अर्थान्तरन्यास MCQ Quiz - Objective Question with Answer for अर्थान्तरन्यास - Download Free PDF

Last updated on Apr 4, 2025

Latest अर्थान्तरन्यास MCQ Objective Questions

अर्थान्तरन्यास Question 1:

"जहाँ सामान्य का विशेष के द्वारा तथा विशेष का सामान्य द्वारा समर्थन हो," वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?

  1. विरोधाभास
  2. अर्थान्तरन्यास
  3. उदाहरण
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक 
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अर्थान्तरन्यास

अर्थान्तरन्यास Question 1 Detailed Solution

"जहाँ सामान्य का विशेष के द्वारा तथा विशेष का सामान्य द्वारा समर्थन हो," वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है

Key Pointsअर्थान्तरन्यास अलंकार-

  • अर्थान्तरन्यास अलंकार एक शब्दालंकार है। 
  • जब किसी सामान्य कथन से विशेष कथन का या विशेष कथन से सामान्य कथन का समर्थन किया जाता हैं वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • बड़े न हूजे गुनन बिनु, बिरद बड़ाई पाय। 
      कहत धतूरे सों कनक, गहनो गढ़ो न जाय। 
  • यहाँ सामान्य कथन का समर्थन विशेष बात से किया गया है। पहले वाक्य में सामान्य बात कही गयी है और उसका समर्थन विशेष बात कहकर किया गया है।

Important Pointsविरोधाभास अलंकार-

  • विरोधाभास अलंकार के अंतर्गत एक ही वाक्य में आपस में कटाक्ष करते हुए दो या दो से अधिक भावों का प्रयोग किया जाता है।
  • उदाहरण-
    • मोहब्बत एक मीठा ज़हर है।

उदाहरण अलंकार-

  • जहां पर एक वाक्य कहकर उसके उदाहरण के रूप में दूसरा वाक्य कहा जाए वहां उदाहरण अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • बूंद आघात सहै गिरी कैसे।
      खल के वचन संत सह जैसे॥

अर्थान्तरन्यास Question 2:

"जहाँ सामान्य का विशेष के द्वारा तथा विशेष का सामान्य द्वारा समर्थन हो," वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?

  1. विरोधाभास
  2. अर्थान्तरन्यास
  3. उदाहरण
  4. परिकर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अर्थान्तरन्यास

अर्थान्तरन्यास Question 2 Detailed Solution

"जहाँ सामान्य का विशेष के द्वारा तथा विशेष का सामान्य द्वारा समर्थन हो," वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है

Key Pointsअर्थान्तरन्यास अलंकार-

  • अर्थान्तरन्यास अलंकार एक शब्दालंकार है। 
  • जब किसी सामान्य कथन से विशेष कथन का या विशेष कथन से सामान्य कथन का समर्थन किया जाता हैं वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • बड़े न हूजे गुनन बिनु, बिरद बड़ाई पाय। 
      कहत धतूरे सों कनक, गहनो गढ़ो न जाय। 
  • यहाँ सामान्य कथन का समर्थन विशेष बात से किया गया है। पहले वाक्य में सामान्य बात कही गयी है और उसका समर्थन विशेष बात कहकर किया गया है।

Important Pointsविरोधाभास अलंकार-

  • विरोधाभास अलंकार के अंतर्गत एक ही वाक्य में आपस में कटाक्ष करते हुए दो या दो से अधिक भावों का प्रयोग किया जाता है।
  • उदाहरण-
    • मोहब्बत एक मीठा ज़हर है।

उदाहरण अलंकार-

  • जहां पर एक वाक्य कहकर उसके उदाहरण के रूप में दूसरा वाक्य कहा जाए वहां उदाहरण अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • बूंद आघात सहै गिरी कैसे।
      खल के वचन संत सह जैसे॥

अर्थान्तरन्यास Question 3:

नीचे दिए गए विकल्पों में से कौन सा उत्प्रेक्षा अलंकार का भेद नहीं हैं?

