छंद MCQ Quiz in मल्याळम - Objective Question with Answer for छंद - സൗജന്യ PDF ഡൗൺലോഡ് ചെയ്യുക

Last updated on Mar 27, 2025

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छंद Question 1:

"खोजते हैं साँवरे को, हर गली हर गाँव में I आ मिलो अब श्याम प्यारे, आमली की छाँव में II

आपकी मन मोहनी छवि, बाँसुरी की तान जो I गोप ग्वालों के शरीरों, में बसी ज्यों जान वो II" में कौन-सा छंद है?

  1. छप्पय
  2. गीतिका
  3. बरवै
  4. चौपाई

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : गीतिका

छंद Question 1 Detailed Solution

सही उत्तर है-  "गीतिका"। अन्य विकल्प असंगत हैं। 

  • पंक्ति- 
    • "खोजते हैं साँवरे को, हर गली हर गाँव में I आ मिलो अब श्याम प्यारे, आमली की छाँव में II
    • आपकी मन मोहनी छवि, बाँसुरी की तान जो I गोप ग्वालों के शरीरों, में बसी ज्यों जान वो II"
  • इस पंक्ति में गीतिका छंद है। 

Key Pointsगीतिका छंद- 

  • परिभाषा- 
    • गीतिका चार पदों का एक सम-मात्रिक छंद है। 
    • प्रति पंक्ति 26 मात्राएँ होती हैं तथा प्रत्येक पद 14-12 अथवा 12-14 मात्राओं की यति के अनुसार होते हैं। 
    • पदांत में लघु-गुरु होना अनिवार्य है।
    • इसके हर पद की तीसरी, दसवीं, सतरहवीं और चौबीसवीं मात्राएँ लघु हों तो छन्द की गेयता सर्वाधिक सरस होती है। 
  • उदाहरण- 
    • हे प्रभो आनन्ददाता ज्ञान हमको दीजिये।
    • शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये।
    • लीजिए हमको शरण में, हम सदाचारी बने।
    • ब्रह्मचारी, धर्मरक्षक वीर व्रतधारी बनें।

Important Points​छप्पय छन्द-

  • परिभाषा- 
    • यह एक विषम मात्रिक छंद है।
    • इसमें 6 चरण होते हैं।
    • यह छंद रोला और उल्लाला छंद का मिश्रण होता है।
    • इसके प्रथम चार चरण रोला और दो चरण उल्लाला के होते हैं।
  • उदाहरण-
    • जहाँ स्वतंत्र विचार, न बदलें मन में मुख में।
    • जहाँ न बाधक बनें, सबले निबलों के सुख में।
    • सबको जहाँ समान, निजोन्नति का अवसर हो।
    • शांतिदायिनी निशा हर्षसूचक वासर हो।
    • सब भाँति सुशासित हों जहाँ, समता के सुखकर नियम।
    • बस उसी स्वशासित देश में, जागें हे जगदीश हम।

चौपाई छन्द

  • परिभाषा-
    • चौपाई सम मात्रिक छन्द है।
    • चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
  • उदाहरण- ​
    • बदहुँ गुरुपद पदुम परागा
    • सुरुचि सुबास सरस अनुरागा 
    • अमिय मूरियम चूरन चारू
    • समन सकल भवरुज परिवारू।

बरवै छन्द-

  • परिभाषा-
    • बरवै छंद एक ‘अर्द्धसममात्रिक छंद’ होता है। इसमें चार चरण होते है।
    • इसके प्रथम चरण तथा तृतीय चरण में 12-12 मात्राएँ और द्वितीय चरण तथा चतुर्थ चरण में 7-7 मात्राएँ होती है।
  • उदाहरण- 
    • वाम अंग शिव शोभित,
    • शिवा अदार।
    • सरद सुवारिद में जनु,
    • तड़ित विहार।।

छंद Question 2:

सगण में कितने लघु और गुरु वर्ण होते हैं?

