प्रसाद पूर्व नाटक MCQ Quiz - Objective Question with Answer for प्रसाद पूर्व नाटक - Download Free PDF

Last updated on May 28, 2025

Latest प्रसाद पूर्व नाटक MCQ Objective Questions

प्रसाद पूर्व नाटक Question 1:

सूची-I से सूची-II का मिलान कीजिए:

सूची-I (रचनाकार) सूची-II (रचना)
(A) अंबिकादत्त व्यास (I) रुक्मिणी परिणय
(B) अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' (II) ललिता
(C) राधाकृष्ण दास (III) महाराणा प्रताप
(D) किशोरीलाल गोस्वामी (IV) प्रणयिनी-परिणय

 

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. (A) - (IV), (B) - (II), (C) - (I), (D) - (III)
  2. (A) - (III), (B) - (IV), (C) - (II), (D) - (I)
  3. (A) - (II), (B) - (I), (C) - (III), (D) - (IV)
  4. (A) - (I), (B) - (III), (C) - (IV), (D) - (II)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : (A) - (II), (B) - (I), (C) - (III), (D) - (IV)

प्रसाद पूर्व नाटक Question 1 Detailed Solution

उत्तर है- (A) - (II), (B) - (I), (C) - (III), (D) - (IV)

 

(A) अंबिकादत्त व्यास - (II) ललिता:

  • अंबिकादत्त व्यास (1858-1900) की रचनाओं में "ललिता" (1884) शामिल है। यह मिलान सही है।

(B) अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' - (I) रुक्मिणी परिणय:

  • अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' (1865-1947) ने "रुक्मिणी परिणय" (1894) लिखा। यह मिलान सही है।

(C) राधाकृष्ण दास - (III) महाराणा प्रताप:

  • राधाकृष्ण दास (1865-1903) की रचनाओं में "महाराणा प्रताप" (1898) शामिल है। यह मिलान सही है।

(D) किशोरीलाल गोस्वामी - (IV) प्रणयिनी-परिणय:

  • किशोरीलाल गोस्वामी (1865-1932) ने "प्रणयिनी-परिणय" (1890) लिखा। यह मिलान सही है।

प्रसाद पूर्व नाटक Question 2:

सूची-I से सूची-II का मिलान कीजिए:

सूची-I (रचनाकार) सूची-II (रचना)
(A) बालकृष्ण भट्ट (I) संयोगिता स्वयंवर
(B) श्रीनिवास दास (II) भारत-दुर्दशा
(C) प्रतापनारायण मिश्र (III) नई रोशनी का विष
(D) राधाचरण गोस्वामी (IV) अमरसिंह राठौर

 

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. (A) - (III), (B) - (I), (C) - (II), (D) - (IV)
  2. (A) - (I), (B) - (III), (C) - (IV), (D) - (II)
  3. (A) - (II), (B) - (IV), (C) - (I), (D) - (III)
  4. (A) - (IV), (B) - (II), (C) - (III), (D) - (I)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : (A) - (III), (B) - (I), (C) - (II), (D) - (IV)

प्रसाद पूर्व नाटक Question 2 Detailed Solution

सही उत्तर है- (A) - (III), (B) - (I), (C) - (II), (D) - (IV)

Key Points

(A) बालकृष्ण भट्ट - (III) नई रोशनी का विष:

  • बालकृष्ण भट्ट (1844-1914) की प्रमुख रचनाओं में "नई रोशनी का विष" (1884) शामिल है। यह मिलान सही है।

(B) श्रीनिवास दास - (I) संयोगिता स्वयंवर:

  • श्रीनिवास दास (1851-1897) ने "संयोगिता स्वयंवर" (1886) लिखा, जो उनकी प्रमुख रचनाओं में से एक है। यह मिलान सही है।

(C) प्रतापनारायण मिश्र - (II) भारत-दुर्दशा:

  • प्रतापनारायण मिश्र (1856-1894) की रचनाओं में "भारत-दुर्दशा" (1902) शामिल है, जो एक प्रसिद्ध नाटक है। यह मिलान सही है।

(D) राधाचरण गोस्वामी - (IV) अमरसिंह राठौर:

  • राधाचरण गोस्वामी (1859-1925) ने "अमरसिंह राठौर" (1895) लिखा, जो उनकी प्रमुख रचनाओं में से एक है। यह मिलान सही है।

प्रसाद पूर्व नाटक Question 3:

'कर्बला के रचनाकार कौन हैं?