  1. अर्थान्तरन्यास
  2. फलोत्प्रेक्षा
  3. हेतूत्प्रेक्षा
  4. वस्तूत्प्रेक्षा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अर्थान्तरन्यास

अर्थान्तरन्यास Question 3 Detailed Solution

उत्प्रेक्षा अलंकार का भेद नहीं हैं- 'अर्थान्तरन्यास'

  • 'अर्थान्तरन्यास' अर्थालंकार का एक भेद है। 

अर्थान्तरन्यास:-

  • जहा पर किसी विशेष कथन से किसी सामान्य कथन तथा किसी सामान्य कथन से किसी विशेष कथन का समर्थन होता है तो वहाँ पर अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है।

उदाहरण-

  • बड़े न हूजे गुनन बिनु, बिरद बड़ाई पाय। 
  • कहत धतूरे सों कनक, गहनो गढ़ो न जाय। 
    • (यहाँ सामान्य कथन का समर्थन विशेष बात से किया गया है।
    • पहले वाक्य में सामान्य बात कही गयी है और उसका समर्थन विशेष बात कहकर किया गया है।)

Key Points 

उत्प्रेक्षा अलंकार का भेद- 

  • वस्तुप्रेक्षा अलंकार
  • हेतुप्रेक्षा अलंकार
  • फलोत्प्रेक्षा अलंकार।

Important Points

वस्तूत्प्रेक्षा (वस्तु+उत्प्रेक्षा):-

  • जब किसी पद में एक वस्तु में दूसरी वस्तु की सम्भावना प्रकट की जाती है, वहाँ वस्तूत्प्रेक्षाअलंकार माना जाता है।

उदाहरण-

  • कहती हुई यों उत्तरा के, नेत्र जल से भर गये।
    हिम के कणों से पूर्ण मानो, हो गये पंकज नये।।
  • (प्रस्तुत पद में आँसुओं से भरी उत्तरा की आँखों में (एक वस्तु, उपमेय) कमल पर जमा हिमकणों (अन्य वस्तु, उपमान) की संभावना को प्रकट किया जा रहा है। )

हेतूत्प्रेक्षा (हेतु+उत्प्रेक्षा):-

  • जहां हेतु के न होने पर भी हेतु की संभावना की जाए, वहाँ हेतूत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

उदाहरण-

  • अरुण भये कोमल चरण भुवि चलिबे ते मानु
    (स्पष्टीकरण - शायद भूमि पर पैदल चलने के कारण नायक के पैर लाल हो गये हैं।)

फलोत्प्रेक्षा (फल+उत्प्रेक्षा):-

  • जब किसी पद में अफल में फल की कल्पना की जाती है अर्थात जो फल नहीं है, उसे फल के रूप में कल्पित किया जाता है तो वहाँ फलोत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

उदाहरण-

  • बढ़त ताड़ को पेड़ यह मनु चूमन आकास ।
  • (स्पष्टीकरण - शायद आकाश को चूम लेने की आशा की इच्छा से यह ताड़ का पेड़ इतना ऊँचा बढ़ गया है।)

Additional Informationउत्प्रेक्षा अलंकार:-

  • जब एक वस्तु में दूसरी वस्तु की सम्भावना की जाये, अर्थात एक वस्तु को दूसरी वस्तु मान लिया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
  • पहचान - मनो, मानो, मनु, मनुह, जानो, झव, जनु, जानहुं, ज्यों आदि शब्द अगर किसी अलंकार में आते हैं तो वह उत्प्रेक्षा अलंकार होता है ।

उदाहरण-

  • अम्बर में तारे मानो मोती अनगन हैं।
    (यहाँ पर तारों में मोतियों की सम्भावना की गयी है, स्पष्टीकरण- तारों को मोती माना गया है।)

अर्थान्तरन्यास Question 4:

'प्रीति करि काहू सुख न लह्यौ।

प्रीति पतंग करी दीपक सौं आपै प्राण दह्यौ।।'

पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?