  1. IIS
  2. III
  3. ISS
  4. ISI
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : IIS

छंद Question 2 Detailed Solution

सगण में लघु और गुरु वर्ण होते हैंIIS

Key Points

  • संस्कृत और हिंदी छंदशास्त्र में वर्णों की मात्राओं के आधार पर छंद की विभिन्न गणों या समूहों का निर्धारण किया जाता है।
    • "सगण" भी इन्हीं गणों में से एक है।
  • सगण में दो लघु (II) और एक गुरु (S) वर्ण होता है,
  • छंदों में वर्णों की मात्रा को गणों में बांटा गया है
    • गणों के नाम ये हैं- मगण, यगण, रगण, सगण, तगण, जगण, भगण, नगण

Important Pointsगणों की सूची और याद करने का नियम-

क्रम संख्या गण का नाम  सूत्रीय नाम संरचना (मात्राएँ)
यगण (य) यमाता  1-2-2 (ISS)
मगण (मा)  मातारा  2-2-2 (SSS)
तगण (ता) ताराज  2-2-1 (SSI)
रगण (रा)  राजभा 2-1-2 (SIS)
जगण (ज)  जभान  1-2-1 (ISI)
भगण (भा)  भानस 2-1-1 (SII)
नगण (न) नसल 1-1-1 (III)
सगण (स) सलगा  1-1-2 (IIS)

Additional Information

  • गणों को आसानी से याद करने के लिए एक सूत्र बनाया गया है - यमाताराजभानसलगा
  • इस सूत्र के पहले आठ वर्णों में आठ गणों के नाम हैं
  • सूत्र के आखिरी दो वर्ण 'ल' और 'ग' लघु और गुरु मात्राओं के सूचक हैं
  • गुरु का चिन्ह S अथवा लघु चिन्ह (1) अथवा (-) है। गुरु को 'ग' तथा लघु का 'ल' कहा जाता है। 
  • उदाहरण -
    • स्मरा (स्म) = लघु
    • सम () = लघु
    • जाति (जा) = गुरु

छंद Question 3:

चौपाई के तीसरे चरण में कितनी मात्राएँ होती हैं?

  1. 14
  2. 15
  3. 16
  4. 11

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : 16

छंद Question 3 Detailed Solution

चौपाई के तीसरे चरण में 16 मात्राएँ होती हैं।

Key Pointsचौपाई:-

  • इस चौपाई में चार चरण होते हैं,
  • प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं।
  • चरण के अन्त में जगण (I I S) अथवा तगण (S I I) नहीं होना चाहिए,
  • अन्तिम दो वर्ण गुरु-लघु (S I) भी नहीं होने चाहिए।

उदाहरण -

  • बिनु   पग  चले   सुने   बिनु   काना।
    I I     I I    I S    I S     I I    S S  = 16 मात्राएँ
  • कर बिनु कर्म करे विधि नाना ।।
  • तनु बिनु परस नयन बिनु देखा।
  • गहे घ्राण बिनु वास असेखा ॥

Important Pointsदोहा -

  • यह अर्धसममात्रिक छंद होता है। ये सोरठा छंद के विपरीत होता है।
  • इसमें पहले और तीसरे चरण में 13-13 तथा दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
  • इसमें चरण के अंत में लघु (।) होना जरूरी होता है। 

रोला-

  • यह एक सम मात्रिक छंद है। इसमें 24 मात्राएँ होती हैं,
  • अर्थात विषम चरणों में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों में 13-13 मात्राएँ। 
  • 11वीं व 13 वीं मात्राओं पर यति अर्थात विराम होता है।

हरिगीतिका-

  • हरिगीतिका चार चरणों वाला एक सम मात्रिक छंद है।
  • इसके प्रत्येक चरण में 16 व 12 के विराम से 28 मात्रायें होती हैं।
  • अंत में लघु गुरु आना अनिवार्य है। 

उल्लाला-

  • यह एक मात्रिक छंद होता हैं।
  • इसके प्रत्येक चरण में 15 व 13 के क्रम से 28 मात्राएं होती हैं।
  • इसके पहले और तीसरे चरणों में 15-15 तथा दूसरे और चौथे चरणों में 13-13 मात्राएँ होती हैं।

Additional Information

प्रकार परिभाषा उदाहरण
छंद वाक्य में प्रयुक्त अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्यरचना ''छन्द'' कहलाती है। रात-दिवस, पूनम-अमा, सुख-दुःख, छाया-धूप।
यह जीवन बहुरूपिया, बदले कितने रूप॥ (दोहा)

छंद Question 4:

छंद में नियमित वर्ण या मात्रा पर साँस लेने के लिए रुकना पड़ता है, इस रुकने के स्थान को क्या कहते हैं?

