काव्य और कवि MCQ Quiz - Objective Question with Answer for काव्य और कवि - Download Free PDF
Last updated on Jun 16, 2025
Latest काव्य और कवि MCQ Objective Questions
काव्य और कवि Question 1:
'रसखान' का साहित्य इनमें से कौन सा नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 1 Detailed Solution
'रसखान' का साहित्य इनमें से नहीं है- शिवराज भूषण
- 'शिवराज भूषण', कवि भूषण की प्रसिद्ध रचना है।
Key Pointsशिवराज भूषण-
- रचनाकार- भूषण
- विधा- कविता
- विषय-
- इसमें शिवाजी के कार्यकलापों का वर्णन किया गया है।
Mistake Pointsदान लीला-
- रचनाकार- रसखान
- विधा- कविता
प्रेम वाटिका-
- रचनाकार- रसखान
- विधा- कविता
- दोहा - 53
- विषय-
- इस कृति में रसखान ने प्रेम का स्पष्ट रूप में चित्रण किया है।
सुजान रसखान-
- रचनाकार- रसखान
- विधा- कविता (सवैया)
Important Pointsरसखान-
- जन्म-1548-1628 ई.
- हिन्दी साहित्य में कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- मुख्य रचनाएँ-
- सुजान रसखान
- प्रेमवाटिका
- दान लीला
- रसखान दोहावली
- रसखान गीतावली
भूषण-
- जन्म- 1613-1715 ई.
- यह वीर रस के कवि थे।
- मुख्य रचनाएँ-
- शिवराजभूषण
- शिवाबावनी
- छत्रसालदशक
काव्य और कवि Question 2:
'सुजान' से कौन प्रेम करते थे?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 2 Detailed Solution
'सुजान' से रसखान प्रेम करते थे।
Key Pointsसुजान रसखान-
- रचनाकार- रसखान
- विधा- कविता (सवैया)
- विषय - सुजान नाम की एक स्त्री से रीतिमुक्त कवि घनानंद प्रेम करते थे।
- घनानंद दिल्ली के बादशाह मुहम्मद शाह के मीर मुंशी थे और सुजान नाम की नर्तकी या वेश्या से उनका प्रेम था।
Important Points रसखान-
- जन्म-1548-1628 ई.
- हिन्दी साहित्य में कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- मुख्य रचनाएँ-
- सुजान रसखान
- प्रेमवाटिका
- दान लीला
- रसखान दोहावली
- रसखान गीतावली
Additional Information आलम-
- रीतिकाल की रीतिमुक्त काव्य धारा के कवि रहे है।
- मुख्य रचनाएँ-
- माधवानल कामकंदला
- स्याम -सनेही
- सुदामाचरित
- आलमकेलि आदि।
बिहारी लाल -
- जन्म - 1595 - 1663 ई.
- बिहारीलाल चौबे या बिहारी हिंदी के रीति काल के प्रसिद्ध कवि थे।
- मुख्य रचनाएँ -
- बिहारी सतसई
घनानन्द-
- जन्म-1689-1739 ई.
- रीतिकाल की रीतिमुक्त धारा के महत्वपूर्ण कवि है।
- सम्प्रदाय-निम्बार्क
- आश्रयदाता-मुहम्मदशाह रंगीले
- प्रेयसी-सुजान
- रचनाएँ-
- वियोगबेलि
- इश्कलता
- सुजान हित प्रबंध
- प्रीतिपावस
- कृपाकन्द
- विरह लीला आदि।
काव्य और कवि Question 3:
बिहारी सतसई की टीका 'लाल चंद्रिका' नाम से किसने की है ?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 3 Detailed Solution
बिहारी सतसई की टीका 'लाल चंद्रिका' नाम से लल्लू लाल ने की है।
लाल चंद्रिका-
- रचनाकार-लल्लू लाल
- विधा-टीका
- प्रकाशन वर्ष-1818 ई.