  1. अर्थान्तरन्यास
  2. दृष्टांत
  3. उदाहरण
  4. उपमा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अर्थान्तरन्यास

अर्थान्तरन्यास Question 4 Detailed Solution

उपरोक्त पंक्तियों में अर्थान्तरन्यास अलंकार है। 

उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ :-कृष्ण के वियोग से दुखी होकर एक गोपी कहती है कि प्रेम का अंत दुखद होता है | गोपी कहती है कि पतंगा आग से प्रेम करता है तो अंततः वह आग में जल कर अपना जीवन समाप्त कर देता है। 

Key Pointsअर्थान्तरन्यास अलंकार:-

  • अर्थान्तरन्यास अलंकार एक शब्दालंकार है। 
  • जब किसी सामान्य कथन से विशेष कथन का या विशेष कथन से सामान्य कथन का समर्थन किया जाता हैं वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है।

उदाहरण :
बड़े न हूजे गुनन बिनु, बिरद बड़ाई पाय। 
कहत धतूरे सों कनक, गहनो गढ़ो न जाय। 

  • यहाँ सामान्य कथन का समर्थन विशेष बात से किया गया है। पहले वाक्य में सामान्य बात कही गयी है और उसका समर्थन विशेष बात कहकर किया गया है।

Additional Informationदृष्टांत अलंकार:-

  • जब काव्य में किसी बात को उदाहरण देकर समझाया जाए तो वहां दृष्टांत अलंकार होता है।

दृष्टांत अलंकार के उदाहरण –

जो रहीम उत्तम प्रकृति का कर सकत कुसंग

चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग ।

उपमा अलंकार:-

  • जब किसी वस्तु या व्यक्ति की विशेषता दर्शाने के लिए उसकी समानता उस गुण में बढ़ी हुई किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति से की जाती है,वहाँ उपमा अलंकार होता है।

उदहारण:-

  • सीता का मुख चंद्रमा के समान सुंदर है।
  • यहाँ पर सीता जी के मुख की तुलना चंद्रमा से की गयी है।

Top अर्थान्तरन्यास MCQ Objective Questions

अर्थान्तरन्यास Question 5:

"जहाँ सामान्य का विशेष के द्वारा तथा विशेष का सामान्य द्वारा समर्थन हो," वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?

  1. विरोधाभास
  2. अर्थान्तरन्यास
  3. उदाहरण
  4. परिकर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अर्थान्तरन्यास

अर्थान्तरन्यास Question 5 Detailed Solution

"जहाँ सामान्य का विशेष के द्वारा तथा विशेष का सामान्य द्वारा समर्थन हो," वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है

Key Pointsअर्थान्तरन्यास अलंकार-

  • अर्थान्तरन्यास अलंकार एक अर्थालंकार है। 
  • जब किसी सामान्य कथन से विशेष कथन का या विशेष कथन से सामान्य कथन का समर्थन किया जाता हैं वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • बड़े न हूजे गुनन बिनु, बिरद बड़ाई पाय। 
      कहत धतूरे सों कनक, गहनो गढ़ो न जाय। 
  • यहाँ सामान्य कथन का समर्थन विशेष बात से किया गया है। पहले वाक्य में सामान्य बात कही गयी है और उसका समर्थन विशेष बात कहकर किया गया है।

Important Pointsविरोधाभास अलंकार-

  • विरोधाभास अलंकार के अंतर्गत एक ही वाक्य में आपस में कटाक्ष करते हुए दो या दो से अधिक भावों का प्रयोग किया जाता है।
  • उदाहरण-
    • मोहब्बत एक मीठा ज़हर है।

उदाहरण अलंकार-

  • जहां पर एक वाक्य कहकर उसके उदाहरण के रूप में दूसरा वाक्य कहा जाए वहां उदाहरण अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • बूंद आघात सहै गिरी कैसे।
      खल के वचन संत सह जैसे॥

अर्थान्तरन्यास Question 6:

नीचे दिए गए विकल्पों में से कौन सा उत्प्रेक्षा अलंकार का भेद नहीं हैं?