  1. बेचन शर्मा उम्र
  2. राही मासूम रजा
  3. प्रेमचंद
  4. प्रभा खेतान

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : प्रेमचंद

प्रसाद पूर्व नाटक Question 3 Detailed Solution

'कर्बला' के रचनाकार है- प्रेमचंद

Key Pointsकर्बला-

  • प्रकाशन वर्ष- 1924 ई. 
  • इस नाटक और घटना की मूल संवेदना यह है कि मुस्लिम धर्म में भी त्याग, समर्पण और शहादत की भावना को बताना था।
  • इस घटना के माध्यम से यह भी सिद्ध होता है कि मुस्लिम धर्म में भी अनेक ऐसे सच्चरित्र महापुरुष में हुए हैं, जिन्होंने त्याग और समर्पण एवं न्याय को महत्व दिया।

Important Pointsप्रेमचंद के प्रमुख नाटक -

  • संग्राम (1923)
  • कर्बला (1924)
  • प्रेम की वेदी (1933)

प्रसाद पूर्व नाटक Question 4:

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के नाटकों का सही कालक्रम क्या है ?

(A) भारत दुर्दशा

(B) सती प्रताप

(C) सत्य हरिश्चन्द्र

(D) मुद्राराक्षस

(E) विद्यासुन्दर

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए :

  1. (C), (D), (B), (A), (E)
  2. (E), (B), (C), (D), (A)
  3. (E), (C), (D), (A), (B)
  4. (D), (B), (C), (E), (A)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : (E), (C), (D), (A), (B)

प्रसाद पूर्व नाटक Question 4 Detailed Solution

सही उत्तर है- (E), (C), (D), (A), (B)

 

Important Pointsभारतेन्दु हरिश्चंद्र-

  • जन्म-1850-1885ई. 
  • हिन्दी के प्रमुख नाटककार के रूप में विख्यात है। 
  • मौलिक नाटक-
    • वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति(1873ई.)
    • चंद्रावली(1876ई.)
    • नील देवी(1881ई.)
    • सती प्रताप(1883ई.) आदि। 
  • अनूदित नाटक-
    • रत्नावली(1868ई.)
    • विद्यासुंदर(1868ई.)
    • पाखंड विडंबन(1872ई.)
    • धनंजय विजय(1873ई.)
    • मुद्रा राक्षस(1878ई.) आदि। 

प्रसाद पूर्व नाटक Question 5:

भारतेन्दु कृत 'सती प्रताप' नाटक का नाट्यरूप कौन-सा है ?

  1. प्रहसन 
  2. गीतिरूपक
  3. ऑपेरा
  4. लास्य रुपक

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : गीतिरूपक

प्रसाद पूर्व नाटक Question 5 Detailed Solution

भारतेन्दु कृत 'सती प्रताप' नाटक का नाट्यरूप है- गीतिरूपक

Key Pointsसती प्रताप-

  • रचनाकार- भारतेन्दु हरिश्चंद्र 
  • विधा- नाटक 
  • प्रकाशन वर्ष- 1883 ई. 
  • विषय-
    • अपूर्ण, केवल चार दृश्य, गीतिरूपक, बाबू राधाकृष्णदास ने पूर्ण किया। 
    • सती प्रथा और पुष्टिमार्गीय भक्ति सिद्धांत का चित्रण करता है। 