  1. यति
  2. विषम
  3. तुक
  4. मुक्त

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : यति

छंद Question 4 Detailed Solution

छंद में नियमित वर्ण पर साँस लेने के लिए रुकना पड़ता है। इसे "यति" कहा जाता है।Key Points 

प्रकार  परिभाषा 
यति छंद में नियमित वर्ण पर साँस लेने के लिए रुकना पड़ता है। यति कहलाता है।
पद या चरण छंद के प्रत्‍येक पंक्ति को चरण या पद कहते हैं।
गति छंद के पढ़ने के प्रवाह या लय को गति कहते हैं। 
तुक छंद के चरणों के अंत में आने वाले समान वर्णों को तुक कहते हैं।

Additional Information -

छंद- अक्षर, अक्षरों, की संख्‍या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति, गति आदि से सम्‍बन्धित विशिष्‍ट नियमों से नियोजित पद्य रचना छंद कहलाती है। 

छंद के मुख्‍यत: तीन भेद है। 

छंद  परिभाषा
मात्रिक जिन छंदों की योजना मात्राओं के आधार पर की जाती है, उसे मात्रिक छंद कहते हैं। जैसे- चौपाई, रोला, दोहा, सोरठा आदि। 
वर्णिक वर्णों की गणना पर आधारित छंद वर्णिक छंद कहलाते हैं। जैसे- शालिनी, इन्‍द्रवज्रा, उपजाति, वंशस्‍थ आदि।   
मुक्‍तक जिस छंद में मात्राओं तथा वर्णों की निश्चित संख्‍या को बन्‍धन न मानकर भावाभिव्‍यक्ति को ही प्रमुखता दी जाय, उसे मुक्‍तक छंद कहते हैं।

छंद Question 5:

'वसंततिलका' छंद में कितने वर्ण होते हैं?

  1. 46
  2. 54
  3. 50
  4. 14
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : 14

छंद Question 5 Detailed Solution

'वसंततिलका' छंद में 14 वर्ण होते हैं।

  • इसका दूसरा नाम सिंहोन्नता है, यह शक्वरी जाति का वर्णिक सम छंद होता है।
  • इसके प्रत्येक चरण में 14 वर्ण होते हैं, जो क्रमशः तगण, भगण, जगण, जगण व गुरु - गुरु के रूप में लिखे जाते है।
  •  इसमें यति प्रत्येक चरण के अन्त में होती है।
  • उदाहरण-
    • सौभाग्य है व्यथित-गोकुल के जनों का।
      जो पाद-पंकज यहाँ भवदीय आया।
      है भाग्य की कुटिलता वचनोपयोगी।
      होता यथोचित नहीं यदि कार्य्यकारी॥

छंद Question 6:

छन्द के कुल कितने अंग हैं?

  1. नौ
  2. दस
  3. गयारह
  4. तेरह
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 5 : उपर्युक्त में से कोई नहीं

छंद Question 6 Detailed Solution

सही उत्तर है - उपर्युक्त में से कोई नहीं

Key Points

  • छंद के विविध प्रकार के सात अंग होते हैं जो इसे व्यवस्थित और संरचित करते हैं।

यह अंग हैं-

  • वृत्त -
    • छंद के कुल मिला कर कितने वर्ण या मात्रा हैं, इसे निर्धारित करता है। इसमें छंद की लंबाई तय होती है।
  • मात्रा -
    • लघु (।) और दीर्घ (ऽ) के अनुपात को समझना इसमें आता है।
  • गण -
    • छंद के अंतर्गत एक समूह होता है जिसमें तीन वर्ण होते हैं, जैसे: यमाता रा जभान सलगा आदि।
  • यति -
    • छंद में रुकने के स्थान को यति कहते हैं। यह सही स्थान पर थोड़ा ठहराव देता है।
  • तुक -
    • पाठ के अंत में मेल खाने वाले वर्णों का क्रम, जैसे कविता में तुकांत पंक्तियाँ।
  • क्रम-
    • वर्ण या मात्राओं की स्थायी और नियमित व्यवस्था को छंद क्रमानुसार होना चाहिए।
  • लय- 
    • छंद का ताल (लय) संतुलित और सुसंगठित होना आवश्यक है।