  1. अर्थान्तरन्यास
  2. फलोत्प्रेक्षा
  3. हेतूत्प्रेक्षा
  4. वस्तूत्प्रेक्षा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अर्थान्तरन्यास

अर्थान्तरन्यास Question 6 Detailed Solution

उत्प्रेक्षा अलंकार का भेद नहीं हैं- 'अर्थान्तरन्यास'

  • 'अर्थान्तरन्यास' अर्थालंकार का एक भेद है। 

अर्थान्तरन्यास:-

  • जहा पर किसी विशेष कथन से किसी सामान्य कथन तथा किसी सामान्य कथन से किसी विशेष कथन का समर्थन होता है तो वहाँ पर अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है।

उदाहरण-

  • बड़े न हूजे गुनन बिनु, बिरद बड़ाई पाय। 
  • कहत धतूरे सों कनक, गहनो गढ़ो न जाय। 
    • (यहाँ सामान्य कथन का समर्थन विशेष बात से किया गया है।
    • पहले वाक्य में सामान्य बात कही गयी है और उसका समर्थन विशेष बात कहकर किया गया है।)

Key Points 

उत्प्रेक्षा अलंकार का भेद- 

  • वस्तुप्रेक्षा अलंकार
  • हेतुप्रेक्षा अलंकार
  • फलोत्प्रेक्षा अलंकार।

Important Points

वस्तूत्प्रेक्षा (वस्तु+उत्प्रेक्षा):-

  • जब किसी पद में एक वस्तु में दूसरी वस्तु की सम्भावना प्रकट की जाती है, वहाँ वस्तूत्प्रेक्षाअलंकार माना जाता है।

उदाहरण-

  • कहती हुई यों उत्तरा के, नेत्र जल से भर गये।
    हिम के कणों से पूर्ण मानो, हो गये पंकज नये।।
  • (प्रस्तुत पद में आँसुओं से भरी उत्तरा की आँखों में (एक वस्तु, उपमेय) कमल पर जमा हिमकणों (अन्य वस्तु, उपमान) की संभावना को प्रकट किया जा रहा है। )

हेतूत्प्रेक्षा (हेतु+उत्प्रेक्षा):-

  • जहां हेतु के न होने पर भी हेतु की संभावना की जाए, वहाँ हेतूत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

उदाहरण-

  • अरुण भये कोमल चरण भुवि चलिबे ते मानु
    (स्पष्टीकरण - शायद भूमि पर पैदल चलने के कारण नायक के पैर लाल हो गये हैं।)

फलोत्प्रेक्षा (फल+उत्प्रेक्षा):-

  • जब किसी पद में अफल में फल की कल्पना की जाती है अर्थात जो फल नहीं है, उसे फल के रूप में कल्पित किया जाता है तो वहाँ फलोत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

उदाहरण-

  • बढ़त ताड़ को पेड़ यह मनु चूमन आकास ।
  • (स्पष्टीकरण - शायद आकाश को चूम लेने की आशा की इच्छा से यह ताड़ का पेड़ इतना ऊँचा बढ़ गया है।)

Additional Informationउत्प्रेक्षा अलंकार:-

  • जब एक वस्तु में दूसरी वस्तु की सम्भावना की जाये, अर्थात एक वस्तु को दूसरी वस्तु मान लिया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
  • पहचान - मनो, मानो, मनु, मनुह, जानो, झव, जनु, जानहुं, ज्यों आदि शब्द अगर किसी अलंकार में आते हैं तो वह उत्प्रेक्षा अलंकार होता है ।

उदाहरण-

  • अम्बर में तारे मानो मोती अनगन हैं।
    (यहाँ पर तारों में मोतियों की सम्भावना की गयी है, स्पष्टीकरण- तारों को मोती माना गया है।)

अर्थान्तरन्यास Question 7:

"जहाँ सामान्य का विशेष के द्वारा तथा विशेष का सामान्य द्वारा समर्थन हो," वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?

