सिद्ध काव्य और कवि MCQ Quiz in தமிழ் - Objective Question with Answer for सिद्ध काव्य और कवि - இலவச PDF ஐப் பதிவிறக்கவும்
Last updated on Apr 13, 2025
Latest सिद्ध काव्य और कवि MCQ Objective Questions
Top सिद्ध काव्य और कवि MCQ Objective Questions
सिद्ध काव्य और कवि Question 1:
'स्वयंभू का रामायण' को हिन्दी का सबसे पुराना और सबसे उत्तम काव्य किसने माना है?
Answer (Detailed Solution Below)
सिद्ध काव्य और कवि Question 1 Detailed Solution
- जन्म - 783 ई.
- उपाधि - छन्दस चूड़ामणि, कविराज चक्रवर्ती
- स्वयंभू ने स्वयं को कुकवि कहा है।
- इन्हें अपभ्रशं का वाल्मीकि भी कहा जाता है।
- पउम चरिउ -
- यह राम कथा से संबंधित ग्रंथ है।
- इसे अपभ्रंश की रामायण कहा जाता है अपभ्रंश में रचित राम कथा से संबंधित प्रथम ग्रंथ।
- इस ग्रंथ में 5 कांड तथा 83 संधियों का उल्लेख है।
- यह अपभ्रंश में रचित प्रथम कड़वक वध रचना है।
- इसमें 8- 8 पंक्तियों के बाद दोहा रखा गया।
- रिटठेणेमि चरिउ
- स्वयंभू छंद
- डॉ रामकुमार वर्मा ने इन्हे हिंदी का प्रथम कवि माना है।
- "स्वयंभू हिंदी के सर्वोत्तम कवि है" - यह कथन राहुल सांकृत्यायन का है।
- डॉ. भयाणी ने स्वयंभू को अपभ्रंश का कालिदास कहां है।
सिद्ध काव्य और कवि Question 2:
'चार चने' कविता का विषय क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
सिद्ध काव्य और कवि Question 2 Detailed Solution
'चार चने' कविता का विषय 'इसमें कवि ने बताया है कि यदि उसके पास पैसे होते तो वह क्या-क्या करता।'
- ‘चार चने’ कविता के रचयिता निरंकारदेव सेवक हैं।
Key Pointsचार चने-
- रचनाकार- निरंकार देव सेवक
- विधा- कविता
- मुख्य पात्र- पैसा।
- विषय-
- इसमें कवि ने बताया है कि यदि उसके पास पैसे होते तो वह क्या-क्या करता।
Important Pointsनिरंकारदेव सेवक-
- जन्म- 1919 ई.
- हिन्दी बाल साहित्य के वरिष्ठ कवियों में निरंकार देव सेवक प्रमुख हैं।
- कविता-
- एक बुढ़िया
- चिकमंगलूर
- लाल टमाटर
- कितना प्यार
- पैसा पास होता
- चंदा मामा दूर के
सिद्ध काव्य और कवि Question 3:
"पउमचरिउ" में किसका वर्णन है?
Answer (Detailed Solution Below)
सिद्ध काव्य और कवि Question 3 Detailed Solution
'पउमचरिउ' मानव मूल्यों की सक्रिय चेतना का एक ऐसा ललित काव्य है जिसमें रामकथा का परम्परागत वर्णन होने पर भी जिसके शैली-शिल्प, चित्रांकन, लालित्य और कथावस्तु में अनेक विशेषताएँ हैं।
- इसके रचनाकार: स्वयं भू
Key Points
"पउमचरिउ", "स्वयंभू" की रचना है।
Important Points
- पउमचरिउ को पूरा स्वयंभू के पुत्र त्रिभुवन ने किया थाl
- पउमचरिउ, रामकथा पर आधारित अपभ्रंश का एक महाकाव्य है।
- बारह हजार पद हैं।
- मूलरूप से इस रामायण में कुल 92 सर्ग थे, जिनमें स्वयंभू के पुत्र त्रिभुवन ने अपनी ओर से 16 सर्ग और जोड़े।
- गोस्वामी तुलसीदास के 'रामचरित मानस' पर महाकवि स्वयंभू रचित 'पउम चरिउ' का प्रभाव स्पष्ट दिखता है।
रचना |
रचनाकार |
शताब्दी |
रिट्ठमेणी चरिउ |
स्वयंभू |
आठवीं शताब्दी |
नागकुमारचरिउ |
स्वयंभू |
आठवीं शताब्दी |
सिद्ध काव्य और कवि Question 4:
निम्नलिखित में से कौन-सा नाम सिद्ध - परम्परा की योगिनी का नहीं बल्कि योगी का है
Answer (Detailed Solution Below)
सिद्ध काव्य और कवि Question 4 Detailed Solution
- पुतलिपा सिद्ध - परंपरा की योगिनी का नहीं बल्कि योगी का है।
- सिद्धों की संख्या 84 है , इनका केंद्र श्रीपर्वत था।
- सिद्धों ने सन्धा भाषा - शैली का प्रयोग किया है।
Key Points
- सिद्धों का प्रभाव नाथों से होता हुआ भक्तिकालीन निर्गुण संत कवियों पर पड़ा और उन्होंने उलटबासियों लिखीं।
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने चौरासी सिद्धों के नामों का वर्णन किया।
सिद्ध काव्य और कवि Question 5:
'घोर अँधारे चंदमणि जिमि उज्जोअ करेइ |
परम महासुह एखु कणे दुरिअ अशेष हरेइ ||'
उपर्युक्त दोहे में 'महासुह' का संबंध किस-किससे है?
