विभावना MCQ Quiz - Objective Question with Answer for विभावना - Download Free PDF

Last updated on May 28, 2025

Latest विभावना MCQ Objective Questions

विभावना Question 1:

जहाँ बिना कारण के कार्य का होना पाया जाए यहाँ कौन-सा अलंकार होता है ?

  1. विरोधाभास
  2. विशेषोक्ति
  3. विभावना
  4. भ्रांतिमान
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : विभावना

विभावना Question 1 Detailed Solution

जहाँ बिना कारण के कार्य का होना पाया जाए यहाँ विभावना अलंकार होता है

Key Points 

  • जब कार्य के लिए कारण की आवश्यकता नहीं होती है, किसी भी कारण के बिना ही कार्य संपन्न हो जाए, वहां विभावना अलंकार होता है।
  • उदाहरण- 
    • बिनु पग चलै सुनै बिनु काना।
    • कर बिनु करम करै विधि नाना।।
  • (इसमें कारण न होते हुए भी कार्य का होना बताया जा रहा है।
    • बिना पैर के चलना, बिनाकान के सुनना, बिना हाथ के नाना कर्म किया जा रहा है, अतः यहाँ विभावना अलंकार है।)

Additional Information

विरोधाभास अलंकार-

  • जब किसी वस्तु का वर्णन करने पर विरोध नहीं होने पर भी विरोध का आभास होता है, उसे ही विरोधाभास अलंकार कहते है। 

उदाहरण -

  • विसमय यह गोदावरी, अमृतन के फल देत।
  • केसव जीवन हार कौ, दुख असेस हरि लेत।
  • (यहाँ गोदावरी को विसमय बताया गया है, जो विरोध प्रकट करता है । परन्तु विस का अर्थ ‘जल’ प्रकट होने पर विरोध समाप्त हो जाता है। अतः विरोधाभास अलंकार है।)

विशेषोक्ति अलंकार-

  • काव्य में जहाँ कारण के होते हुए भी कार्य का न होना पाया जाय , वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है। 

उदाहरण -

  • लागन उर उपदेश, जदपि कहयौ सिव बार बहु ।
  • (यहाँ पर शिव के बार-बार कहने पर भी, मूर्ख को उपदेश समझ में नहीं आ रहा है।)

भ्रांतिमान अलंकार-

  • जब एक वस्तु को देखने पर दूसरी वस्तु से सम्बंधित भ्रम उत्पन्न हो जाता है, वह भ्रांतिमान अलंकार कहलाता है।

उदाहरण -

  • पाप महावर देन को नाइन बैठी आय।
  • पुनि-पुनि जान महावरी एड़ी मोड़ित जाय।।
  • (यहाँ पर नाइन एड़ी की लालिमा को महावर समझकर भ्रम में पड़ जाती है, और सुन्दरी की एड़ी को मोड़ती जाती है।)

विभावना Question 2:

“बिनु पद चले, सुने बिनु काना' में कौन सा अलंकार है ?

  1. श्लेष
  2. यमक
  3. रूपक
  4. विभावना
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : विभावना

विभावना Question 2 Detailed Solution

इसका सही उत्तर 'विभावना अलंकार' है।  

Key Points

  • “बिनु पद चले, सुने बिनु काना' में 'विभावना अलंकार' होगा। 
  • जब बिना कारण के काम हो जाता है अर्थात जहाँ किसी कार्य कारण के सम्बंध में कोई विलक्षण बात कही जाती है, तब वहाँ विभावना अलंकार होता है।
  • इसमें कारण के अभाव में कार्य का होना बताया जाता है। 

अन्य विकल्प: 

  1. श्लेष - जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है। 
  2. यमक - जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
  3. रूपक - जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय ओर उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है।

Additional Information

  •  जैसे स्त्री की शोभा आभूषण से वैसे ही काव्य की शोभा अलंकार से होती है।

 

विभावना Question 3:

जहाँ बिना कारण के ही कार्य की संभावना व्यक्त की गई | हो, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?

