प्रतीप MCQ Quiz - Objective Question with Answer for प्रतीप - Download Free PDF

Last updated on Jun 11, 2025

Latest प्रतीप MCQ Objective Questions

प्रतीप Question 1:

"सीय--वदन सम हिमकर नाही ।" पंक्ति में कौन-सा अलंकार है ?

  1. उपमा
  2. व्यतिरेक
  3. प्रतीप 
  4. संदेह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : प्रतीप 

प्रतीप Question 1 Detailed Solution

"सीय--वदन सम हिमकर नाही ।" पंक्ति में अलंकार है- प्रतीप 

Key Points

  • जहाँ पर प्रसिद्ध उपमान को उपमेय और उपमेय को उपमान सिद्ध करके चमत्कारपूर्वक उपमेय या उपमान की उत्कृष्टता दिखायी जाती है, वहाँ पर प्रतीप अलंकार होता है।
  • उदाहरण- सिय मुख समता पाव किमी, चन्द्र बापुरो रंक।
    • सीता के मुख (उपमेय) की तुलना बेचारा चन्द्रमा (उपमान) नहीं कर सकता। यहाँ सीता के मुख (उपमेय) को श्रेष्ठ बताया गया है।

Additional Information

उपमा:-

  • जब किन्ही दो वस्तुओं के गुण, आकृति, स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं कि तुलना कि जाए, तब वहां उपमा अलंकर होता है।

उदाहरण-

  • ​हरि पद कोमल कमल।
  • (यहाँ पर हरि के चरणों को कमल के फूल के सामान कोमल बताया गया है।)

व्यतिरेक:-

  • जहाँ उपमान की अपेक्षा अधिक गुण होने के कारण उपमेय का उत्कर्ष हो, वहाँ 'व्यतिरेक अलंकार' होता है।

​​​उदाहरण-

 

  • का सरवरि तेहिं देउं मयंकू।
  • चांद कलंकी वह निकलंकू॥
  • (यहां पर कहा गया की उसके मुख को चन्द्रमा की उपमा क्या दी जाए? चन्द्रमा में कंलक है और मुख निष्कलंक है अतः यहां मुख चन्दमा से बढ़कर है।)

सन्देह:-

  • जब सादृश्य के कारण एक वस्तु में अनेक वस्तु के होने की संभावना दिखायी पड़े और निश्चय न हो पाये, तब संदेह अलंकार माना जाता है।

उदाहरण-

  • कहहिं सप्रेम एक एक पाहीं।
  • राम-लखन सखि। होहिं कि नाहीं।।
  • (यहाँ भरत-शत्रुघ्न को देखकर ग्रामों की स्त्रियों को, सादृश्य के कारण, उनके राम-लक्ष्मण होने का संदेह होता है।)

प्रतीप Question 2:

माँ के शुचि उपकारों का जीवन में अन्त नहीं है।

निस्वार्थ साधना पथ पर माँ जैसा सन्त नहीं है ।।

उक्त पंक्तियों में मुख्यरूप से कौन सा अलंकार लक्षित हो रहा है ? 

  1. विभावना
  2. विशेषोक्ति 
  3. प्रतीप
  4. अनन्वय

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : प्रतीप

प्रतीप Question 2 Detailed Solution

सही उत्तर है - प्रतीप।

Key Points

  • उपमा के अंगों में उल्ट - फेर करने से अर्थात उपमेय को उपमान के समान न कहकर उलट कर उपमान को ही उपमेय कहा जाता है वहाँ प्रतीप अलंकार  होता है।
  • उदाहरण  :- बिदा किये बहु विनय करि, फिरे पाइ मनकाम। उतरि नहाये जमुन-जल, जो शरीर सम स्याम।।

प्रतीप Question 3:

“सीय-वदन सम हिमकर नाही।” पंक्ति में कौन-सा अलंकार है ?