- विषय-
- रीतिकालीन कवि बिहारी द्वारा कृत बिहारी सतसई की ब्रजभाषा में टीका लिखी है।
Key Pointsलल्लू लाल-
- जन्म-1763-1835 ई.
- इन्हें 'लालचंद', 'लल्लूजी' या 'लाल कवि' के नाम से भी जाना जाता था।
- रचनाएँ-
- सिंहासन बत्तीसी(1801 ई.)
- बैताल पच्चीसी(1808 ई.)
- माधवानल(1801 ई.)
- राजनीति(1802 ई.)
- शंकुतला(1810 ई.)
- प्रेम सागर(1810 ई.) आदि।
- आचार्य शुक्ल-
- "लल्लू लाल की भाषा कृष्णोपासक व्यासों की सि ब्रजरंजित खड़ी बोली है।
Important Pointsबिहारी सतसई पर रचित अन्य टीका ग्रंथ हैं-
लेखक | टीका |
जगन्नाथदास रत्नाकर | बिहारी रत्नाकर |
सूरति मिश्र | अमर चंद्रिका |
अम्बिका दत्त व्यास | बिहारी बिहार |
पद्म सिंह शर्मा | संजीवनी भाष्य |
Additional Informationबिहारी सतसई-
- रचनाकार-बिहारी
- काव्य रूप-मुक्तक
- छंद-दोहा
- विषय-
- इसमे 713 दोहों में नायक-नायिका का वर्णन है।
- शृंगार रस इसका प्रधान रस है।
काव्य और कवि Question 4:
'रामचंद्रिका' का रचना समय है।
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 4 Detailed Solution
'रामचंद्रिका' का रचना समय है - 1601 ई.
Key Pointsरामचंद्रिका -
- रचनाकार - केशवदास
- विधा - काव्य
- प्रकाशन वर्ष - 1601 ई.
- विषय-
- रामकथा पर आधारित महाकाव्य है।
Important Pointsकेशवदास-
- जन्म-1555-1617 ई.
- यह रीतिबद्ध काव्यधारा के कवि है।
- रचनाएँ-
- रसिकप्रिया (1591 ई.)
- कविप्रिया (1601 ई.)
- रतनबावनी (1607 ई.)
- वीरसिंहदेवचरित (1607 ई.)
- जहाँगीरजसचंद्रिका (1612 ई.)
- विज्ञानगीता (1610 ई.) आदि।
काव्य और कवि Question 5:
किस विद्वान ने बिहारी सतसई को सर्वश्रेष्ठ कृति मानी है-
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 5 Detailed Solution
रामचन्द्र शुक्ल यहाँ उचित विकल्प है|
- रामचन्द्र शुक्ल ने बिहारी सतसई को सर्वश्रेष्ठ कृति मानी है|
Key Points
- बिहारी सतसई - 713 दोहा
- प्रधान रस - श्रंगार रस
Additional Information
Top काव्य और कवि MCQ Objective Questions
निम्नलिखित में से कौन रीतिकालीन कवि है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFदिये गए विकल्पों में से विकल्प 4 ’भूषण‘ सही उत्तर है। अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं।
स्पष्टीकरण:
महाकवि भूषण- रीतिकालीन के तीन प्रमुख हिन्दी कवियों में से एक हैं, अन्य दो कवि हैं बिहारी तथा केशव। रीति काल में जब सब कवि शृंगार रस में रचना कर रहे थे, वीर रस में प्रमुखता से रचना कर भूषण ने अपने को सबसे अलग साबित किया। 'भूषण' की उपाधि उन्हें चित्रकूट के राजा रूद्रसाह के पुत्र हृदयराम ने प्रदान की थी।
अन्य विकल्प:
कवी |
युग |
सुमित्रानन्दन पन्त |
छायावादी युग |
दिनकर |
वीर रस |
हरिऔध |
द्विवेदी युग |
विशेष:
कवि- वह है जो भावों को रसाभिषिक्त अभिव्यक्ति देता है और सामान्य अथवा स्पष्ट के परे गहन यथार्थ का वर्णन करता है। |
निम्न में से कौन-सी केशवदास जी की रचना नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFकेशवदास जी की रचना नहीं है- 'देव माया प्रवंच'