  1. विभावना
  2. निदर्शना
  3. असंगति
  4. अर्थान्तरन्यास
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : विभावना

विभावना Question 3 Detailed Solution

जहाँ बिना कारण के ही कार्य की संभावना व्यक्त की गई हो,वहाँ अलंकार होता है-विभावना|

Key Points

विभावना अलंकार-

  • ​परिभाषा-जहाँ पर कारण के न होते हुए भी कार्य का होना पाया जाए।
  • उदाहरण-बिनु पग चलै सुनें बिनु काना।
                  कर बिनु करम करै विधि नाना।।
  • उदाहरण अर्थ-बिना पैर चलना,बिना कान के सुनना,बीमा हाथ के कार्य का होना-ये सभी कारण के बिना हो रहे हैं।इसलिए विभावना अलंकार है।

Important Points

निदर्शना अलंकार-

  • परिभाषा-
  1. जहां वस्तुओं का परस्पर संबंध संभव अथवा असंभव होकर,उनमें बिंब प्रतिबिंब भाव सूचित करता है वहां निदर्शना अलंकार होता है। 
  2. इस अलंकार में वाक्यार्थ एक प्रकार से असंभव सा प्रतीत होता है,परंतु उपमा की कल्पना द्वारा उसकी पूर्ति हो जाती है।
  • उदाहरण-कहां अल्प मेरी मति, कहाँ काव्य मत गूढ़।
                 सागर तरिवो उडुप सौं, चाहत हौं मतिमूढ़ी।।
  • उदाहरण अर्थ-
  1. यहां पर 'काव्य ग्रंथ की रचना करना' तथा 'उडुप (छोटी नाव) से सागर पार करना' इन दोनों वाक्य में संबंध दिखाया गया है जो प्रायः असंभव है,क्योंकि ग्रंथ रचना अलग कार्य है तथा सागर पार करना दूसरा।
  2. इसका अर्थ है कि 'मुझे जैसे अल्प मति के लिए ग्रंथ लिखना उतना ही कठिन है जैसे छोटी नाव से समुद्र पार करना।
असंगति अलंकार-
  • परिभाषा-जहाँ कारण कही और कार्य कही और होने का वर्णन किया जाए।
  • उदाहरण-"हृदय घाव मेरे पीर रघुवीरे।"
  • उदाहरण अर्थ-घाव तो लक्ष्मण के हृदय में है,परंतु पीड़ा राम को हो रही है। अतः यह असंगति अलंकार है।
अर्थन्तरन्यास अलंकार-
  • परिभाषा-जहाँ सामान्य कथन का विशेष से और विशेष कथन का सामान्य से समर्थन किया जाए।
  • उदाहरण-बड़े न हुजे गुनन बिनु,बिरद बड़ाई पाय। खत धतूरे सों कनक,गहनों गढ़ो न जाय।।
  • उदाहरण अर्थ-पहली पंक्ति ने विशेष बात कहकर,दूसरी पंक्ति में सामान्य बात के साथ उसका समर्थन किया गया है।

Additional Information

अर्थालंकार-

  • जहाँ अर्थ के माध्यम से काव्य में चमत्कार उत्पन्न हो,वहाँ अर्थालंकार होता है।
  • विभावना,असंगति,निदर्शना,अर्थन्तरन्यास अलंकार इसी के भेद हैं।

विभावना Question 4:

जहा बिना कारण के काय हान की कल्पना की जाए, वह कौन सा अलंकार है ?

  1. अतिश्योि
  2. विरोधाभास
  3. विभावना 
  4. वीप्सा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : विभावना 

विभावना Question 4 Detailed Solution

जहा बिना कारण के काय हान की कल्पना की जाए, वह विभावना अलंकार है

Key Points

  • जहाँ कारण के न होते हुए भी कार्य का होना पाया जाय, वहां विभावना अलंकार होता है।

उदाहरण-

  • राजभवन को छोड़ कृष्ण थे चले गये।
  • तेज चमकता था उनका फिर भी भास्वर ।।
  • (स्पष्टीकरण – यहाँ पर श्री कृष्ण (कारण रूप) के राजभवन को छोड़कर चले जाने पर भी उनके भास्वर तेज के चमकते रहने का वर्णन किया गया है।)
Additional Information

अतिशयोक्ति:-

  • जब किसी वस्तु, व्यक्ति आदि का वर्णन बहुत बाधा चढ़ा कर किया जाए तब वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
  • इस अलंकार में नामुमकिन तथ्य बोले जाते हैं।