  1. विरोधाभास
  2. अर्थान्तरन्यास
  3. उदाहरण
  4. परिकर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अर्थान्तरन्यास

अर्थान्तरन्यास Question 7 Detailed Solution

"जहाँ सामान्य का विशेष के द्वारा तथा विशेष का सामान्य द्वारा समर्थन हो," वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है

Key Pointsअर्थान्तरन्यास अलंकार-

  • अर्थान्तरन्यास अलंकार एक शब्दालंकार है। 
  • जब किसी सामान्य कथन से विशेष कथन का या विशेष कथन से सामान्य कथन का समर्थन किया जाता हैं वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • बड़े न हूजे गुनन बिनु, बिरद बड़ाई पाय। 
      कहत धतूरे सों कनक, गहनो गढ़ो न जाय। 
  • यहाँ सामान्य कथन का समर्थन विशेष बात से किया गया है। पहले वाक्य में सामान्य बात कही गयी है और उसका समर्थन विशेष बात कहकर किया गया है।

Important Pointsविरोधाभास अलंकार-

  • विरोधाभास अलंकार के अंतर्गत एक ही वाक्य में आपस में कटाक्ष करते हुए दो या दो से अधिक भावों का प्रयोग किया जाता है।
  • उदाहरण-
    • मोहब्बत एक मीठा ज़हर है।

उदाहरण अलंकार-

  • जहां पर एक वाक्य कहकर उसके उदाहरण के रूप में दूसरा वाक्य कहा जाए वहां उदाहरण अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • बूंद आघात सहै गिरी कैसे।
      खल के वचन संत सह जैसे॥

अर्थान्तरन्यास Question 8:

"जहाँ सामान्य का विशेष के द्वारा तथा विशेष का सामान्य द्वारा समर्थन हो," वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?

  1. विरोधाभास
  2. अर्थान्तरन्यास
  3. उदाहरण
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक 
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अर्थान्तरन्यास

अर्थान्तरन्यास Question 8 Detailed Solution

"जहाँ सामान्य का विशेष के द्वारा तथा विशेष का सामान्य द्वारा समर्थन हो," वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है

Key Pointsअर्थान्तरन्यास अलंकार-

  • अर्थान्तरन्यास अलंकार एक शब्दालंकार है। 
  • जब किसी सामान्य कथन से विशेष कथन का या विशेष कथन से सामान्य कथन का समर्थन किया जाता हैं वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • बड़े न हूजे गुनन बिनु, बिरद बड़ाई पाय। 
      कहत धतूरे सों कनक, गहनो गढ़ो न जाय। 
  • यहाँ सामान्य कथन का समर्थन विशेष बात से किया गया है। पहले वाक्य में सामान्य बात कही गयी है और उसका समर्थन विशेष बात कहकर किया गया है।

Important Pointsविरोधाभास अलंकार-

  • विरोधाभास अलंकार के अंतर्गत एक ही वाक्य में आपस में कटाक्ष करते हुए दो या दो से अधिक भावों का प्रयोग किया जाता है।
  • उदाहरण-
    • मोहब्बत एक मीठा ज़हर है।

उदाहरण अलंकार-

  • जहां पर एक वाक्य कहकर उसके उदाहरण के रूप में दूसरा वाक्य कहा जाए वहां उदाहरण अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • बूंद आघात सहै गिरी कैसे।
      खल के वचन संत सह जैसे॥

अर्थान्तरन्यास Question 9:

'प्रीति करि काहू सुख न लह्यौ।

प्रीति पतंग करी दीपक सौं आपै प्राण दह्यौ।।'

पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?