Important Pointsभारतेन्दु हरिश्चंद्र -

  • जन्म- 1850 - 1885 ई.
  • हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से माना जाता है।
  • हिन्दी पत्रकारिता, नाटक और काव्य के क्षेत्र में उनका बहुमूल्य योगदान रहा।
  • मौलिक नाटक -
    • वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति (1873ई., प्रहसन)
    • सत्य हरिश्चन्द्र (1875,नाटक)
    • श्री चंद्रावली (1876, नाटिका)
    • विषस्य विषमौषधम् (1876, भाण)
    • भारत दुर्दशा (1880, ब्रजरत्नदास के अनुसार 1876, नाट्य रासक),
    • नीलदेवी (1881, ऐतिहासिक गीति रूपक)।
    • अंधेर नगरी (1881, प्रहसन)
    • प्रेम जोगिनी (1875, प्रथम अंक में चार गर्भांक, नाटिका)
  •  अनूदित नाट्य रचनाएँ -
    • विद्यासुन्दर (1868,नाटक, संस्कृत 'चौरपंचाशिका’ के यतीन्द्रमोहन ठाकुर कृत बँगला संस्करण का हिंदी अनुवाद)
    • पाखण्ड विडम्बन (कृष्ण मिश्र कृत ‘प्रबोधचंद्रोदय’ नाटक के तृतीय अंक का अनुवाद)
    • धनंजय विजय (1873, व्यायोग, कांचन कवि कृत संस्कृत नाटक का अनुवाद)
    • कर्पूर मंजरी (1875, सट्टक, राजशेखर कवि कृत प्राकृत नाटक का अनुवाद)
    • भारत जननी (1877,नाट्यगीत, बंगला की 'भारतमाता'के हिंदी अनुवाद पर आधारित)
    • मुद्राराक्षस (1878, विशाखदत्त के संस्कृत नाटक का अनुवाद)
    • दुर्लभ बंधु (1880, शेक्सपियर के ‘मर्चेंट ऑफ वेनिस’ का अनुवाद)

Top प्रसाद पूर्व नाटक MCQ Objective Questions

'पै धन विदेश चलि जात इहै अति ख्वारी।' पंक्ति किसकी है?

  1. हरिऔध
  2. प्रताप नारायण मिश्र
  3. मैथिलीशरण गुप्त
  4. भारतेन्दु हरिश्चंद्र

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भारतेन्दु हरिश्चंद्र

प्रसाद पूर्व नाटक Question 6 Detailed Solution

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  • 'पै धन विदेश चलि जात इहै अति ख्वारी' पंक्ति भारतेंदु हरिश्चंद्र ।
  • भारतेंदु ने नाटकों के माध्यम से जनसामान्य को जाग्रत करने का कार्य किया ।
  • भारतेंदु ने सन् 1883 ई. में नाटक के लिए उपयोगी 'नाटक अथवा दृश्यकाव्य' नामक एक महत्वपूर्ण निबंध लिखा ।

Key Points

  • भारतेंदु ने पहली बार हिंदी में मौलिक रंगमंच की स्थापना का प्रयास किया ।

  

  • यह पंक्ति भारत दुर्दशा नाटक की है ।
  • यह नाटक एक नाट्यरासक वा लास्य रूपक था , यह 1880 ई. में लिखा गया ।
  • इस नाटक में भारत की तत्कालीन राजनीतिक व सामाजिक दुर्दशा का प्रतीकात्मक चित्रण है ।

"भारत दुर्दशा" नाटक के लेखक हैं-

  1. लक्ष्मीनारायण मिश्र
  2. उपेन्द्र नाथ अश्क
  3. जयशंकर प्रसाद
  4. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

प्रसाद पूर्व नाटक Question 7 Detailed Solution

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"भारत दुर्दशा" नाटक के लेखक हैं- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