उदाहरण-

  • ​पानी परात को छुयो नहीं , नैनन के जल सों पग धोए।
  • (यहाँ पानी के बिनाआंसुओ से पैरो को धोने की बात पर जोर दिया गया है। जो असमान्य बात है।)

विरोधाभास-

  • जब किसी वस्तु का वर्णन करने पर विरोध नहीं होने पर भी विरोध का आभास होता है उसे ही विरोधाभास अलंकार कहते है 
  • अर्थात जहाँ विरोध न होते हुए भी विरोध का आभास प्रतीत होता हो, वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है।

उदाहरण- 

  • भर लाऊँ सीपी में सागर
  • प्रिय ! मेरी अब हार विजय क्या ?
  • (इस उदाहरण सीपी में भला सागर कैसे भरा जा सकता है इसिलए यंहा पर विरोध का आभास हो रहा है ? अतः यहाँ विरोधाभास अलंकार है।)

वीप्सा-

  • आदर, घृणा, हर्ष, शोक विस्मयादिबोधक भावों को प्रभावशाली रूप से व्यक्त करने के लिए शब्दों की पुनरावृत्ति को वीप्सा अलंकार कहते हैं।

उदाहरण- 

  • मोहि-मोहि मोहन को मन भयो राधामय।
  • राधा मन मोहि-मोहि मोहन मयी-मयी।।

विभावना Question 5:

जहाँ बिना कारण के कार्य का होना पाया जाए यहाँ कौन-सा अलंकार होता है ?

  1. विरोधाभास
  2. विशेषोक्ति
  3. विभावना
  4. भ्रांतिमान

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : विभावना

विभावना Question 5 Detailed Solution

जहाँ बिना कारण के कार्य का होना पाया जाए यहाँ विभावना अलंकार होता है

Key Points

  • जब कार्य के लिए कारण की आवश्यकता नहीं होती है, किसी भी कारण के बिना ही कार्य संपन्न हो जाए, वहां विभावना अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • बिनु पग चलै सुनै बिनु काना।
    • कर बिनु करम करै विधि नाना।।
  • (इसमें कारण न होते हुए भी कार्य का होना बताया जा रहा है।
    • बिना पैर के चलना, बिनाकान के सुनना, बिना हाथ के नाना कर्म किया जा रहा है, अतः यहाँ विभावना अलंकार है।)

Additional Information

विरोधाभास अलंकार-

  • जब किसी वस्तु का वर्णन करने पर विरोध नहीं होने पर भी विरोध का आभास होता है, उसे ही विरोधाभास अलंकार कहते है।

उदाहरण -

  • विसमय यह गोदावरी, अमृतन के फल देत।
  • केसव जीवन हार कौ, दुख असेस हरि लेत।
  • (यहाँ गोदावरी को विसमय बताया गया है, जो विरोध प्रकट करता है । परन्तु विस का अर्थ ‘जल’ प्रकट होने पर विरोध समाप्त हो जाता है। अतः विरोधाभास अलंकार है।)

विशेषोक्ति अलंकार-

  • काव्य में जहाँ कारण के होते हुए भी कार्य का न होना पाया जाय , वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है।

उदाहरण -

  • लागन उर उपदेश, जदपि कहयौ सिव बार बहु ।
  • (यहाँ पर शिव के बार-बार कहने पर भी, मूर्ख को उपदेश समझ में नहीं आ रहा है।)

भ्रांतिमान अलंकार-

  • जब एक वस्तु को देखने पर दूसरी वस्तु से सम्बंधित भ्रम उत्पन्न हो जाता है, वह भ्रांतिमान अलंकार कहलाता है।

उदाहरण -

  • पाप महावर देन को नाइन बैठी आय।
  • पुनि-पुनि जान महावरी एड़ी मोड़ित जाय।।
  • (यहाँ पर नाइन एड़ी की लालिमा को महावर समझकर भ्रम में पड़ जाती है, और सुन्दरी की एड़ी को मोड़ती जाती है।)

Top विभावना MCQ Objective Questions

'बिनु पद चलै सुनै बिनु काना' – पंक्ति में कौन सा अलंकार है ? 