- कवि देव की रचना- 'देव माया प्रवंच'
- केशवदास जी काव्यसंग्रह की रचना है-
- वीरसिंहदेव चरित
- जहाँगीर जसचंद्रिका
- नखशिख
Key Pointsअन्य काव्यसंग्रह:-
- रसिकप्रिया
- कविप्रिया
- छंदमाला
- रामचंद्रिका
- रतनबावनी
- विज्ञानगीता
Important Points
नाम | केशवदास |
जन्म | 1555 |
जन्म स्थान | बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश |
मृत्यु | 1617 |
भाषा | संस्कृत |
कर्म-क्षेत्र | लेखक, कवि |
Additional Informationकवि देव की अन्य रचनाएँ:-
- भावविलास
- अष्टयाम
- भवानीविलास
- रसविलास
- प्रेमचंद्रिका
- राग रत्नाकर
- सुजानविनोद
- जगद्दर्शन पचीसी
- आत्मदर्शन पचीसी
- तत्वदर्शन पचीसी
निम्न में से किस कवि ने 'लक्षण ग्रन्थ' नहीं लिखा?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDF'बिहारी लाल' कवि ने लक्षण ग्रन्थ की रचना नहीं की। अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
- बिहारी ने सिर्फ एक रचना लिखी जिसका नाम है: बिहारी सतसई
- काव्य या साहित्य के लक्षणों का विवेचन करनेवाला ग्रंथ लक्षण ग्रंथ कहलाता है।
- दूसरे शब्दों में, लक्षण ग्रन्थ का अर्थ साहित्यिक समीक्षा की पुस्तक या 'समालोचना शास्त्र' है।
Important Points
- देव कवि की प्रमुख रचनाएं - भाव विलास , प्रेमचन्द्रिका , शब्दरसायन , अष्टयाम ,जातिविलास , आदि।
- पद्माकर की प्रमुख रचनाएं - गंगालहरी , प्रबोध पचासा , पद्माभरन , आदि।
- भूषण की रचनाएँ: शिवराजभूषण, शिवाबावनी, छत्रसालदशक, भूषण उल्लास, भूषण हजारा, दूषनोल्लासा। परन्तु इनमें शिवराज भूषण, छत्रसाल दशक व शिवा बावनी ही उपलब्ध हैं।
कौन-सी रचना केशवदास की नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFभाषाभूषण, केशवदास की रचना नही है।
- भाषा भूषण : जसवंत सिंह
- जसवंत सिंह के रचित ग्रंथ-भाषाभूषण,अपरीक्षसिद्धांत,अनुभवप्रकाश,आनंदविलास,सिद्धांतबोध,सिद्धांतसार और प्रबोधचंद्रोदय आदि प्रसिद्ध हैं।
Important Points
- केशव या केशवदास (जन्म 1555 विक्रमी और मृत्यु1618 विक्रमी) हिन्दी साहित्य के रीतिकाल की कवि-त्रयी के एक प्रमुख स्तंभ हैं।
- वे संस्कृत काव्यशास्त्र का सम्यक् परिचय कराने वाले हिंदी के प्राचीन आचार्य और कवि हैं।
- केशव अलंकार सम्प्रदायवादी आचार्य कवि थे। इसलिये स्वाभाविक था कि वे भामह, उद्भट और दंडी आदि अलंकार सम्प्रदाय के आचार्यों का अनुसरण करते।
Additional Information
- केशवदास रचित प्रामाणिक ग्रंथ नौ हैं :
- रसिकप्रिया (1591)
- कविप्रिया (1601)
- नखशिख
- छंदमाला
- रामचंद्रिका (1601)
- वीरसिंहदेव चरित (1607)
- रतनबावनी (1607)
- विज्ञानगीता (1607)
- जहाँगीर जसचंद्रिका (1612)
रीतिकाल को 'अलंकृत काल' नाम किसने दिया?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF"रीतिकाल" को "अलंकृत काल" नाम "मिश्र बंधु" ने दिया है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (3) मिश्र बंधु सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