  1. उपमा
  2. व्यतिरेक
  3. प्रतीप
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक 
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : प्रतीप

प्रतीप Question 3 Detailed Solution

'सीय बदन सम हिमकर नाहीं II' पंक्ति में प्रतीप अलंकार है। 

  • 'बहुरि विचार कीन्ह मन माहीं। सीय बदन सम हिमकर नाहीं II'
  • यह पंक्तियाँ तुलसीदास कृत रामचरितमानस के बालकाण्ड अध्याय से ली गई है। 

Key Points प्रतीप अलंकार-

  • 'प्रतीप' का अर्थ होता है- 'उल्टा' या 'विपरीत'।
  • यह उपमा अलंकार के विपरीत होता है।
  • इस अलंकार में उपमान को लज्जित,पराजित या हीन दिखाकर उपमेय की श्रेष्टता बताई जाती है।

उदाहरण-

  • सिय मुख समता किमि करै चन्द वापुरो रंक।
  • सीताजी के मुख (उपमेय)की तुलना बेचारा चन्द्रमा (उपमान) नहीं कर सकता।
  • उपमेय की श्रेष्टता प्रतिपादित होने से यहां 'प्रतीप अलंकार' है।

Important Points उपमा अलंकार-

  • जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

उदाहरण-

  • सागर-सा गंभीर हृदय हो,
  • गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन।

व्यतिरेकअलंकार-

  • काव्य में जहाँ उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाता है, वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।

उदाहरण-

  • जन्म सिंधु पुनि बंधु विष,दीनन मलिन सकलंक|
    सीय मुख समता पाव किमी चंद्र बापूरो रंक ||

संदेह अलंकार-

  • जब किसी पद में समानता के कारण उपमेय में उपमान का संदेह उत्पन्न हो जाता है और यह संदेह अन्त तक बना रहता है तो वहाँ संदेह अलंकार माना जाता है।

उदाहरण-

  • ’हरि-मुख यह आली! किधौं, कैधौं उयो मयंक ?’

Additional Information अलंकार-

  • अर्थ-अलंकृत करना या सजाना।
  • अलंकार सुन्दर वर्णो से बनते हैं और काव्य की शोभा बढ़ाते हैं।
  • ‘अलंकार शास्त्र’ में आचार्य भामह ने इसका विस्तृत वर्णन किया है।
  • वे अलंकार सम्प्रदाय के प्रवर्तक कहे जाते हैं।

प्रतीप Question 4:

तुव प्रताप सम सूर्य है, जस-सम सोचत चंद | इसमें अलंकार है:

  1. उपमा
  2. रूपक
  3. उत्प्रेक्षा
  4. प्रतीप
  5. उत्तर नहीं देना चाहते

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : प्रतीप

प्रतीप Question 4 Detailed Solution

दिए गए सभी विकल्पों में ‘प्रतीप अलंकार’ सही विकल्प है। अन्य सभी विकल्प अनुचित विकल्प हैं। अत: इसका सही उत्तर विकल्प 4 ‘प्रतीप अलंकार’ है।

Key Points

  • ‘तुव प्रताप सम सूर्य है, जस-सम सोचत चंद’ इस पंक्ति में बताया गया है कि तुम्हारा प्रताप सूर्य जैसा है जिसकी तुलना में चाँद से कम नही है।
  • अत: इस काव्य पंक्ति में ‘प्रतीप अलंकार’ होगा।
  • प्रतीप अलंकार- यह उपमा अलंकार के विपरीत होता है क्योंकि इस अलंकार में उपमान को लज्जित, पराजित या हीन दिखाकर उपमेय की श्रेष्टता बताई जाती है।

Additional Information

विशेष:

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

उत्प्रेक्षा अलंकार

जहाँ पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात।

मनहुँ नीलमनि सैल पर, आतप परयौ प्रभात।

संदेह अलंकार

जब उपमेय और उपमान में समता देखकर यह निश्चय नहीं हो पाता कि उपमान वास्तव में उपमेय है या नहीं। जब यह दुविधा बनती है , तब संदेह अलंकार होता है

सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।

सारी है कि नारी है कि नारी है कि सारी है।

उपमा अलंकार

जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

पीपर पात सरिस मन डोला।

प्रतीप Question 5:

अलंकार का वह प्रकार जहाँ प्रसिद्ध उपमान को उपमेय बना दिया जाता है, क्या कहलाता है ?