Additional Information 

प्रकार परिभाषा उदाहरण
छंद वाक्य में प्रयुक्त अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्य रचना ''छन्द'' कहलाती है।

 जो सुमिरत सिधि होई, गननायक करिवर बदन।
करहु अनुग्रह सोई, बुद्धि राशि शुभ-गुन सदन॥

(सोरठा)

छंद Question 7:

सगण में कितने लघु और गुरु वर्ण होते हैं?

  1. IIS
  2. III
  3. ISS
  4. ISI

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : IIS

छंद Question 7 Detailed Solution

सगण में लघु और गुरु वर्ण होते हैंIIS

Key Points

  • संस्कृत और हिंदी छंदशास्त्र में वर्णों की मात्राओं के आधार पर छंद की विभिन्न गणों या समूहों का निर्धारण किया जाता है।
    • "सगण" भी इन्हीं गणों में से एक है।
  • सगण में दो लघु (II) और एक गुरु (S) वर्ण होता है,
  • छंदों में वर्णों की मात्रा को गणों में बांटा गया है
    • गणों के नाम ये हैं- मगण, यगण, रगण, सगण, तगण, जगण, भगण, नगण

Important Pointsगणों की सूची और याद करने का नियम-

क्रम संख्या गण का नाम  सूत्रीय नाम संरचना (मात्राएँ)
यगण (य) यमाता  1-2-2 (ISS)
मगण (मा)  मातारा  2-2-2 (SSS)
तगण (ता) ताराज  2-2-1 (SSI)
रगण (रा)  राजभा 2-1-2 (SIS)
जगण (ज)  जभान  1-2-1 (ISI)
भगण (भा)  भानस 2-1-1 (SII)
नगण (न) नसल 1-1-1 (III)
सगण (स) सलगा  1-1-2 (IIS)

Additional Information

  • गणों को आसानी से याद करने के लिए एक सूत्र बनाया गया है - यमाताराजभानसलगा
  • इस सूत्र के पहले आठ वर्णों में आठ गणों के नाम हैं
  • सूत्र के आखिरी दो वर्ण 'ल' और 'ग' लघु और गुरु मात्राओं के सूचक हैं
  • गुरु का चिन्ह S अथवा लघु चिन्ह (1) अथवा (-) है। गुरु को 'ग' तथा लघु का 'ल' कहा जाता है। 
  • उदाहरण -
    • स्मरा (स्म) = लघु
    • सम () = लघु
    • जाति (जा) = गुरु

छंद Question 8:

'सोरठा छंद' की विषम पंक्तियों में कितनी मात्राएँ होती हैं ? 

  1. 11
  2. 22
  3. 12
  4. 13

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : 11

छंद Question 8 Detailed Solution

'सोरठा छंद' की विषम पंक्तियों में मात्राएँ होती हैं - 11

Key Pointsसोरठा छंद -

  • यह अर्धसम मात्रिक छंद है । यह दोहे का उल्टा होता है।
  • इसके प्रथम और तृतीय चरण में 11 -11 मात्राएँ एवं द्वितीय और चतुर्थ चरण में 13 -13 मात्राएँ होती हैं ।  
  • इसमें तुक प्रथम और तृतीय चरण के अंत में अर्थात मध्य में होता है। इसके सम चरणों में जगण नहीं होता ।
  • जैसे -
    • कपि करि हृदय विचार, दीन्हि मुद्रिका डारि तब।
    • ।।     ।।   ।।।    ।ऽ।      ऽ।      ऽ।ऽ     ऽ।  ।।
    • जनु असोक अंगार, लीन्हि हरषि उठिकर गहउ।।
    • ।।    ।ऽ।      ऽऽ।     ऽ।     ।।।    ।।।।     ।।।