- मिश्र बंधु के अनुसार अलंकृत काल को दो भागों में बांटा गया है:-
- पूर्वालंकृत काल (1681-1790)
- उत्तरालंकृत काल (1781-1889)
Important Points
- रीतिकाल (1650-1850)
- इसे विशेषत: तात्कालिक दरबारी संस्कृति और संस्कृत साहित्य से उत्तेजना मिली।
- हिंदी में 'रीति' या 'काव्यरीति' शब्द का प्रयोग काव्यशास्त्र के लिए हुआ था।
- रीतिकाल की तीन काव्य धाराएं हैं:-
- रीतिबद्ध काव्य
- रीति सिद्ध काव्य
- रीतिमुक्त काव्य
रीतिकाल के प्रमुख कवि वह उनकी रचनाएं निम्नलिखित हैं:-
Additional Information
रीतिकाल के अन्य नाम व उनके प्रस्तोता:-
राजनीतिक रूप से रीतिकाल मुगलों के शासन के वैभव के:
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFराजनीतिक रूप से रीतिकाल मुगलों के शासन वैभव के चरमोत्कर्ष के बाद उत्तरोत्तर ह्रास और पतन का युग है। अतः उपयुक्त विकल्पों में से विकल्प "चरम उत्कर्ष के बाद उत्तरोत्तर ह्रास और पतन का युग सही है' तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- मुगलों के शासन काल का प्रारंभ बाबर द्वारा 1526 ईस्वी में हुआ । अंतिम सशक्त शासक औरंगजेब (1658 -1707 ईस्वी) था।
- इसी समय में रीतिकाल 1643 -1843 तक माना गया है।
- अतः समय और राजनीतिक रुप दोनों आधारों पर रीतिकाल मुगलों के उत्तरोत्तर ह्रास और पतन का युग है।
- रीतिकाल की तीन काव्य धाराएं हैं:-
- रीतिबद्ध काव्य
- रीति सिद्ध काव्य
- रीतिमुक्त काव्य
Additional Information
रीतिकाल के प्रमुख कवि वह उनकी रचनाएं निम्नलिखित हैं:-
निम्नलिखित में से रीतिकाल के कवि हैं-
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDF'वृंद' रीतिकाल के कवि हैं, अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 3 'वृंद' सही उत्तर होगा।
Key Points
- रीतिकालीन परंपरा के अंन्तर्गत वृन्द जी का नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है।
- इनका पूरा नाम वृन्दावनदास था।
- वृन्द जी को कविताओं के माध्यम से कई बार सम्मानित पुरस्कारों से नवाजा गया।
- इसके चलते वृन्द जी का कविता के विषय में मनोवल बढता गया और वृन्द जी श्रेष्ठ कवि के रूप में पहिचाने जाने लगे।
- ‘वृंद-सतसई कवि वृन्द जी की सबसे प्रसद्धि रचनाओं में से एक है. जिसमें 700 दोहे हैं।
Additional Information
- हिन्दी साहित्य का उत्तर मध्यकाल रीतिकाल कहलाता है,रीतिकाल समृद्धि और विलासिता का काल कहा जाता है।
- हिंदी साहित्य में सम्वत् 1700 से 1900 (वर्ष 1643ई. से 1843 ई. तक) का समय रीतिकाल के नाम से जाना जाता है ।
- भक्तिकाल को हिंदी साहित्य का पूर्व मध्यकाल और रीतिकाल को उत्तर-मध्य काल भी कहा जाता है ।
- भक्ति काल और रीति काल दोनों के काल को हिंदी साहित्य का मध्यकाल कहा जा सकता है ।
- रीतिकाल के कवियों में केशवदास और चिंतामणि का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है ।
- सर्वामान्य रूप से केशवदास को ही रीतिकाल का प्रवर्त्तक कवि माना गया है ।