  1. अनुप्रास
  2. प्रतीप
  3. रूपक
  4. श्लेष

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : प्रतीप

प्रतीप Question 5 Detailed Solution

अलंकार का वह प्रकार जहाँ प्रसिद्ध उपमान को उपमेय बना दिया जाता है, प्रतीप कहलाता है।

Key Pointsप्रतीप अलंकार- 

  • ऐसा अलंकार जहाँ पर उपमा के अंगों में उलटफेर किया जाता है अर्थात उपमेय को उपमान के बराबर न मानकर उपमान को ही उपमेय मान लिया जाता है वहाँ पर प्रतीप अलंकार होता है।
  • उदाहरण- ​
    • बिदा किये बहु विनय करि, फिरे पाइ मनकाम।
      उतरि नहाये जमुन-जल, जो शरीर सम स्याम।।

Important Pointsअनुप्रास अलंकार-

  • जब एक ही वर्ण की आवृति हों, तब अनुप्रास अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • 'रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम'।

श्लेष अलंकार- 

  • जब किसी पंक्ति में कोई शब्द एक ही बार प्रयुक्त हों लेकिन उसके अर्थ अलग-अलग हों तब श्लेष अलंकार होता है।
  • उदाहरण
    • 'रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून'
      'पानी गये न ऊबरै, मोती मानस चून'।।
    • इस पंक्ति में 'पानी' शब्द के अनेक अर्थ है।
    •  जैसे- चमक, प्रतिष्ठा, और जल

रूपक अलंकार-

  • 'जब उपमेय में उपमान का आरोप व्यक्त किया जाता है, वहाँ रूपक अलंकार होता है'।
  • उदाहरण- 
    • 'मुख चन्द्र है'।

Top प्रतीप MCQ Objective Questions

'जहँ राधा आनन उदित, निसि बासर आनंद।

तहाँ कहा आविन्द है, कहा बापुरों चन्द ।।'

पंक्ति में कौन-सा अलंकार है ? 

  1. रूपक
  2. प्रतीप
  3. अनन्वय
  4. दीपक

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : प्रतीप

प्रतीप Question 6 Detailed Solution

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उक्त पंक्तियों में प्रतीप अलंकार है।

Key Points

  •  इस अलंकार में उपमान को लज्जित, पराजित या हीन दिखाकर उपमेय की श्रेष्टता बताई जाती है।
  • जैसे: यहाँ राधा को उच्च और चाँद को बेचारा कहा गया है।

Additional Information 

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

उत्प्रेक्षा अलंकार

जहाँ पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात।

मनहुँ नीलमनि सैल पर, आतप परयौ प्रभात।

संदेह अलंकार

जब उपमेय और उपमान में समता देखकर यह निश्चय नहीं हो पाता कि उपमान वास्तव में उपमेय है या नहीं। जब यह दुविधा बनती है , तब संदेह अलंकार होता है

सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।

सारी है कि नारी है कि नारी है कि सारी है।

उपमा अलंकार

जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

पीपर पात सरिस मन डोला।

रूपक उपमेय और उपमान में जब अंतर दिखाई ना दे तो हम उसे रूपक अलंकार कहते हैं। रूप तथा गुण की समानता के कारण उपमेय (सादृश्य) को उपमान (प्रसिद्ध) का रूप मान लिया जाता है , वहां रूपक अलंकार होता है। चरण-कमल बंदों हरि राई।
अनन्वय जब उपमेय की समता में कोई उपमान नही आता और कहा जाता है कि उसके समान वही है, तब अनन्वय अलंकार होता है। यद्दपि अति आरत-मारत है,
भारत के सम भारत है।
दीपक जहाँ पर प्रस्तुत और अप्रस्तुत का एक ही धर्म स्थापित किया जाता है वहाँ पर दीपक अलंकार होता है कामिनी कन्त सों, जामिनी चन्द सों,
दामिनी पावस मेघ घटा सों
जाहिर चारिहु ओर जहान लसै,
हिन्दवान खुमान शिवा सों।

 

Important Points

  •  चंद का अर्थ चंद्रमा है ।

'बहुरि विचार कीन्ह मन माहीं। सीय बदन सम हिमकर नाहीं II' पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