Additional Informationदोहा छंद-

  • यह अर्धसममात्रिक छंद होता है। ये सोरठा छंद के विपरीत होता है।
  • इसमें पहले और तीसरे चरण में 13-13 तथा दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
  • इसमें चरण के अंत में लघु (।) होना जरूरी होता है। 
  • जैसे:- 
    • राम  नाम मणि  दीप धरि, जीह देहरी द्वार । 
    • S I   S I   I  I   S I   I I   S I  S I S  S I  
    • तुलसी भीतर बाहिरहु , जो चाहसि उजियार ।।    

छंद Question 9:

किस छंद के सभी चरणों में वर्णों की संख्या नियत रहती है और कौन लघु होगा और कौन गुरु, यह निश्चित रहता है?

  1. मात्रिक छंद 
  2. मुक्त छंद
  3. वर्णिक छंद
  4. अर्धमत्रिक छंद

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वर्णिक छंद

छंद Question 9 Detailed Solution

वर्णिक छंद के सभी चरणों में वर्णों की संख्या नियत रहती है और लघु और गुरु, यह निश्चित रहता है । 

Key Points 

  •  वर्णिक वृत्त छंद में वर्णों की गणना की जाती है।
  • इसमें चार चरण होते हैं।
  • प्रत्येक चरण में आने वाले लघु-गुरु का क्रम सुनिश्चित होता है।

Additional Information

छंद

परिभाषा

उदाहरण

मात्रिक छंद

जिन छंदों में मात्राओं की संख्या निश्चित होती है उन्हें मात्रिक छंद कहा जाता है।

अहीर, तोमर, मानव; अरिल्ल, पद्धरि/ पद्धटिका, चौपाई; पीयूषवर्ष, सुमेरु, राधिका, रोला, दिक्पाल, रूपमाला, गीतिका, सरसी, सार, हरिगीतिका, तांटक, वीर या आल्हा।

वर्णिक छंद

वर्णों की गणना पर आधारित छंद वर्णिक छंद कहलाते हैं।

प्रमाणिका; स्वागता, भुजंगी, शालिनी, इन्द्रवज्रा, दोधक; वंशस्थ, भुजंगप्रयाग, द्रुतविलम्बित, तोटक; वसंततिलका; मालिनी; पंचचामर, चंचला; मन्दाक्रान्ता, शिखरिणी, शार्दूल विक्रीडित, स्त्रग्धरा, सवैया, घनाक्षरी, रूपघनाक्षरी, देवघनाक्षरी, कवित्त / मनहरण।

मुक्त छंद

भक्तिकाल तक मुक्त छंद का अस्तित्व नहीं था, यह आधुनिक युग की देन है। इसके प्रणेता सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' माने जाते हैं। मुक्त छंद नियमबद्ध नहीं होते, केवल स्वछंद गति और भावपूर्ण यति ही मुक्त छंद की विशेषता हैं।

विजन-वन-वल्लरी परसोती थी सुहाग-भरी--स्नेह-स्वप्न-मग्न--अमल-कोमल-तनु तरुणी--जुही की कली,दृग बन्द किये, शिथिल--पत्रांक में,वासन्ती निशा थी;

अर्द्धमात्रिक  छंद जिसमें पहला और तीसरा चरण एक समान होता है तथा दूसरा और चौथा चरण उनसे अलग होते हैं लेकिन आपस में एक जैसे होते हैं उसे अर्धमात्रिक छंद कहते हैं। 

 

रात-दिवस, पूनम-अमा, सुख-दुःख, छाया-धूप।   यह जीवन बहुरूपिया, बदले कितने रूप। 

छंद Question 10:

मात्रिक सम छन्द नहीं है-

  1. चौपाई
  2. गीतिका
  3. हरिगीतिका
  4. उल्लाला
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : उल्लाला