(a)महासुख 'महासुह' का तत्सम रूप है |
(b) महासुख वज्रयानियों का पारिभाषिक शब्द है |
(c) प्रज्ञा और योग से महासुख की दशा संभव है |
(d) महासुख निर्वाण-प्राप्ति में बाधक है |
Answer (Detailed Solution Below)
सिद्ध काव्य और कवि Question 5 Detailed Solution
'महासुह' का संबंध-3) (a), (b) और (c) से है।
(a)महासुख 'महासुह' का तत्सम रूप है।
(b) महासुख वज्रयानियों का पारिभाषिक शब्द है।
(c) प्रज्ञा और योग से महासुख की दशा संभव है।
Important Points
- वज्रयानशाखा में जो योगी 'सिद्ध' के नाम से प्रसिद्ध हुए वे अपने मत का संस्कार जनता पर भी डालना चाहते थे।
- इससे वे संस्कृत रचनाओं के अतिरिक्त अपनी बानी अपभ्रंशमिश्रित देशभाषा या काव्यभाषा में भी बराबर सुनाते रहे।
- उपर्युक्त पंक्तियाँ इसी का उदाहरण है।
- वज्रयान संस्कृत शब्द,अर्थात् हीरा या तड़ित का वाहन है,जो तांत्रिक बौद्ध धर्म भी कहलाता है।
सिद्ध काव्य और कवि Question 6:
रचनाकाल के अनुसार निम्नलिखित कवियों का सही अनुक्रम है :
Answer (Detailed Solution Below)
सिद्ध काव्य और कवि Question 6 Detailed Solution
रचनाकाल के अनुसार कवियों का सही अनुक्रम-4) सरहपा,लुइपा,पुष्पदंत,अददहमाण है।
Important Points
- सरहपा के प्रथम कवि माने जाते हैं।
- उनका मूल नाम ‘राहुलभद्र’ था और उनके ‘सरोजवज्र’,‘शरोरुहवज्र’,‘पद्म‘ तथा ‘पद्मवज्र’ नाम भी मिलते हैं।
- वे पालशासक धर्मपाल (770-810 ई.) के समकालीन थे।
- लुइपा (773 ई. लगभग) ने लुइपादगीतिका की रचना की।
Additional Information
- सिद्धों का सम्बन्ध बौद्ध धर्म से है।
- इनकी संख्या 84 मानी जाती है जिनमें सरहपा,शबरप्पा,लुइपा,कणहपा आदि मुख्य हैं।
- पुष्पदंत अपभ्रंश भाषा के महाकवि थे जिनकी तीन रचनाएँ प्रकाश में आ चुकी हैं-महापुराण,जसहरचरित(यशोधरचरित) और णायकुमारचरिअ (नागकुमारचरित)।
- अददहमाण का जन्म 12वीं शताब्दी में माना है।
सिद्ध काव्य और कवि Question 7:
'टेसू राजा बीच बाजार' किस विधा की रचना है?
Answer (Detailed Solution Below)
सिद्ध काव्य और कवि Question 7 Detailed Solution
'टेसू राजा बीच बाजार' विधा की रचना है- कविता
- निरंकार देव ‘सेवक’ द्वारा रचित कविता ‘टेसू राजा बीच बाजार’ एक लोकगीत पर आधारित कविता है।
कविता:-
- काव्य, कविता या पद्य, साहित्य की वह विधा है,
- जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है।
Key Pointsटेसू राजा बीच बाजार-
- रचनाकार- निरंकार देव ‘सेवक’
- विधा- कविता
- मुख्य पात्र- टेसू राजा।
- विषय-
- इस कविता में टेसू राजा के बाजार में अनार खरीदने का वर्णन किया है।
Important Pointsनिरंकारदेव सेवक-
- जन्म- 1919 ई.
