निम्न निर्णयों में से किसमें माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह अभिनिर्धारित किया है कि जहां घरेलू हिंसा का एक कृत्य घरेलू हिंसा से स्त्री का संरक्षण अधिनियम के प्रवृत होने से पूर्व आरम्भ हुआ तथा इसके पश्चात भी जारी रहा है, ऐसी स्थिति में व्यथित व्यक्ति इस अधिनियम का संरक्षण प्राप्त करने का अधिकारी है?

  1. (2014) 3 एस.सी.सी. 712, सरस्वती बनाम बाबू।
  2. (2015 ) 2 एस.सी.सी. 145. मीना चौधरी बनाम पुलिस कमिश्नर, दिल्ली। 
  3. (2013) 15 एस.सी.सी. 755 इन्द्र सर्मा बनाम वी. के. वी. सर्मा।
  4. उपरोक्त में से कोई नहीं।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : (2014) 3 एस.सी.सी. 712, सरस्वती बनाम बाबू।

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सही उत्तर विकल्प 1 है। Key Points

  • सरस्वती बनाम बाबू (2014) के मामले में, जिसे 3 एससीसी 712 में रिपोर्ट किया गया, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि जब घरेलू हिंसा का कार्य घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के अधिनियमित होने से पहले शुरू हुआ और अधिनियमित होने के बाद भी जारी रहा, तो पीड़ित व्यक्ति अधिनियम द्वारा प्रदत्त सुरक्षा का हकदार है।
  • यह निर्णय इस बात पर जोर देता है कि घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम का अस्थायी दायरा उन स्थितियों तक फैला हुआ है, जहां हिंसा अधिनियम के लागू होने से पहले शुरू हुई थी, लेकिन उसके बाद भी जारी रही। न्यायालय ने घरेलू हिंसा के पीड़ितों के लिए निरंतर सुरक्षा की आवश्यकता को मान्यता दी, भले ही अपमानजनक व्यवहार कब शुरू हुआ हो।
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