  • "भारत दुर्दशा" का प्रकाशन (1880 ई.) वर्ष  है।
  • नाटक का सार:- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का यह नाटक के माध्यम से तत्कालीन भारत की दुर्दशा को दिखाना एवं दुर्दशा के कारणों को कम कर दुर्दशा करनेवालों का यथार्थ चित्र उपस्थित करना था।

Key Pointsभारतेन्दु हरिश्चन्द्र:-

  • भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (9 सितंबर 1850-6 जनवरी 1885) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं।
  • वे हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम 'हरिश्चन्द्र' था, 'भारतेन्दु' उनकी उपाधि थी। 
  • भारतेंदु जी ने सन 1868 ई. में “कविवचन सुधा” नामक पत्रिका निकालनी प्रारंभ की।
  • इसके 5 वर्ष उपरांत 1873 ई. में उन्होंने “हरिश्चंद्र मैगजीन” नामक मासिक पत्रिका निकाली, जिसका नाम 8 अंकों के उपरांत “हरिश्चंद्र चंद्रिका” कर दिया गया।
  • 1874 में भारतेंदु जी ने नारी शिक्षा के लिए “बालबोधिनी” पत्रिका निकाली। इस प्रकार कुल मिलाकर उन्होंने तीन पत्रिकाएं निकाली।

प्रमुख नाटक रचनाएँ:-

  • वैदिकी हिंसा-हिंसा न भवति (1873)
  • सत्य हरिश्चन्द्र (1875)
  • प्रेम जोगिनी (1875)
  • चंद्रावली नाटिका (1876)
  • विषस्य विषमौषधम् (1876)
  • भारत जननी (1877)
  • नीलदेवी (1881)
  • सती प्रताप (1883)

Additional Informationलक्ष्मीनारायण मिश्र नाटक रचनाएँ:-

  • अशोक (1926)
  • संन्यासी (1930)
  • राक्षस का मन्दिर (1931)
  • मुक्तिका रहस्य (1932)
  • आधी रात (1936)
  • गरुड़ध्वज (1945)
  • नारद की वीणा (1946)
  • राजयोग और सिन्दूर की होली (1933)

उपेन्द्र नाथ अश्क नाटक रचनाएँ:-

  • लौटता हुआ दिन
  • बड़े खिलाड़ी 
  • जय-पराजय
  • स्वर्ग की झलक
  • भँवर, अंजो दीदी।

जयशंकर प्रसाद  नाटक रचनाएँ:-

  • उर्वशी (1909) 
  • प्रायश्चित्त (1914)  
  • राज्यश्री (1915)
  • विशाख (1921) 
  • अजातशत्रु (1922) 
  • कामना (1927) 
  • एक घूँट (1930) 
  • चन्द्रगुप्त (1931) 
  • ध्रुवस्वामिनी (1933) 

भारतेन्दु द्वारा रचित मौलिक नाटक कौन सा है?

  1. विद्या सुंदर
  2. भारत जननी
  3. मुद्रा राक्षस
  4. भारत दुर्दशा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भारत दुर्दशा

प्रसाद पूर्व नाटक Question 8 Detailed Solution

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  • अंधेर नगरी - 1881 भारतेंदु जी का मौलिक नाटक है।
  • इस प्रहसन में राजा की मूर्खता, अन्याय, और अंधेरगर्दी पर व्यंग्य है।
  • राजनीतिक व्यंग्य का अच्छा उदाहरणI


  

  • भारतेंदु के समस्त मौलिक एवं अनूदित नाटकों की संख्या - 17
  • भारतेंदु को ही हिंदी साहित्य में नाट्य विधा का प्रवर्तक माना जाता हैI
  • अंधेर नगरी, भारत - जननी, नील देवी, भारत दुर्दशा की रचना देश वस्त्सलता के उद्देश्य से की।