- हिन्दी बाल साहित्य के वरिष्ठ कवियों में निरंकार देव सेवक प्रमुख हैं।
- कविता-
- एक बुढ़िया
- मेरा मुन्ना बड़ा सयाना
- दो चिड़ियों की बात
- कितना प्यार
- पैसा पास होता
- चंदा मामा दूर के
Additional Informationनिबंध:-
- निबन्ध (Essay) गद्य लेखन की एक विधा है।
- लेकिन इस शब्द का प्रयोग किसी विषय की तार्किक और बौद्धिक विवेचना करने वाले लेखों के लिए भी किया जाता है।
कहानी:-
- कहानी गद्य साहित्य की वह सबसे अधिक रोचक एवं लोकप्रिय विधा है,
- जो जीवन के किसी विशेष पक्ष का मार्मिक, भावनात्मक और कलात्मक वर्णन करती है।
रेखाचित्र:-
- रेखाचित्र या 'आरेखण' (ड्राइंग) एक दृश्य कला है
- जो द्वि-आयामी साधन को चिह्नित करने के लिए किसी भी तरह के रेखाचित्र उपकरणों का उपयोग करता है।
सिद्ध काव्य और कवि Question 8:
निम्न में से कौन-सी रचना निरंकारदेव सेवक की है?
Answer (Detailed Solution Below)
सिद्ध काव्य और कवि Question 8 Detailed Solution
'एक बुढ़िया' यह रचना निरंकारदेव सेवक की है।
Key Pointsएक बुढ़िया-
- रचनाकार- निरंकारदेव सेवक
- विधा- कविता
- मुख्य पात्र- बुढ़िया।
- विषय-
- इस कविता में कवि एक ऐसी बुढ़िया के बारे में बताया है, जिसके पास कोई काम न था।
Important Pointsनिरंकारदेव सेवक-
- जन्म- 1919 ई.
- हिन्दी बाल साहित्य के वरिष्ठ कवियों में निरंकार देव सेवक प्रमुख हैं।
- कविता-
- मेरा मुन्ना बड़ा सयाना
- दो चिड़ियों की बात
- कितना प्यार
- पैसा पास होता
- चंदा मामा दूर के
Mistake Pointsपतंग-
- रचनाकार- सोहनलाल द्विवेदी
- विधा- कविता
- मुख्य पात्र- पतंग।
- विषय-
- इस कविता से, कवि ने पतंग के गुणों को बताया है।
पगड़ी-
- रचनाकार- सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
- विधा- कविता
- मुख्य पात्र- पगड़ी।
- विषय-
- इस कविता में विचित्र स्थितियों का सामना करती एक पगड़ी का वर्णन किया गया है।
मैं भी-
- रचनाकार- वी. सुतेयेव
- विधा- कविता
- मुख्य पात्र- बत्तख, मुर्गी।
- विषय-
- एक अँडे में से बत्तख और मुर्गी के बच्चों का वर्णन किया गया है ।
Additional Informationसोहनलाल द्विवेदी-
- जन्म- 1906 -1988 ई.
- हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे।
- कविता-
- कोशिश करने वालों की हार नहीं होती
- वंदना के इन स्वरों में
- युगावतार गांधी
- जय राष्ट्रीय निशान
- बढे़ चलो, बढे़ चलो
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना-
- जन्म- 1927 - 1983 ई.
- हिन्दी कवि एवं साहित्यकार थे।
- कविता-
- काठ की घंटियां - 1959 ई.
- बांस का पुल - 1963 ई.
- एक सूनी नाव - 1966 ई.
- गर्म हवाएं - 1966 ई.
सिद्ध काव्य और कवि Question 9:
सिद्धों और नागपंथी योगियों के चिंतन का विवेचन करते हुए यह किसने कहा था कि उनकी रचनाओं का जीवन की स्वाभाविक सरणियों, अनुभूतियों और दशाओं से कोई संबंध नहीं था।
Answer (Detailed Solution Below)
सिद्ध काव्य और कवि Question 9 Detailed Solution
सिद्धों और नागपंथी योगियों के चिंतन का विवेचन करते हुए यह आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कहा था कि उनकी रचनाओं का जीवन की स्वाभाविक सरणियों, अनुभूतियों और दशाओं से कोई संबंध नहीं था।
Key Pointsरामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म-1884-1941 ई.
- निबंध संग्रह-
- चिंतामणि(भाग-1)- भाव या मनोविकार, श्रद्धा-भक्ति, करुणा
- लज्जा और ग्लानि, लोभ और प्रीति
- ईर्ष्या, कविता क्या है?