- रीतिकाल के कवियों को मुख्यत: तीन वर्गों में रखा गया है :-
- रीतिग्रंथकार कवि या लक्षण बद्ध कवि या रीतिबद्ध कवि
- रीतिसिद्ध कवि
- रीतिमुक्त कवि
''ये हिन्दी के प्रधान आचार्यों में माने जाते हैं और इनका 'भाषाभूषण' अलंकार ग्रंथ एक बहुत ही प्रचलित पाठयग्रंथ रहा है।''
रामचन्द्र शुक्ल ने उपर्युक्त बात किस रीतिकालीन कवि के विषय में कही है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDF- सही उत्तर विकल्प 3 है।
- महाराज जसवंत सिंह
- पुस्तक - हिंदी साहित्य का इतिहास - रीतिकाल प्रकरण 2
- महाराज जसवंत सिंह - मारवाड़ के प्रतापी नरेश
- प्रसिद्ध आचार्य और साहित्य मर्मज्ञ
- अन्य रचनाएं -
- अपरोक्ष-सिद्धांत,
- अनुभव-प्रकाश,
- आनंद-विलास,
- सिद्धांत-बोध,
- सिद्धांतसार,
- मतिराम के ग्रंथ - रसराज, ललित ललाम, अलंकार पंचाशिका, आदि
- देव के ग्रंथ - भाव विलास, अष्ट्याम, देव चरित, रस विलास आदि
- पद्माकर के ग्रंथ - पद्माभरण, जगदविनोद, प्रबोध पचासा आदि
Confusion Points
- भाषा भूषण नाम से रीतिकाल के ही कवि श्री धर ने भी ग्रंथ लिखा है।
इनमें से कौन-सी कृति केशवदास की नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFअनेकार्थमंजरी कृति केशवदास की नहीं है। अन्य विकल्प असंगत है ।अतः सही उत्तर विकल्प 3 अनेकार्थमंजरी होगा ।
Key Points
|
निम्नलिखित में से कौन वीर रस का कवि नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDF- रीति काल के ब्रजभाषा कवियों में पद्माकर (1753-1833) का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- वे हिंदी साहित्य के रीतिकालीन कवियों में अंतिम चरण के सुप्रसिद्ध और विशेष सम्मानित कवि थे।
- मूलतः हिन्दीभाषी न होते हुए भी पद्माकर जैसे आन्ध्र के अनगिनत तैलंग-ब्राह्मणों ने हिन्दी और संस्कृत साहित्य की श्रीवृद्धि में जितना योगदान दिया है वैसा उदाहरण अन्यत्र दुर्लभ है।
शिवमंगल सिंह 'सुमन'
- शिव मंगल सिंह 'सुमन' केवल हिंदी कविता के क्षेत्र में एक शक्तिशाली चिह्न ही नहीं थे, बल्कि वह अपने समय की सामूहिक चेतना के संरक्षक भी थे।
भूषण
- भूषण का काव्य शृंगार भावना से बचा हुआ है। अतः कहा जा सकता है कि भूषण वीररस के श्रेष्ठ कवि हैं।
- इनकी कविता का अंगीरस वीर रस है। इनकी रचनाएँ शिवराज भूषण, शिवाबावजी और छत्रसाल दशक वीर रस से ओतप्रोत है।
- भूषण ने अपने वीरकाव्य में औरंगजेब के प्रति आक्रोश सर्वत्र व्यक्त किया है।
रामधारी सिंह 'दिनकर'
- 'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये।
- वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे।
- एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है।
- इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है।
- उनकी प्रसिद्ध रचनाएं उर्वशी, रश्मिरथी, रेणुका, संस्कृति के चार अध्याय, हुंकार, सामधेनी, नीम के पत्ते हैं.
- उनकी मृत्यु 24 अप्रैल 1974 को हुई थी. पेश हैं
- उनकी 5 कविताएं. कलम, आज उनकी जय बोल.