  1. अनन्वय
  2. रूपक
  3. उत्प्रेक्षा
  4. प्रतीप

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : प्रतीप

प्रतीप Question 7 Detailed Solution

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'बहुरि विचार कीन्ह मन माहीं। सीय बदन सम हिमकर नाहीं II' पंक्ति में प्रतीप अलंकार है। 

  • यह पंक्तियाँ तुलसीदास कृत रामचरितमानस के बालकाण्ड अध्याय से ली गई है। 

Key Pointsप्रतीप अलंकार-

  • 'प्रतीप' का अर्थ होता है- 'उल्टा' या 'विपरीत'।
  • यह उपमा अलंकार के विपरीत होता है।
  • इस अलंकार में उपमान को लज्जित,पराजित या हीन दिखाकर उपमेय की श्रेष्टता बताई जाती है।
  • उदाहरण-
    • सिय मुख समता किमि करै चन्द वापुरो रंक।
    • सीताजी के मुख (उपमेय)की तुलना बेचारा चन्द्रमा (उपमान) नहीं कर सकता।
    • उपमेय की श्रेष्टता प्रतिपादित होने से यहां 'प्रतीप अलंकार' है।

Important Pointsरूपक अलंकार-

  • उपमेय और उपमान में जब अंतर दिखाई ना दे तो हम उसे रूपक अलंकार कहते हैं।
  • रूप तथा गुण की समानता के कारण उपमेय (सादृश्य) को उपमान (प्रसिद्ध) का रूप मान लिया जाता है ,वहां रूपक अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • चरण-कमल बन्दों हरि राई। 
    • यहां चरण (उपमेय) में कमल (उपमान) का आरोप किया गया है।

उत्प्रेक्षा अलंकार-

  • जहां रूप गुण आदि समान प्रतीत होने के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए और उसे व्यक्त करने के लिए मनु,मानो,जानो,जनु,ज्यों आदि वाचक शब्दों का प्रयोग किया जाए,वहां उत्प्रेक्षा अलंकार माना जाता है।
  • उदाहरण-
    • सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलोने गात
      मनौ नीलमणि सैल पर आतप परयो प्रभात॥ 

अनन्वय अलंकार-

  • उपमान के अभाव के कारण उपमेय ही उपमान का स्थान ले लेता है,वहाँ अनन्वय अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • राम-से राम, सिया-सी सिया;
      सिरमौर बिरंचि बिचारि सँवारे।
    • उदाहरण में राम और सीता ही उपमान है तथा राम और सीता ही उपमेय है।
    • अत: यहां अनन्वय अलंकार है।

Additional Informationअलंकार-

  • अर्थ-अलंकृत करना या सजाना।
  • अलंकार सुन्दर वर्णो से बनते हैं और काव्य की शोभा बढ़ाते हैं।
  • ‘अलंकार शास्त्र’ में आचार्य भामह ने इसका विस्तृत वर्णन किया है।
  • वे अलंकार सम्प्रदाय के प्रवर्तक कहे जाते हैं।

उपमा के अंगों में उल्ट - फेर करने से अर्थात उपमेय को उपमान के समान न कहकर उलट कर उपमान को ही उपमेय कहा जाता है वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?

  1. प्रतीप अलंकार
  2. भ्रांतिमान अलंकार
  3. व्यतिरेक अलंकार
  4. मानवीकरण अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : प्रतीप अलंकार

प्रतीप Question 8 Detailed Solution

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उपमा के अंगों में उल्ट - फेर करने से अर्थात उपमेय को उपमान के समान न कहकर उलट कर उपमान को ही उपमेय कहा जाता है वहाँ प्रतीप अलंकार  होता है।Key Points
अलंकार परिभाषा  उदाहरण  
प्रतीप अलंकार

प्रतीप का मतलब उल्टा होता है।
 उपमा के अंगों में उल्ट-फेर करने से अथार्त उपमेय को उपमान के समान न कहकर उलट कर उपमान को ही उपमेय कहा जाता है वहाँ प्रतीप अलंकार होता है। 

 बिदा किये बहु विनय करि, फिरे पाइ मनकाम। 
उतरि नहाये जमुन-जल, जो शरीर सम स्याम।।
भ्रांतिमान अलंकार