- काव्य मे लोकमंगल की साधनावस्थाआदि।
- चिंतामणि(भाग-2)- काव्य में रहस्यवाद
- काव्य में अभिव्यंजनावाद आदि।
- चिंतामणि(भाग-1)- भाव या मनोविकार, श्रद्धा-भक्ति, करुणा
- इनके निबंधों का संग्रह चिंतामणि,भाग-1 1939 ई. में प्रकाशित हुआ।
Important Pointsहजारीप्रसाद द्विवेदी-
- जन्म-1907-1979 ई.
- निबंध संग्रह-
- अशोक के फूल(1948 ई.)
- कल्पलता(1951 ई.)
- विचार और वितर्क(1957 ई.)
- कुटज(1964 ई.)
- आलोक पर्व(1972 ई.) आदि।
नंददुलारे बाजपेयी -
- प्रसिद्धि - शुक्लोत्तर युग के प्रख्यात समालोचक के रूप में
- मुख्य आलोचनात्मक कृतियाँ -
- जयशंकर प्रसाद (1939 )
- आधुनिक साहित्य (1950 )
- महाकवि सूरदास (1953 )
- प्रेमचंद : साहित्यिक विवेचन (1954 )
- नया साहित्य : नए प्रश्न (1955) आदि।
रामविलास शर्मा-
- प्रसिद्धि - आधुनिक हिंदी के महत्वपूर्ण मार्क्सवादी समीक्षक के रूप में।
- पुरस्कार -
- 1970 में 'निराला की साहित्य साधना के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार।
- 1991 में 'भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिंदी' के लिए व्यास सम्मान।
- प्रमुख आलोचनात्मक कृतियाँ -
- निराला (1946)
- प्रेमचंद और उनका युग (1952)
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल और हिंदी आलोचना (1955)
- निराला की साहित्य साधना (तीन भाग - 1969,1972,1976)
- नयी कविता और अस्तित्ववाद (1978) आदि।
सिद्ध काव्य और कवि Question 10:
"बौद्धधर्म के सिद्धान्तों में देश की बदलती हुई परिस्थितियों ने जिन नवीन भावनाओं की सृष्टि की, उन्हीं के परिणाम स्वरूप सिद्ध साहित्य की रूपरेखा तैयार हुई।" सिद्ध साहित्य के प्रादुर्भाव विषयक यह कथन इनमें से किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
सिद्ध काव्य और कवि Question 10 Detailed Solution
यह कथन डॉ.रामकुमार वर्मा का हैं,उन्होने सिद्ध साहित्य के उदय का प्रमुख कारण बौद्धधर्म के सिद्धान्तों को माना हैं।
डॉ. रामकुमार वर्मा जी को रहस्यवाद का पंडित कहा जाता हैं।
डॉ. रामकुमार वर्मा जी को हिंदी एकांकी का जनक भी कहा जाता हैं।
Key Pointsराम कुमार वर्मा -
- जन्म-15 सितम्बर 1905
- निधन-1990 ई
रचनाएँ-
- एकांकी संग्रह-पृथ्वीराज की आँखें (सन1938ई.)
- कविता-चित्ररेखा (सन 1936 ई.)
- कविता संग्रह-जौहर (1941 ई.)
- नाटक-एकलव्य,उत्तरायण,ओ अहल्या
Important Pointsधीरेन्द्र वर्मा-
- जन्म- 17 मई1897(बरेली,उत्तर प्रदेश)
- मृत्यु- 23 अप्रैल 1973(प्रयाग)
- प्रमुख कृतियाँ :-
हिन्दी भाषा का इतिहास | हिन्दी भाषा और लिपि |
ब्रजभाषा व्याकरण | हिन्दी साहित्य का इतिहास |
मेरी कॉलेज डायरी | यूरोप के पत्र |
गणपति चन्द्र गुप्त-
- डॉ. गणपति चंद्र गुप्त ने आदिकाल को प्रारंभिक काल कहा हैं।
- डॉ. गणपति चंद्र गुप्त का यह भी मत हैकि 'हिंदी के प्रारंभिक काल एवं मध्यकाल में तीन प्रकार का काव्य मिलता है-(अ)धर्माश्रित काव्य (ब) राज्याश्रित काव्य (स) लोकाश्रित काव्य।'
प्रमुख रचना-
- हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास’ (1965 ई.)
मिश्र बंधु-
- गणेश बिहारी, श्याम बिहारी और शुकदेव बिहारी नाम के तीन सहोदर भाई थे।
रचना-
- मिश्रबंधु विनोद(4 भाग):-गणेशबिहारी मिश्र द्वारा हिन्दी साहित्य का इतिहास नामक ग्रंथ लिखा