  1. विभावना
  2. विशेषोक्ति
  3. विरोधाभास
  4. अतिशयोक्ति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : विभावना

विभावना Question 6 Detailed Solution

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उपर्युक्त पद्य में विभावना अलंकार है। जब कोई कार्य किसी कारण के न होते हुए भी हो रहा हो तो वहां विभावना अलंकार होता है।

  • "बिनु पद चलइ, सुनइ बिनु काना। कर बिनु करम, करइ बिधि नाना॥" का अर्थ है कि वह ईश्वर बिना पैरों के चलता है, बिना कान के सुनता है, हाथ न होते हुए भी विभिन्न तरह के कार्य करता है अर्थात यहाँ बिना किसी कारण के ही कार्य हो रहा है। इसीलिए सही उत्तर - 1 'विभावना अलंकार' है।

Key Points

  • विषेशोक्ति अलंकार - जहाँ कारण के होते हुए भी कार्य नहीं होता वहां विषेशोक्ति अलंकार होता है।
  • अन्योक्ति अलंकार - जहाँ किसी दूसरे के माध्यम से किसी को बात कही जाती है वहां अन्योक्ति अलंकार होता है।
  • अतिशयोक्ति अलंकार - जब किसी वस्तु या व्यक्ति के बारे में बात को बढ़ा - चढ़ाकर कहा जाए वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।

बिनु पग चलै सुनै बिनु काना, कर बिनु कर्म करै विधि नाना। इन पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है :

  1. दृष्टान्त अलंकार
  2. विभावना अलंकार
  3. असंगति अलंकार
  4. विशेषक्ति अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : विभावना अलंकार

विभावना Question 7 Detailed Solution

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बिनु पग चलै सुनै बिनु काना, कर बिनु कर्म करै विधि नाना। इन पंक्तियों में प्रयुक्त अलंकार है- विभावना अलंकार

Key Points

  • पंक्ति - बिनु पग चलै सुनै बिनु काना, कर बिनु कर्म करै विधि नाना।
  • स्पष्टीकरण - वह (भगवान) बिना पैरों के चलते है और बिना कानों के सुनते है। कारण के अभाव में कार्य होने से यहां विभावना अलंकार है
  • जब कार्य के लिए कारण की आवश्यकता नहीं होती है किसी भी कारण के बिना ही कार्य संपन्न हो जाए वहां विभावना अलंकार होता है।
  • उदाहरण- "मुनि तापस जिन तें दुख लहहीं  ते नरेस बिनु पावक दहहीं ।।"

Additional Information

दृष्टांत अलंकार -

  • जहाँ पहले कोई बात कहकर, उससे मिलती-जुलती बात द्वारा दृष्टान्त दिया जाय, लेकिन समानता किसी शब्द द्वारा प्रकट न हो, वहाँ दृष्टान्त अलंकार होता है।
  • अर्थात जब दो वाक्यों में दो भिन्न बातें बिम्ब प्रतिबिम्ब भाव से प्रकट की जाती हैं, उसे दृष्टान्त अलंकार कहते हैं।

उदाहरण- 

  • सठ सुधरहिं सत संगति पाई।
  • पारस परस कुधात सुहाई ॥
  • (यहाँ सत्संगति से सठ का सुधरना वैसा ही है, जैसे पारसमणि के स्पर्श से कुधातु का चमकना। यहाँ प्रथम वाक्य की सत्यता साबित करने के लिए दृष्टान्त रूप से दूसरा वाक्य आया है।)

असंगति अलंकार-

  • जहाँ पर जो कारण होता है, कार्य भी वहीं होना चाहिए। चोट पाँव में लगे, तो दर्द भी पाँ में ही होना चाहिए।
  • लेकिन जहाँ कारण कहीं और कार्य कहीं और होने का वर्णन होता है, तो वहाँ 'असंगति अलंकार' होता है।

उदाहरण-  

  • ह्रदय घाव मेरे पीर रघुवीरै 
  • (यंहा पर लक्षमण को शक्ति लगती है तो घाव तो लक्ष्मण के हृदय में हैं, पर पीड़ा राम को है, इससे साबित होता है कारण कही है और कार्य कही और हो रहा है अत: यहाँ असंगति अलंकार है।)

विशेषोक्ति अलंकार-

  • काव्य में जहाँ कारण के होते हुए भी कार्य का न होना पाया जाय , वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है। 