इसमें भ्रम वाचक शब्द होते है। 
इसमें झूठ निश्चय हो जाता है।
इसमें भ्रम दूर करना संभव नहीं। 

'ओस बिन्दु चुग रही हंसिनी मोती उनको जान।'
व्यतिरेक अलंकार  जहाँ उपमान की अपेक्षा अधिक गुण होने के कारण उपमेय का उत्कर्ष हो वहाँ पर व्यतिरेक अलंकार होता है। का सरवरि तेहिं देउं मयंकू। चांद कलंकी वह निकलंकू।।
मुख की समानता चन्द्रमा से कैसे दूँ? चन्द्रमा में तो कलंक है, जबकि मुख निष्कलंक है।
मानवीकरण अलंकार मनुष्य जैसा कार्य व्यवहार करता हुआ दिखाया जाता है तब वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है; हरषाया ताल लाया पानी परात भरके।

तुव प्रताप सम सूर्य है, जस-सम सोचत चंद | इसमें अलंकार है:

  1. उपमा
  2. रूपक
  3. उत्प्रेक्षा
  4. प्रतीप

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : प्रतीप

प्रतीप Question 9 Detailed Solution

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दिए गए सभी विकल्पों में ‘प्रतीप अलंकार’ सही विकल्प है। अन्य सभी विकल्प अनुचित विकल्प हैं। अत: इसका सही उत्तर विकल्प 4 ‘प्रतीप अलंकार’ है।

Key Points

  • ‘तुव प्रताप सम सूर्य है, जस-सम सोचत चंद’ इस पंक्ति में बताया गया है कि तुम्हारा प्रताप सूर्य जैसा है जिसकी तुलना में चाँद से कम नही है।
  • अत: इस काव्य पंक्ति में ‘प्रतीप अलंकार’ होगा।
  • प्रतीप अलंकार- यह उपमा अलंकार के विपरीत होता है क्योंकि इस अलंकार में उपमान को लज्जित, पराजित या हीन दिखाकर उपमेय की श्रेष्टता बताई जाती है।

Additional Information

विशेष:

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

उत्प्रेक्षा अलंकार

जहाँ पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात।

मनहुँ नीलमनि सैल पर, आतप परयौ प्रभात।

संदेह अलंकार

जब उपमेय और उपमान में समता देखकर यह निश्चय नहीं हो पाता कि उपमान वास्तव में उपमेय है या नहीं। जब यह दुविधा बनती है , तब संदेह अलंकार होता है

सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।

सारी है कि नारी है कि नारी है कि सारी है।

उपमा अलंकार

जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

पीपर पात सरिस मन डोला।

"सीय--वदन सम हिमकर नाही ।" पंक्ति में कौन-सा अलंकार है ?

  1. उपमा
  2. व्यतिरेक
  3. प्रतीप 
  4. संदेह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : प्रतीप 

प्रतीप Question 10 Detailed Solution

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"सीय--वदन सम हिमकर नाही ।" पंक्ति में अलंकार है- प्रतीप 

Key Points

  • जहाँ पर प्रसिद्ध उपमान को उपमेय और उपमेय को उपमान सिद्ध करके चमत्कारपूर्वक उपमेय या उपमान की उत्कृष्टता दिखायी जाती है, वहाँ पर प्रतीप अलंकार होता है।
  • उदाहरण- सिय मुख समता पाव किमी, चन्द्र बापुरो रंक।
    • सीता के मुख (उपमेय) की तुलना बेचारा चन्द्रमा (उपमान) नहीं कर सकता। यहाँ सीता के मुख (उपमेय) को श्रेष्ठ बताया गया है।

Additional Information

उपमा:-

  • जब किन्ही दो वस्तुओं के गुण, आकृति, स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं कि तुलना कि जाए, तब वहां उपमा अलंकर होता है।

उदाहरण-

  • ​हरि पद कोमल कमल।
  • (यहाँ पर हरि के चरणों को कमल के फूल के सामान कोमल बताया गया है।)

व्यतिरेक:-

  • जहाँ उपमान की अपेक्षा अधिक गुण होने के कारण उपमेय का उत्कर्ष हो, वहाँ 'व्यतिरेक अलंकार' होता है।