  1. अर्थान्तरन्यास
  2. दृष्टांत
  3. उदाहरण
  4. उपमा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अर्थान्तरन्यास

अर्थान्तरन्यास Question 9 Detailed Solution

उपरोक्त पंक्तियों में अर्थान्तरन्यास अलंकार है। 

उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ :-कृष्ण के वियोग से दुखी होकर एक गोपी कहती है कि प्रेम का अंत दुखद होता है | गोपी कहती है कि पतंगा आग से प्रेम करता है तो अंततः वह आग में जल कर अपना जीवन समाप्त कर देता है। 

Key Pointsअर्थान्तरन्यास अलंकार:-

  • अर्थान्तरन्यास अलंकार एक शब्दालंकार है। 
  • जब किसी सामान्य कथन से विशेष कथन का या विशेष कथन से सामान्य कथन का समर्थन किया जाता हैं वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है।

उदाहरण :
बड़े न हूजे गुनन बिनु, बिरद बड़ाई पाय। 
कहत धतूरे सों कनक, गहनो गढ़ो न जाय। 

  • यहाँ सामान्य कथन का समर्थन विशेष बात से किया गया है। पहले वाक्य में सामान्य बात कही गयी है और उसका समर्थन विशेष बात कहकर किया गया है।

Additional Informationदृष्टांत अलंकार:-

  • जब काव्य में किसी बात को उदाहरण देकर समझाया जाए तो वहां दृष्टांत अलंकार होता है।

दृष्टांत अलंकार के उदाहरण –

जो रहीम उत्तम प्रकृति का कर सकत कुसंग

चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग ।

उपमा अलंकार:-

  • जब किसी वस्तु या व्यक्ति की विशेषता दर्शाने के लिए उसकी समानता उस गुण में बढ़ी हुई किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति से की जाती है,वहाँ उपमा अलंकार होता है।

उदहारण:-

  • सीता का मुख चंद्रमा के समान सुंदर है।
  • यहाँ पर सीता जी के मुख की तुलना चंद्रमा से की गयी है।

अर्थान्तरन्यास Question 10:

'प्रीति करि काहू सुख न लह्यौ।

प्रीति पतंग करी दीपक सौं आपै प्राण दह्यौ।।'

पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?

  1. अर्थान्तरन्यास
  2. दृष्टांत
  3. उदाहरण
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अर्थान्तरन्यास

अर्थान्तरन्यास Question 10 Detailed Solution

उपरोक्त पंक्तियों में अर्थान्तरन्यास अलंकार है। 

उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ :-कृष्ण के वियोग से दुखी होकर एक गोपी कहती है कि प्रेम का अंत दुखद होता है | गोपी कहती है कि पतंगा आग से प्रेम करता है तो अंततः वह आग में जल कर अपना जीवन समाप्त कर देता है। 

Key Pointsअर्थान्तरन्यास अलंकार:-

  • अर्थान्तरन्यास अलंकार एक शब्दालंकार है। 
  • जब किसी सामान्य कथन से विशेष कथन का या विशेष कथन से सामान्य कथन का समर्थन किया जाता हैं वहाँ अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है।

उदाहरण :
बड़े न हूजे गुनन बिनु, बिरद बड़ाई पाय। 
कहत धतूरे सों कनक, गहनो गढ़ो न जाय। 

  • यहाँ सामान्य कथन का समर्थन विशेष बात से किया गया है। पहले वाक्य में सामान्य बात कही गयी है और उसका समर्थन विशेष बात कहकर किया गया है।

Additional Informationदृष्टांत अलंकार:-

  • जब काव्य में किसी बात को उदाहरण देकर समझाया जाए तो वहां दृष्टांत अलंकार होता है।

दृष्टांत अलंकार के उदाहरण –

जो रहीम उत्तम प्रकृति का कर सकत कुसंग

चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग ।

उपमा अलंकार:-

  • जब किसी वस्तु या व्यक्ति की विशेषता दर्शाने के लिए उसकी समानता उस गुण में बढ़ी हुई किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति से की जाती है,वहाँ उपमा अलंकार होता है।

उदहारण:-

  • सीता का मुख चंद्रमा के समान सुंदर है।
  • यहाँ पर सीता जी के मुख की तुलना चंद्रमा से की गयी है।

अर्थान्तरन्यास Question 11:

नीचे दिए गए विकल्पों में से कौन सा उत्प्रेक्षा अलंकार का भेद नहीं हैं?