उदाहरण –  

  • पानी बिच मीन, मीन पियासी ।
  • मोहि सुनि-सुनि, आवै हाँसी ॥
  • (यहाँ पर ‘मीन’ पानी के बीच भी प्यासी है। यहाँ ‘कारण’ पानी होते हुए भी कार्य (प्यास बुझाना) नहीं हो रहा है।)

"बिनु पग चलै सुनै बिनु काना" पंक्ति में अलंकार है

  1. विभावना
  2. उत्प्रेक्षा
  3. असंगति
  4. विशेषोक्ति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : विभावना

विभावना Question 8 Detailed Solution

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सही उत्तर विकल्प - विभावना अलंकार है l

Key Points 

  • प्रस्तुत पंक्ति "बिनु पग चले, सुने बिनु काना"  में विभावना अलंकार है l
  • क्योंकि यहाँ बिना कारण के कारण के ना होने पर भी कार्य का होना पाया जाता है l 
  • जैसे : – बिना पैर चलना बिना कान के सुनना, बिना हाथ के कार्य का होना ये सभी कारण के बिना ही हो रहे हैं। अतः  यहाँ विभावना अलंकार है।

Additional Information 

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

विभावना अलंकार 

विभावना का अर्थ है बिना कारण के जहां कारण के ना होने पर भी कार्य का होना पाया जाता है,वहाँ विभावना अलंकार होता है।

जैसे-

"बिनु पग चले, सुने बिनु काना"

अन्य विकल्प :

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

व्यतिरेक अलंकार 

जब छोटे को बड़े से श्रेष्ठ बताया जाता है और उसका कारण भी दिया जाता है अर्थात जब उपमेय को उपमान की अपेक्षा बढ़कर बताया जाता है, तब वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।

जैसे-

जन्म सिंधु पुनि बंधु विष,दीनन मलिन सकलंक|

सीय मुख समता पाव किमी चंद्र बापूरो रंक ||

संदेह अलंकार 

जहाँ पर किसी व्यक्ति या वस्तु को देखकर संशय बना रहे वहाँ संदेह अलंकार होता है।

जैसे-

साड़ी बीच नारी है कि नारी बीच साड़ी l

भ्रांतिमान

अलंकार 

जहां पर समानता के कारण किसी वस्तु में अन्य वस्तु का भ्रम हो जाए वहां भ्रांतिमान अलंकार होता है।

जैसे-

किशुक सुमन समझकर झपटा l
भौरा शुक को लाल तुण्ड पर ।।

“बिन घनस्याम धाम धाम ब्रज मंडल में,

ऊधो ! नित बसति बहार बरसा की है।"

इन पंक्तियों में कौन सा अलंकार है ?

  1. श्लेष
  2. विभावना
  3. उत्प्रेक्षा
  4. असंगति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : विभावना

विभावना Question 9 Detailed Solution

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"बिन घनस्याम धाम धाम ब्रज मंडल में / ऊधो! नित बसति बहार बरसा की है।" में विभावना अलंकार है।

  • उपर्युक्त पंक्ति में वर्षा कार्य के लिए बादल कारण विद्यमान होना चाहिए परन्तु यहाँ कहा गया है कि श्याम घन के न होने पर भी वर्षा की बहार रहती है।
  • अतः बिना कारण के भी कार्य सम्पन्न हो रहा है।
  • इसलिए यहाँ पर विभावना अलंकार है।
Key Points

विभावना अलंकार

  • विभावना का अर्थ होता है- बिना कारण।
  • जहाँ कारण के न होने पर भी कार्य का होना वर्णित होता है अर्थात् कारण के नहीं होने पर भी कार्य होता है , वहाँ विभावना अलंकार होता है।
  • अन्य उदाहरण-
    • "कारे घन उमड़ि अंगारे बरसत हैं।"
    • घन से अंगारे नहीं ,पानी बरसता है, जो अंगारों का विरोधी है। परन्तु यहाँ कहा गया है कि घन अंगारे बरसाते हैं। यहाँ विपरीत कारण से कार्य की उत्पत्ति हुई है।
Additional Information

श्लेष अलंकार

  • यह अलंकार शब्द, अर्थ दोनो में प्रयुक्त होता हैं।
  • श्लेष अलंकार में एक शब्द के दो अर्थ निकलते हैं।
  • जैसे-
    • 'रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
    • पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।।"
    • यहाँ 'पानी' का प्रयोग तीन बार किया गया है, यहाँ प्रयुक्त 'पानी' शब्द के तीन अर्थ हैं - मोती के सन्दर्भ में पानी का अर्थ 'चमक' या कान्ति, मनुष्य के सन्दर्भ में पानी का अर्थ 'प्रतिष्ठा', चूने के सन्दर्भ में पानी का अर्थ 'जल' है।