​​​उदाहरण-

 

  • का सरवरि तेहिं देउं मयंकू।
  • चांद कलंकी वह निकलंकू॥
  • (यहां पर कहा गया की उसके मुख को चन्द्रमा की उपमा क्या दी जाए? चन्द्रमा में कंलक है और मुख निष्कलंक है अतः यहां मुख चन्दमा से बढ़कर है।)

सन्देह:-

  • जब सादृश्य के कारण एक वस्तु में अनेक वस्तु के होने की संभावना दिखायी पड़े और निश्चय न हो पाये, तब संदेह अलंकार माना जाता है।

उदाहरण-

  • कहहिं सप्रेम एक एक पाहीं।
  • राम-लखन सखि। होहिं कि नाहीं।।
  • (यहाँ भरत-शत्रुघ्न को देखकर ग्रामों की स्त्रियों को, सादृश्य के कारण, उनके राम-लक्ष्मण होने का संदेह होता है।)

प्रतीप Question 11:

अलंकार का वह प्रकार जहाँ प्रसिद्ध उपमान को उपमेय बना दिया जाता है, क्या कहलाता है ?

  1. अनुप्रास
  2. प्रतीप
  3. रूपक
  4. श्लेष

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : प्रतीप

प्रतीप Question 11 Detailed Solution

अलंकार का वह प्रकार जहाँ प्रसिद्ध उपमान को उपमेय बना दिया जाता है, प्रतीप कहलाता है।

Key Pointsप्रतीप अलंकार- 

  • ऐसा अलंकार जहाँ पर उपमा के अंगों में उलटफेर किया जाता है अर्थात उपमेय को उपमान के बराबर न मानकर उपमान को ही उपमेय मान लिया जाता है वहाँ पर प्रतीप अलंकार होता है।
  • उदाहरण- ​
    • बिदा किये बहु विनय करि, फिरे पाइ मनकाम।
      उतरि नहाये जमुन-जल, जो शरीर सम स्याम।।

Important Pointsअनुप्रास अलंकार-

  • जब एक ही वर्ण की आवृति हों, तब अनुप्रास अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • 'रघुपति राघव राजाराम, पतित पावन सीताराम'।

श्लेष अलंकार- 

  • जब किसी पंक्ति में कोई शब्द एक ही बार प्रयुक्त हों लेकिन उसके अर्थ अलग-अलग हों तब श्लेष अलंकार होता है।
  • उदाहरण
    • 'रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून'
      'पानी गये न ऊबरै, मोती मानस चून'।।
    • इस पंक्ति में 'पानी' शब्द के अनेक अर्थ है।
    •  जैसे- चमक, प्रतिष्ठा, और जल

रूपक अलंकार-

  • 'जब उपमेय में उपमान का आरोप व्यक्त किया जाता है, वहाँ रूपक अलंकार होता है'।
  • उदाहरण- 
    • 'मुख चन्द्र है'।

प्रतीप Question 12:

"दूर दूर तक विस्तृत था हिम, स्तब्ध उसी के हृदय समान" यह पंक्ति किस अलंकार का उदाहरण है?

  1. उत्प्रेक्षा
  2. प्रतीप
  3. व्यतिरेक
  4. संदेह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : प्रतीप

प्रतीप Question 12 Detailed Solution

इसका सही उत्तर विकल्प 2 है। अन्य विकल्प असंगत हैं।

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  • "दूर दूर तक विस्तृत था हिम, स्तब्ध उसी के हृदय समान" यह पंक्ति 'प्रतीप' अलंकार का उदाहरण है।
  • यह उपमा अलंकार के विपरीत होता है। 
  • इस अलंकार में उपमान को लज्जित, पराजित या हीन दिखाकर उपमेय की श्रेष्टता बताई जाती है।
  • 'प्रतीप' का अर्थ होता है- 'उल्टा' या 'विपरीत'।

अन्य विकल्प:

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

उत्प्रेक्षा

उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलौने गात।

मनहु नीलमणि सैल  पर, आवत परयो प्रभात।

व्यतिरेक

जब भी कारण सहित किसी छोटे को बड़े से श्रेष्ठ बताया जाता है तो वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है। इसमें उपमेय को उपमान से श्रेष्ठ बताया जाता है।