Additional Information

  • भारतेंदु के मौलिक नाटक
  1. विषस्य विषमौषधम - 1876 (भाण -एक पात्रीय नाटक)
  2. प्रेम जोगिनी - 1875 (4 अंकों की नाटिका)
  3. चंद्रावली - 1876 (नाटिक)
  4. भारत दुर्दशा - 1880 (नाट्य रूपक)
  5. नीलदेवी - 1881 (गीतिरूपक)
  6. अंधेर नगरी - 1881 (प्रहसन)
  7. सती प्रताप (यह नाटक अधूरा रहा जिसे राधा कृष्णदास ने पूरा किया) - 1883 (पौराणिक नाटक)


Key Points

  • अन्य विकल्प 
    • मुद्रा राक्षस : मुद्रा राक्षस (1878), संस्कृत के विख्यात नाटककार विशाखदत्त के मुद्राराक्षस का अनुवाद -- भारतेंदु 
    • विद्या सुंदर :विद्या सुन्दर (1868), बंगला से छायानुवाद -- भारतेंदु 
    • भारत जननी : भारत जननी (1877), बंगला नाटक ‘भारतमाता’ का भारतेन्दु जी के मित्र ने अनुवाद किया था जिसे उन्होंने संशोधित किया।

हिन्दी का प्रथम मौलिक नाटक 'नहुष'  के रचनाकार हैं -

  1. भारतेन्दु हरिश्चंद्र
  2. श्रीनिवास दास
  3. गोपाल चंद्र
  4. जयशंकर प्रसाद

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : गोपाल चंद्र

प्रसाद पूर्व नाटक Question 9 Detailed Solution

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  • “नहुष' हिन्दी का प्रथम मौलिक नाटक है |
  • “नहुष' नाटक के लेखक बाबू गोपाल चन्द्र है। 
  • “नहुष' नाटक के लेखक बाबू गिरधरदास का भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से पिता का सम्बन्ध था।
  • गोपाल चन्द्र जी का उपनाम: गिरिधर दास 


Additional Information

गोपालचन्द्र गिरिधरदास श्री काले हर्षचन्द्र के पुत्र तथा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के पिता थे। बाबू गोपालचन्द्र ‘गिरिधरदास’ का जन्म काशी में सन 1833 ई. में हुआ था।

  • गिरिधर महाराज के कृपापात्र होने के कारण गोपालचन्द्र ने 'गिरिधरदास' उपनाम रखा था।
  • हिन्दी साहित्य का प्रथम नाटक ‘नहुष’ लिखने का श्रेय इन्हें प्राप्त है।
  • गोपालचन्द्र गिरिधरदासने 1846 में तैरह वर्ष की न्यूनतम आयु में ‘वाल्मीकि रामायण’ के कई हिस्सों का भाषागत छन्द बद्ध अनुवाद किया था।

'भारत - दुर्दशा' के आखिरी अंक में 'भारतभाग्य' क्या करता है ?

  1. भारत को जगाता है।
  2. भारत के हतभाग्य पर क्रोधित होता है I 
  3. घायल भारत को छोड़ कर चला जाता है I 
  4. भारत के सीने में कटार से आघात करता है I 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : भारत को जगाता है।

प्रसाद पूर्व नाटक Question 10 Detailed Solution

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'भारत-दुर्दशा' के आखिरी अंक में 'भारत भाग्य' भारत को जगाता है।

Confusion Points

  • भारत भाग्य नामक पात्र, स्वयं को कटार मार लेता है ताकी भारत जाग सके।
  • अत: अंतिम अंक में भारत भाग्य, भारत को जगाने का काम करता है।  

Key Points

  • 'भारत-दुर्दशा' नाटक 1880ई. में भारतेंदु द्वारा लिखा गया।
  • इस नाटक में 6 अंक हैं।
  • विषय-यह नाटक भारत की तत्कालीन राजनीतिक व सामाजिक दुर्दशा का प्रतीकात्मक चित्रण प्रस्तुत करता है।
  • पात्र-भारत दुर्दैव,भारत भाग्य,सत्यानाश,रोग,आलस्य,मदिरा,अंधकार आदि।