उत्प्रेक्षा अलंकार

  • जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना हो।
  • जहां उपमेय और उपमान में समानता के कारण रूप में उपमान की संभावना की कल्पना की जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • उस काल मारे क्रोध के तन कांपने उसका लगा। मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।
    • सिर फट गया उसका वही मानो अरुण रंग का घड़ा।
  • पहचान- उत्प्रेक्षा अलंकार के कुछ वाचक शब्द इस प्रकार हैं - जाने, ज्यों, जनु, मनु, मानो, मनहु आदि।

असंगति अलंकार

  • 'असंगति’ का मतलब संगति का न होना होता है।
  • जहाँ कारण कहीं और कार्य कहीं और होने का वर्णन किया जाय तब वहाँ ‘असंगति’ अलंकार होता है।
  • जैसे-
    • "तुमने पैरों में लगाई मेंहदी 
    • मेरी आँखों में समाई मेंहदी।"
    • ऊपर दिए गए वाक्य में मेंहदी लगाने का काम पाँव में हुआ, किंतु उसका परिणाम आँखों में दिखाई पड़ रहा है। इसलिए यहाँ ‘असंगति’ अलंकार है।

'बिनु पद चलै सुने बिनु काना' इसमे कौन - सा अंलकार है?

  1. विभावना
  2. श्लेष
  3. रुपक
  4. वक्रोक्ति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : विभावना

विभावना Question 10 Detailed Solution

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विभावना अलंकार यहाँ उचित विकल्प है। अन्य विकल्प असंगत है।

विभावना अलंकार मे कार्य की आशा न होने पर भी कार्य के होने की स्थिति होती है। जैसे - बिनु पग चले, सुने बिन काना पँक्ति, इसी प्रकार उक्त पंक्ति में भी प्रश्नानुसार सही विकल्प 2 'विभावना अलंकार' है।

अन्य महत्वपूर्ण अलंकार

  • असंगत अलंकार - इसमें कारण और इसका अर्थ भिन्न भिन्न होता है। जैसे- ह्रदय घाव मेरे, पीरे रघुवीरे ( घाव लक्ष्मण को हुआ है पीर रघुवर जी को )
  • विरोधाभास - नकरात्मक या विपरीत बात का संयोग हो। जैसे - प्रेम एक मीठा जहर है।
  • मानवीकरण - अजीव या जड़ प्रतीकों के माध्यम से बात करना। जैसे - पर्वत बोले पत्थर बोले, बोले कण कण राम।

Additional Information

  • श्लेष अलंकार
    • जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है। 
    • श्लेष अलंकार के दो भेद होते हैं:
    • सभंग श्लेष
    • अभंग श्लेष
  • यमक अलंकार
    • जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
  • वक्रोक्ति अलंकार
    • वक्रोक्ति एक काव्यालंकार है जिसमें काकु या श्लेष से वाक्य का और अर्थ किया जाता है। जहाँ किसी उक्ति का अर्थ जान बूझकर वक्ता के अभिप्राय से अलग लिया जाता है, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है। 
    • उदाहरण-
    •  कौ तुम? हैं घनश्याम हम ।
    •  तो बरसों कित जाई।

इन पंक्तियों में कौन सा अलंकार प्रयुक्त है?

बिनु पग चलै सुनै बिनु काना।

कर बिनु कर्म करै विधि नाना।।

  1. विभावना 
  2. विशेषोक्ति
  3. असंगति 
  4. दृष्टांत 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : विभावना 

विभावना Question 11 Detailed Solution

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जहाँ कारण के न होते हुए भी कार्य सिद्ध हो वहां विभावना अलंकार होता है। यहाँ भगवान के बारे में कहा जा रहा है कि वह बिना पैर के चलता है और बिना कानों के सुनता है। यहाँ कारण के आभाव में कार्य हो रहा है अर्थात यहाँ विभावना अलंकार है। अर्थात सही विकल्प 'विभावना' है।

