब्रश व्यवस्था के माध्यम से बना होता है।
- dc जनरेटर में एक दिक्परिवर्तक का कार्य आर्मेचर चालकों में उत्पादित धारा को एकत्रित करना है।
- जबकि dc मोटर की स्थिति में दिक्परिवर्तक आर्मेचर चालकों को धारा प्रदान करने में मदद करते हैं।
- दिक्परिवर्तक में तांबे के खंडों का एक समूह शामिल होता है जो एक-दूसरे से अवरोधित होते हैं।
- खंडों की संख्या आर्मेचर कुण्डलों की संख्या के बराबर होती है। प्रत्येक खंड आर्मेचर कुण्डल से जुड़ा होता है और दिक्परिवर्तक शाफ़्ट से जुड़ा होता है।
- ब्रश सामान्यतौर पर कार्बन या ग्रेफाइट के बने होते हैं।
- वे दिक्परिवर्तक खंड पर विरामावस्था पर होते हैं और खंड पर तब फिसलते हैं जब दिक्परिवर्तक धारा को संग्रहित या उसकी आपूर्ति करने के लिए भौतिक संपर्क को बनाये रखते हुए घूमता है।