साधू ऊंचे शैल सम, प्रकृति सुकुमार।

संदेह

जहां उपमेय में उपमान का संदेह हो वहाँ संदेह अलंकार होता है। किसी वस्तु को देखकर जब संदेह हो तब संदेह अलंकार होता है।

सारी बीच नारी है या नारी बीच सारी है,

कि सारी की नारी है कि नारी की ही सारी।

Additional Information

  • अलंकार की परिभाषा अलंकार का अर्थ ‘आभूषण’ होता है।
  • जिस प्रकार अलंकार शरीर की शोभा बढ़ाते हैं उसी प्रकार काव्य या साहित्य की शोभा भी अलंकार ही बढ़ाते हैं।
  • ये काव्य में चमत्कार या असाधारण बदलाव ही अलंकार की विशेषता हैं।
  • अलंकार के तीन भेद होते है- शब्दालंकार, अर्थालंकार, उभयालंकार

 

प्रतीप Question 13:

‘सिय मुख समता किमि करै चन्द वापुरो रंक।’ इस काव्य पंक्ति में कौन सा अलंकार होगा?  

  1. उत्प्रेक्षा अलंकार 
  2. प्रतीप अलंकार 
  3. संदेह अलंकार
  4. उपमा अलंकार  

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : प्रतीप अलंकार 

प्रतीप Question 13 Detailed Solution

दिए गए सभी विकल्पों में ‘प्रतीप अलंकार’ सही विकल्प है। अन्य सभी विकल्प अनुचित विकल्प हैं। अत: इसका सही उत्तर विकल्प 2 प्रतीप अलंकारहै।

स्पष्टीकरण:

‘सिय मुख समता किमि करै चन्द वापुरो रंक।’ इस पंक्ति में बताया गया है कि सीता के मुख (उपमेय) की तुलना चंद्रमा (उपमान) नहीं कर सकता अर्थात यहाँ मुख (उपमेय) की श्रेष्ठता बताई जा रही है। अत: इस काव्य पंक्ति में ‘प्रतीप अलंकार’ होगा।

प्रतीप अलंकार- यह उपमा अलंकार के विपरीत होता है क्योंकि इस अलंकार में उपमान को लज्जित, पराजित या हीन दिखाकर उपमेय की श्रेष्टता बताई जाती है।

विशेष:

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

उत्प्रेक्षा अलंकार

जहाँ पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात।

मनहुँ नीलमनि सैल पर, आतप परयौ प्रभात।

संदेह अलंकार

जब उपमेय और उपमान में समता देखकर यह निश्चय नहीं हो पाता कि उपमान वास्तव में उपमेय है या नहीं। जब यह दुविधा बनती है , तब संदेह अलंकार होता है

सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।

सारी है कि नारी है कि नारी है कि सारी है।

उपमा अलंकार

जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

पीपर पात सरिस मन डोला।

प्रतीप Question 14:

"छिपा रही घुंघट में सुंदरी, क्या अपना आनन तू?

आनन-सा ही चंद्र चमकता, ऊपर फेर नयन तू।"

पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?

  1. दृष्टांत
  2. उल्लेख
  3. प्रतीप
  4. अनन्वय

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : प्रतीप

प्रतीप Question 14 Detailed Solution

"छिपा रही घुंघट में सुंदरी, क्या अपना आनन तू?

आनन-सा ही चंद्र चमकता, ऊपर फेर नयन तू।"

पंक्ति में अलंकार है - 'प्रतीप'

  • (यहाँ पर चन्द्रमा (उपमान) की आनन यानि मुख से समानता की गयी है।) 
  • ऐसा अलंकार जहाँ पर उपमा के अंगों में उलटफेर किया जाता है,
  • अर्थात उपमेय को उपमान के बराबर न मानकर उपमान को ही उपमेय मान लिया जाता है वहाँ पर प्रतीप अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • ​सिय मुख समता किमि करै चन्द वापुरो रंक।
    • (सीताजी के मुख (उपमेय) की तुलना बेचारा चन्द्रमा (उपमान) नहीं कर सकता। उपमेय की श्रेष्टता प्रतिपादित होने से यहां 'प्रतीप अलंकार' है।)