अन्य विकल्प

अलंकार

परिभाषा

विशेषोक्ति

सम्पूर्ण कारणों के होने पर भी फल का न कहना विशेषोक्ति अलंकार है। अर्थात जहाँ समस्त कारण होते हुए भी कार्य न हो।

असंगति

जहाँ कारण एक स्थान पर तथा कार्य दूसरे या अन्य स्थान पर घटित हो वहाँ असंगति अलंकार होता है। (साथ रहने वाली वस्तुओं को अलग - अलग कर देना ही असंगति है।)

दृष्टांत

जहाँ उपमेय और उपमान तथा उनके साधारण धर्मों में बिंब प्रतिबिंब भाव होता है वहाँ दृष्टांत अलंकार की रचना होती है। जैसे- सुख-दुःख के मधुर मिलन से. यह जीवन हो परीपुरण. पिर घन में ओझल हो शशी. फिर शशी से ओझल हो घन।

निम्नांकित काव्य पंक्ति में अलंकार बताइए-

दुख इस मानव आत्मा का रे नित का मधुमय भोजन।

दुख के तम को खा खाकर भरती प्रकाश से वह मन।।

  1. विभावना
  2. निदर्शना
  3. समासोक्ति
  4. विरोधाभास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : विभावना

विभावना Question 12 Detailed Solution

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  • सही उत्तर - विभावना अलंकार 

Key PointsI

  • विभावना अलंकार - जहाँ पर कारण के ना होते हुए भी कार्य का होना पाया जाए वहां विभावना अलंकार हैI 
  • इन पंक्तियों में कवि दुःख को मधुमय अर्थात मीठा भोजन बता रहा हैi
  • अन्धकार को खाकर आत्मा प्रकाश से मन भरती हैI यहाँ कवि ने कारण को न बता कर कार्य को प्रश्रय दिया हैI 
  • इसलिए यहाँ विभावना अलंकार हैI

Important Points 

  •  विरोधाभास अलंकार - जहां वाक्य में विरोध का आभास शब्दों के माध्यम से हो परन्तु विरोध ना हो और सार्थक बात कही जाए वहां विरोधाभास अलंकार हैI
  •  विरोधाभास का उदाहरण -  "या अनुरागी चित्त की गति समुझै नहिं कोईI ज्यों ज्यों बूढ़े स्याम रंग त्यों त्यों उज्जल होईI"
  • निदर्शना अलंकार - जब दो वस्तुओं या दो कार्यों को समानता सूचित करने के लिए एक बताया जाए जबकि वे एक ना हों, तो वहां निदर्शना अलंकार होता हैI 
  • निदर्शना का उदाहरण - "यह प्रेम को पंथ कराल महा तरवारि की धार पै धावनो हैI"  
  • समासोक्ति अलंकार - यहाँ प्रस्तुत विषय के वर्णन के साथ अप्रस्तुत विषय का भी वर्णन दृष्टव्य होता हैI 
  • समासोक्ति का उदाहरण -  "कुमुदिनी हूँ प्रफुलित भाई सांझ कलानिधि जोई" 

‘सून भीती पर चित्र, रंग नहिं तनु बिनु लिखा चितेरे।’ उक्त काव्य-पंक्ति में इनमें से कौन सा अलंकार है?

  1. असंगति
  2. विभावना
  3. विरोधाभास
  4. मानवीकरण

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : विभावना

विभावना Question 13 Detailed Solution

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विभावना अलंकार यहाँ उचित विकल्प है। अन्य विकल्प असंगत है।

विभावना अलंकार मे कार्य की आशा न होने पर भी कार्य के होने की स्थिति होती है। जैसे - बिनु पग चले, सुने बिन काना पँक्ति, इसी प्रकार उक्त पंक्ति में भी प्रश्नानुसार सही विकल्प 2 'विभावना अलंकार' है।

अन्य महत्वपूर्ण अलंकार

  • असंगत अलंकार - इसमें कारण और इसका अर्थ भिन्न भिन्न होता है। जैसे- ह्रदय घाव मेरे, पीरे रघुवीरे ( घाव लक्ष्मण को हुआ है पीर रघुवर जी को )
  • विरोधाभास - नकरात्मक या विपरीत बात का संयोग हो। जैसे - प्रेम एक मीठा जहर है।
  • मानवीकरण - अजीव या जड़ प्रतीकों के माध्यम से बात करना। जैसे - पर्वत बोले पत्थर बोले, बोले कण कण राम।

जहाँ कारण बिना कार्य की उत्पत्ति होती हो, वहां कौन-सा अलंकार होता है?