छंद Question 10 Detailed Solution

मात्रिक सम छन्द नहीं है - उल्लाला

Key Pointsउल्लाला-

  • यह एक मात्रिक छंद होता हैं।
  • इसके प्रत्येक चरण में 15 व 13 के क्रम से 28 मात्राएं होती हैं।
  • इसके पहले और तीसरे चरणों में 15-15 तथा दूसरे और चौथे चरणों में 13-13 मात्राएँ होती हैं।

उदाहरण-

  • हे शरण दायिनी देवि तू, करती सबका त्राण है।
  • हे मातृ भूमि संतान हम, तू जननी तू प्राण है।।

Important Points

विषय छंद
छंद के अंग चरण/पद, वर्ण और मात्राएँ, गति, यति, तुक, गण,
छंद के प्रकार मात्रिक छंद, वर्णिक छंद, मुक्त या स्वच्छन्द छंद।
छंद परिभाषा  उदाहरण 
वर्णिक जिन छंद की रचना वर्णों की गणना के आधार पर होती है, उसे वर्णिक छंद या 'वर्ण-वृत' कहते हैं।  घनाक्षरी, रोला, छप्पय, कुंडलिया, इंद्रवज्रा छंद, उपजाति छंद, मालिनी छंद आदि हैं।
मात्रिक  मात्रिक छन्दों में केवल मात्राओं की व्यवस्था होती है  किंतु लघु और गुरु का क्रम निर्धारित नहीं होता हैं।  इनमें चौपाई, रोला, दोहा, सोरठा आदि मुख्य हैं।
मुक्त काव्य में प्रयोग होने वाला ऐसा छन्द जिसमे वर्णो तथा मात्राओं का कोई बंधन नहीं होता है, ऐसे छन्द को मुक्त छन्द कहते हैं। हिंदी व्याकरण के अनुसार जिन छन्दों को स्वतंत्र रूप से लिखा जाता है।  आज नदी बिलकुल उदास थी।
बादल का वस्त्र पड़ा था।
 

Additional Informationचौपाई:-

  • इस चौपाई में चार चरण होते हैं,
  • प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं।
  • चरण के अन्त में जगण (I I S) अथवा तगण (S I I) नहीं होना चाहिए,
  • अन्तिम दो वर्ण गुरु-लघु (S I) भी नहीं होने चाहिए।

उदाहरण -

  • बिनु पग चले सुने बिनु काना।
  • कर बिनु कर्म करे विधि नाना ।।
  • तनु बिनु परस नयन बिनु देखा।
  • गहे घ्राण बिनु वास असेखा ॥

हरिगीतिका-

  • हरिगीतिका चार चरणों वाला एक सम मात्रिक छंद है।
  • इसके प्रत्येक चरण में 16 व 12 के विराम से 28 मात्रायें होती हैं।
  • अंत में लघु गुरु आना अनिवार्य है।

उदाहरण-

  • श्री राम चंद्र कृपालु भजमन, हरण भव भय दारुणम् ।
  • नवकंज लोचन कंज मुख कर, कंज पद कन्जारुणम ॥
  • कंदर्प अगणित अमित छवि नव, नील नीरज सुन्दरम ।
  • पट्पीत मानहु तडित रुचि शुचि, नौमि जनक सुतावरम ॥

गीतिका-

  • गीतिका एक स्वतंत्र छन्द प्रकार है
  • गीतिका छंद में चार चरण होते हैं,
  • तथा इसके प्रत्येक चरण में 14 तथा 12 के क्रम में कुल 26 मात्राएँ पाई जाती हैं
  • तथा इसके चरणों के अंत मे गुरु स्वर और लघु स्वर होते हैं।
  • इसमें मात्रा, पद और चरणों की संख्या निर्बन्धित हो सकती है।
  • इसमें एक निश्चित मात्रिक पैटर्न नहीं होता है, इसलिए यह मात्रिक सम नहीं होता है।

उदाहरण-

  • खोजते हैं साँवरे को,हर गली हर गाँव में।
  • आ मिलो अब श्याम प्यारे,आमली की छाँव में।।
  • आपकी मन मोहनी छवि,बाँसुरी की तान जो।
  • गोप ग्वालों के शरीरोंं,में बसी ज्यों जान वो।।
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