Key Points

दृष्टांत:-

  • दृष्टांत का अर्थ होता है – उदाहरण
  • जब काव्य में किसी बात को उदाहरण देकर समझाया जाए तो वहां दृष्टांत अलंकार होता है।

उदाहरण -

  • सठ सुधरहिं सत संगति पाई।
    परस परसि कु-धातु सुहाई।।
  • (सत्संगति से दुष्ट भी उस प्रकार सुधर जाते हैं जैसे पारस के स्पर्श से लोहा भी सोना बन जाता है।)

उल्लेख:-

  • जहाँ पर किसी एक वस्तु को अनेक रूप में ग्रहण किया जाता हैं, तो उसको अलग-अलग भागों में बाटने को उल्लेख अलंकार कहते हैं।

उदाहरण -

  • तू रूप है किरण में, सौंदर्य है सुमन में,
    तू प्राण है पवन में, विस्तार है गगन में।
  • (यहाँ रूप का किरण, सुमन, में और प्राण का पवन, गगन कई रूपों में उल्लेख है।)

अनन्वय:-

  • जहाँ पर उपमेय की समानता देने के लिए कोई दूसरा उपमान नही होता है तो उपमेय की समानता देने के लिए उपमेय को ही उपमान बना दिया जाता है वहाँ पर अनन्वय अलंकार होता है।

उदाहरण -

  • मुख मुख के समान ही सुंदर है।
  • (ऊपर दिये गए वाक्य में मुख उपमेय है तथा इसकी तुलना करने के लिए कोई उपमान नही है इसलिए उपमेय को ही उपमान बना दिया गया है अतः यह अनन्वय अलंकार का उदाहरण है।)

प्रतीप Question 15:

'जहँ राधा आनन उदित, निसि बासर आनंद।

तहाँ कहा आविन्द है, कहा बापुरों चन्द ।।'

पंक्ति में कौन-सा अलंकार है ? 

  1. रूपक
  2. प्रतीप
  3. अनन्वय
  4. दीपक

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : प्रतीप

प्रतीप Question 15 Detailed Solution

उक्त पंक्तियों में प्रतीप अलंकार है।

Key Points

  •  इस अलंकार में उपमान को लज्जित, पराजित या हीन दिखाकर उपमेय की श्रेष्टता बताई जाती है।
  • जैसे: यहाँ राधा को उच्च और चाँद को बेचारा कहा गया है।

Additional Information 

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

उत्प्रेक्षा अलंकार

जहाँ पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात।

मनहुँ नीलमनि सैल पर, आतप परयौ प्रभात।

संदेह अलंकार

जब उपमेय और उपमान में समता देखकर यह निश्चय नहीं हो पाता कि उपमान वास्तव में उपमेय है या नहीं। जब यह दुविधा बनती है , तब संदेह अलंकार होता है

सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।

सारी है कि नारी है कि नारी है कि सारी है।

उपमा अलंकार

जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

पीपर पात सरिस मन डोला।

रूपक उपमेय और उपमान में जब अंतर दिखाई ना दे तो हम उसे रूपक अलंकार कहते हैं। रूप तथा गुण की समानता के कारण उपमेय (सादृश्य) को उपमान (प्रसिद्ध) का रूप मान लिया जाता है , वहां रूपक अलंकार होता है। चरण-कमल बंदों हरि राई।
अनन्वय जब उपमेय की समता में कोई उपमान नही आता और कहा जाता है कि उसके समान वही है, तब अनन्वय अलंकार होता है। यद्दपि अति आरत-मारत है,
भारत के सम भारत है।
दीपक जहाँ पर प्रस्तुत और अप्रस्तुत का एक ही धर्म स्थापित किया जाता है वहाँ पर दीपक अलंकार होता है कामिनी कन्त सों, जामिनी चन्द सों,
दामिनी पावस मेघ घटा सों
जाहिर चारिहु ओर जहान लसै,
हिन्दवान खुमान शिवा सों।

 

Important Points

  •  चंद का अर्थ चंद्रमा है ।
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