Additional Information

  • पंक्ति-'रोअहु सब मिलिकै आवहु भारत भाई'।
  • मौलिक नाटक-वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति(1873),विषस्य विषमौषधम(1876),प्रेम जोगिनी(1875),नीलदेवी(1881),अंधेर नगरी(1881),सती प्रताप(1883)आदि।
  • अनुदित नाटक- रत्नावली(1868),विद्यासुन्दर(1868),पाखंड विडम्बना(1872),धनंजय विजय(1873),मुद्रा राक्षस(1878),दुर्लभ बंधु(1880),भारत जननी(1877)आदि।

'भारतेन्‍दु नाटक मण्डली' द्वारा अभिनीत पहला नाटक था

  1. सत्य हरिश्‍चन्‍द्र
  2. विद्यासुन्‍दर
  3. भारत दुर्दशा
  4. सतीप्रताप

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : सत्य हरिश्‍चन्‍द्र

प्रसाद पूर्व नाटक Question 11 Detailed Solution

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  • "भारतेंदु नाटक मंडली' द्वारा अभिनीत पहला नाटक सत्य हरिश्चंद्र है ।
  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने लिखा है - "विलक्षण बात यह है कि आधुनिक गद्य- साहित्य की परंपरा का प्रवर्तन नाटकों से हुआ "।

Key Points

  •  सही अर्थों में भारतेंदु को ही नाट्य - विधा का प्रवर्तक माना जाता है।
  • भारतेंदु का पहला नाटक 'विद्यासुन्दर' माना जाता है।

Important Points

  •  भारतेंदु  हरिश्चंद्र ने काशी में नेशनल थिएटर की स्थापना की।

भारतेन्दु द्वारा अनूदित नाटक कौन-सा है?

  1. सत्य हरिश्चंद्र
  2. नीलदेवी
  3. अंधेर नगरी
  4. प्रेमयोगिनी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : सत्य हरिश्चंद्र

प्रसाद पूर्व नाटक Question 12 Detailed Solution

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  • भारतेन्दु द्वारा अनूदित नाटक:- सत्य हरिश्चंद्र

  

  • भारतेंदु के समस्त मौलिक एवं अनूदित नाटकों की संख्या - 17
  • भारतेंदु को ही हिंदी साहित्य में नाट्य विधा का प्रवर्तक माना जाता हैI
  • अंधेर नगरी, भारत - जननी, नील देवी, भारत दुर्दशा की रचना देश वस्त्सलता के उद्देश्य से की।

Additional Information

  • भारतेंदु के मौलिक नाटक
  1. विषस्य विषमौषधम - 1876 (भाण -एक पात्रीय नाटक)
  2. प्रेम जोगिनी - 1875 (4 अंकों की नाटिका)
  3. चंद्रावली - 1876 (नाटिक)
  4. भारत दुर्दशा - 1880 (नाट्य रूपक)
  5. नीलदेवी - 1881 (गीतिरूपक)
  6. अंधेर नगरी - 1881 (प्रहसन)
  7. सती प्रताप (यह नाटक अधूरा रहा जिसे राधा कृष्णदास ने पूरा किया) - 1883 (पौराणिक नाटक)

“दुःखिनी बाला' नाटक के लेखक कौन हैं?

  1. श्रीधर पाठक
  2. किशोरीलाल गोस्वामी
  3. हरिवंश राय बच्चन
  4. राधाकृष्ण दास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : राधाकृष्ण दास

प्रसाद पूर्व नाटक Question 13 Detailed Solution

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“दुःखिनी बाला' नाटक के लेखक :- राधाकृष्ण दास है।

  • राधा कृष्ण दास के नाटक:-
    • दुःखिनी बाला (1880) , पद्मावती  तथा महाराणा प्रताप  