  1. विभावना
  2. विशेषोक्ति
  3. असंगति
  4. दीपक

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : विभावना

विभावना Question 14 Detailed Solution

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विभावना यहाँ सही विकल्प है, क्योंकि जहाँ कारण बिना कार्य की उत्पत्ति होती हो, वहां विभावना अलंकार होता है।

अत: सही विकल्प 1)विभावना अलंकार ही होगा।  

अन्य अलंकार 

अलंकार

परिभाषा

विशेषोक्ति

जहां पर कारण के होने पर भी कार्य न हो वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है।

असंगति

जहाँ कारण एक स्थान पर तथा कार्य दूसरे या अन्य स्थान पर घटित होना वर्णित होता है वहाँ असंगति अलंकार होता है।

दीपक

जहाँ पर प्रस्तुत और अप्रस्तुत का एक ही धर्म स्थापित किया जाता है वहाँ पर दीपक अलंकार होता है।

'चंद तें लजात जलजात जग जानत है।

आज जलजात तें लजात चंद देखौ मैं।।

प्रस्तुत पंक्तियों में अलंकार हैः

  1. दीपक
  2. विभावना
  3. उत्प्रेक्षा
  4. वक्रोक्ति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : विभावना

विभावना Question 15 Detailed Solution

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'चंद तें लजात जलजात जग जानत है। आज जलजात तें लजात चंद देखौ मैं।। प्रस्तुत पंक्तियों में अलंकार हैः विभावना

विभावना-

  • जहाँ कारण के न होते हुए भी कार्य का होना पाया जाता है, वहाँ विभावना अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • बिनु पग चलै सुनै बिनु काना।
      कर बिनु कर्म करै विधि नाना॥

Key Pointsअलंकार-

  • अलंकार का अर्थ है आभूषण
  • महिलाएं अपने सौंदर्य को निखारने के लिए अलंकार , सौंदर्य प्रसाधन आदि का प्रयोग करती हैं।
  • इसी प्रकार काव्य की शोभा बढ़ाने के लिए अलंकारों का प्रयोग किया जाता है।
  • अलंकार के प्रयोग से काव्य में चमत्कार तथा शोभा उत्पन्न होती है।
  • अलंकार का मुख्य कार्य काव्य की शोभा को बढ़ाना होता है।

Important Pointsदीपक-

  • जब किसी पद में उपमेय (प्रस्तुत पदार्थ)तथा उपमान (अप्रस्तुत पदार्थ) दोनों के लिए एक ही साधारण धर्म होता है तो वहाँ दीपक अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • कामिनी कन्त सों, जामिनी चन्द सों,
      दामिनी पावस मेघ घटा सों
      जाहिर चारिहु ओर जहान लसै,
      हिन्दवान खुमान शिवा सों।
    • यहाँ प्रस्तुत पदार्थ या उपमेय (हिन्दू सम्राट शिवाजी से शोभित संसार) तथा अप्रस्तुत पदार्थ या उपमानों (कामिनी, यामिनी, दामिनी, मेघ आदि) के लिए एक ही साधारण धर्म (लसै-सुशोभित होना) का प्रयोग हुआ है, अतः यहाँ दीपक अलंकार है।

उत्प्रेक्षा-

  • जब समानता होने के कारण उपमेय में उपमान के होने कि कल्पना की जाए या संभावना हो तब वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। 
  • यदि पंक्ति में -मनु, जनु, जनहु, जानो, मानहु मानो, निश्चय, ईव, ज्यों आदि आता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • ले चला साथ मैं तुझे कनक। ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।।
    • कनक का अर्थ धतुरा है। कवि कहता है कि वह धतूरे को ऐसे ले चला मानो कोई भिक्षु सोना ले जा रहा हो।

वक्रोक्ति-

  • जहाँ किसी उक्ति का अर्थ जान-बूझकर वक्ता के अभिप्राय से अलग लिया जाता है, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है। 
  • उदाहरण-
    • कौ तुम? हैं घनश्याम हम।
      तो बरसों कित जाई॥
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