  1. अर्थान्तरन्यास
  2. फलोत्प्रेक्षा
  3. हेतूत्प्रेक्षा
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अर्थान्तरन्यास

अर्थान्तरन्यास Question 11 Detailed Solution

उत्प्रेक्षा अलंकार का भेद नहीं हैं- 'अर्थान्तरन्यास'

  • 'अर्थान्तरन्यास' अर्थालंकार का एक भेद है। 

अर्थान्तरन्यास:-

  • जहा पर किसी विशेष कथन से किसी सामान्य कथन तथा किसी सामान्य कथन से किसी विशेष कथन का समर्थन होता है तो वहाँ पर अर्थान्तरन्यास अलंकार होता है।

उदाहरण-

  • बड़े न हूजे गुनन बिनु, बिरद बड़ाई पाय। 
  • कहत धतूरे सों कनक, गहनो गढ़ो न जाय। 
    • (यहाँ सामान्य कथन का समर्थन विशेष बात से किया गया है।
    • पहले वाक्य में सामान्य बात कही गयी है और उसका समर्थन विशेष बात कहकर किया गया है।)

Key Points 

उत्प्रेक्षा अलंकार का भेद- 

  • वस्तुप्रेक्षा अलंकार
  • हेतुप्रेक्षा अलंकार
  • फलोत्प्रेक्षा अलंकार।

Important Points

वस्तूत्प्रेक्षा (वस्तु+उत्प्रेक्षा):-

  • जब किसी पद में एक वस्तु में दूसरी वस्तु की सम्भावना प्रकट की जाती है, वहाँ वस्तूत्प्रेक्षाअलंकार माना जाता है।

उदाहरण-

  • कहती हुई यों उत्तरा के, नेत्र जल से भर गये।
    हिम के कणों से पूर्ण मानो, हो गये पंकज नये।।
  • (प्रस्तुत पद में आँसुओं से भरी उत्तरा की आँखों में (एक वस्तु, उपमेय) कमल पर जमा हिमकणों (अन्य वस्तु, उपमान) की संभावना को प्रकट किया जा रहा है। )

हेतूत्प्रेक्षा (हेतु+उत्प्रेक्षा):-

  • जहां हेतु के न होने पर भी हेतु की संभावना की जाए, वहाँ हेतूत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

उदाहरण-

  • अरुण भये कोमल चरण भुवि चलिबे ते मानु
    (स्पष्टीकरण - शायद भूमि पर पैदल चलने के कारण नायक के पैर लाल हो गये हैं।)

फलोत्प्रेक्षा (फल+उत्प्रेक्षा):-

  • जब किसी पद में अफल में फल की कल्पना की जाती है अर्थात जो फल नहीं है, उसे फल के रूप में कल्पित किया जाता है तो वहाँ फलोत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।

उदाहरण-

  • बढ़त ताड़ को पेड़ यह मनु चूमन आकास ।
  • (स्पष्टीकरण - शायद आकाश को चूम लेने की आशा की इच्छा से यह ताड़ का पेड़ इतना ऊँचा बढ़ गया है।)

Additional Informationउत्प्रेक्षा अलंकार:-

  • जब एक वस्तु में दूसरी वस्तु की सम्भावना की जाये, अर्थात एक वस्तु को दूसरी वस्तु मान लिया जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
  • पहचान - मनो, मानो, मनु, मनुह, जानो, झव, जनु, जानहुं, ज्यों आदि शब्द अगर किसी अलंकार में आते हैं तो वह उत्प्रेक्षा अलंकार होता है ।

उदाहरण-

  • अम्बर में तारे मानो मोती अनगन हैं।
    (यहाँ पर तारों में मोतियों की सम्भावना की गयी है, स्पष्टीकरण- तारों को मोती माना गया है।)
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