Key Points

  • राधा कृष्ण दास नागरी प्रचारिणी पत्रिका संपादक हैं।
  • नागरी प्रचारिणी सभा के प्रथम अध्यक्ष भी थे।
Important Points
  • नागरीप्रचारिणी पत्रिका का प्रकाशन नागरीप्रचारिणी सभा द्वारा 1896 में आरम्भ हुआ था। 
  • उस समय यह हिन्दी की त्रैमासिक पत्रिका थी। 
  • 1907 ई. में यह मासिक पत्रिका में परिवर्तित कर दी गई
  • श्यामसुन्दर दास, महामहोपाध्याय सुधाकर द्विवेदी, कालीदास और राधाकृष्ण दास इसके सम्पादक थे। 
  • नागरी प्रचारिणी पत्रिका हिंदी की सबसे प्राचीन शोध पत्रिका है।

'अंधेर नगरी' नाटक का अंतिम दृश्य है

  1. आरण्य
  2. जंगल
  3. बाज़ार
  4. श्मशान

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : श्मशान

प्रसाद पूर्व नाटक Question 14 Detailed Solution

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  • सही उत्तर विकल्प 4 है।
  • अंधेर नगरी नाटक का अंतिम दृश्य श्मशान का है।
Key Points
  • अंधेर नगरी - भारतेंदु हरिश्चंद्र
  • वर्ष - 1881
  • यह एक प्रहसन है।
  • अंक - 6
  • राजा की मूर्खता, अन्याय पर व्यंग्य

Important Points

  • अंक - स्थान
  1. प्रथम - बाह्य
  2. द्वितीय - बाजार
  3. तृतीय - जंगल
  4. चतुर्थ - राजसभा
  5. पंचम - आरण्य
  6. षष्ठ - श्मशान

 

  • पात्र - महंत, गोबर्धन दास, राजा, मंत्री आदि

Additional Information

  • भारतेंदु के अन्य प्रमुख नाटक -
  1. वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति -1873
  2. भारत दुर्दशा - 1880
  3. नीलदेवी - 1881
  4. सती प्रताप - 1883

'नीलदेवी' के रचनाकार कौन है?

  1. प्रतापनारायण मिश्र
  2. श्रीनिवास दास
  3. श्रीधर पाठक
  4. भारतेंदु हरिश्चंद्र

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भारतेंदु हरिश्चंद्र

प्रसाद पूर्व नाटक Question 15 Detailed Solution

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नीलदेवी - 1881 (गीतिरूपक) --> भारतेंदु हरिश्चन्द्र

Key Points
  • वैदिक हिंसा हिंसा न भवति - 1873
  • यह प्रहसन सामाजिक धार्मिक विसंगति पर व्यंग्य हैI
  • अंधेर नगरी - 1881
  • इस प्रहसन में राजा की मूर्खता, अन्याय, और अंधेरगर्दी पर व्यंग्य है।
  • राजनीतिक व्यंग्य का अच्छा उदाहरणI

Important Points

  • भारतेंदु के समस्त मौलिक एवं अनूदित नाटकों की संख्या - 17
  • भारतेंदु को ही हिंदी साहित्य में नाट्य विधा का प्रवर्तक माना जाता हैI
  • अंधेर नगरी, भारत - जननी, नील देवी, भारत दुर्दशा की रचना देश वस्त्सलता के उद्देश्य से की।

Additional Information

  • भारतेंदु के मौलिक नाटक
  1. विषस्य विषमौषधम - 1876 (भाण -एक पात्रीय नाटक)
  2. प्रेम जोगिनी - 1875 (4 अंकों की नाटिका)
  3. चंद्रावली - 1876 (नाटिक)
  4. भारत दुर्दशा - 1880 (नाट्य रूपक)
  5. नीलदेवी - 1881 (गीतिरूपक)
  6. अंधेर नगरी - 1881 (प्रहसन)
  7. सती प्रताप (यह नाटक अधूरा रहा जिसे राधा कृष्णदास ने पूरा किया) - 1883 (पौराणिक नाटक)
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